घायल पिता को साइकिल पर ले जाने वाली ज्योति से प्रभावित हुई ट्रंप के बेटी इवांका, लिखी ये बात
घायल पिता को साइकिल पर ले जाने वाली ज्योति से प्रभावित हुई ट्रंप के बेटी इवांका, लिखी ये बात
नई दिल्ली। पिछले महीने से प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा सोशल मीडिया और सुर्खियों में है।15 साल की एक लड़की अपने घायल पिता को साइकिल पर बिठाकर 1200 किलोमीटर का सफर कर घर पहुंची। कोरोना लॉकडाउन के कारण उन्हें कोई वाहन नहीं मिला था। ऐसे में लड़की ने गुरुग्राम से बिहार तक का रास्ता खुद साइकिल से नापा। करीब एक हफ्ते तक पिता को साइकिल पर पीछे बिठाकर वह लड़की बिहार के दरभंगा पहुंची। भारत की इस छोटी सी बहादुर बेटी का ये कारनामा देख कर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रप भी बहुत प्रभावित हैं। इवांका ने न केवल ज्योति की फोटो अपने अकाउंट पर शेयर की बल्कि बहुत सुंदर सी भी बात लिखी।
इवांका ट्रंप ने ज्योंति की स्टोरी शेयर कर लिखी ये बात
हमेशा से विदेशियों को सदा से भारत परिवारों के बीच जो बॉडिंग और प्यार हैं वो आकर्षित करता हैं। भारतीय परिवार का ताना-बाना पूरी दुनिया और खासकर यूरोप, अमेरिका को भाता हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप भी उन्हीं में से एक हैं जिनको भारतीयों के पारिवारिक प्रेम ने एक बार फिर प्रभावित किया। यहीं कारण है कि इवांका ने अपने ट्विटर पर लॉकडाउन में गुरुग्राम में फंसे अपने पिता को साइकल से दरभंगा बिहार के दरभंगा ले गई ज्योति की स्टोरी शेयर की।
ज्योति के लिए इवांका का ट्वीट
इवांका ने ज्योति का पापा के प्रति इस प्यार देखकर इवांका भावनाओं में इसलिए भी सराबोर हो गई हैं ट्वीट कर लिखा कि '15 साल की ज्योति कुमारी ने अपने जख्मी पिता को साईकल से सात दिनों में 1,200 किमी दूरी तय करके अपने गांव ले गई। यह भारतीयों की सहनशीलता और उनके अगाध प्रेम के भावना का परिचायक है।
|
पिता टंप से बहुत करीब हैं इवांका
मालूम हो कि इवाका भी अपने पापा डोनांड ट्रप की बहुत प्यारी और दुलारी बेटी हैं। वो अपने पिता से भावनात्मक रूप से बहुत करीब हैं। दोनों बाप-बेटी के बीच के रिश्तों की मजबूती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ट्रंप ने इवांका को अपना पर्सनल सलाहकार नियुक्त किया हुआ है। इवांका अमेरिकी राष्ट्रपति और अपने पिता डोनाल्ड ट्रंप की नौकरियों के सृजन, आर्थिक सशक्तीकरण, कार्यबल विकास (वर्कफोर्स डिवेलपमेंट) और आंट्रप्रन्योरशिप मामले की सलाहकार हैं। संभव है कि इवांका ने ज्योति में अपनी झलक पाई हो और भाव विभोर हो उठी हों।
15 साल की स्वाभिमानी ज्योति की क्या हैं कहानी
कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन में देश के राज्यों में कई जगहों पर प्रवासी मजदूर फंस गए। ट्रेन सहित आवागमन के अन्य साधनों का परिचालन बंद होने के कारण हजारों मजदूर पैदल ही अपने-अपने घरों की ओर चल पड़े। चूंकि ज्योति के पिता मोहन पासवान कुछ महीने पहले हादसे में जख्मी हो गए थे, इसलिए वो अपने दम पर घर पहुंचने में असमर्थ थे। 15 साल की स्वाभिमानी ज्योति ने पिता मोहन पासवान के घायल होने की वजह से खुद ही इतनी लंबी दूरी तक साइकिल चलाई। वह अभी 7वीं क्लास में पढ़ती है। ज्योति बोली- सफर के दौरान मुझे डर लगता था कि कहीं पीछे से कोई गाड़ी टक्कर न मार दे। हां, रात के समय हाईवे पर साइकिल चलाते हुए डर नहीं लगा, क्योंकि सैकड़ों प्रवासी मजदूर भी सड़क से गुजर रहे थे। मगर, किसी गाड़ी से टक्कर होने को लेकर चिंतित थी। ज्योति के पिता, मोहन पासवान, गुड़गांव में एक ऑटोरिक्शा चालक घायल हो गए और लॉकडाउन ने उन्हें आय के किसी भी स्रोत नही था। उसे मालिक को ऑटोरिक्शा वापस करना पड़ा। अपने घायल पिता को लेकर ज्योति 10 मई को एक साइकिल खरीदने के बाद 10 मई को गुड़गांव से अपनी यात्रा शुरू की और 16 मई को अपने गांव पहुंचे।
साइक्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने दिया ये ऑफर
इससे बड़ा जीवन-बदलने का अवसर क्या हो सकता है, साइकिलिंग महासंघ 15 महीने की ज्योति को अगले महीने परीक्षण के लिए आमंत्रित करेगा। बता दें साइक्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन ओंकार सिंह ने पीटीआई को बताया कि अगर कक्षा आठ की छात्रा कुमारी ने ट्रायल पास कर लिया, तो उसे यहां आईजीआई स्टेडियम परिसर में अत्याधुनिक नेशनल साइक्लिंग अकादमी में प्रशिक्षु के रूप में चुना जाएगा।भारतीय खेल प्राधिकरण के तत्वावधान में अकादमी, एशिया में सबसे उन्नत सुविधाओं में से एक है और इस खेल की विश्व संस्था यूसीआई की मान्यता है।
घायल पिता को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से 1200 KM बिहार पहुंची 15 वर्षीय ज्योति को मिला ये बड़ा ऑफर