क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

ट्रंप सरकार ने आख़िरी दिन चीन पर किया वार, भारत को लेकर भी टिप्पणी

माइक पॉम्पियो ने एक बयान भारत से जुड़ा भी दिया है. पॉम्पियो ने कहा, ''ब्रिक्स याद है? जायर बोल्सोनारो और नरेंद्र मोदी को शुक्रिया. बी और आई दोनों को पता है कि सी और आर उनके लोगों के लिए ख़तरा हैं.''

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
चीन
Getty Images
चीन

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने मंगलवार को कहा कि चीन ने वीगर मुसलमानों का दमन कर जनसंहार किया है.

अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार में विदेश मंत्री बनने जा रहे एंटोनी ब्लिंकन ने भी कहा है कि वो इससे सहमत हैं.

मानवाधिकार समूहों का मानना है कि चीन ने पिछले कुछ सालों से लाखों वीगर मुसलमानों को निगरानी कैंपों में रखा है. चीन की सरकार इन निगरानी कैंपों को पुनर्शिक्षण कैंप कहती है.

बीबीसी की पड़ताल के मुताबिक़ वीगर मुसलमानों को बंधुआ मज़दूर बनने पर मजबूर किया गया है. राष्ट्रपति ट्रंप के शासनकाल में चीन से तनाव स्थायी रूप से बना रहा. इन तनावों के केंद्र में व्यापारिक नीतियाँ और कोरोना वायरस की महामारी की अहम भूमिका रही.

माइक पॉम्पियो ने अपने बयान में कहा है, ''मेरा मानना है कि चीन का यह जनसंहार अब भी जारी है. हमलोग देख रहे हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार सुनियोजित तरीक़े से वीगरों को तबाह कर रही है.'' पॉम्पियो ने ट्रंप प्रशासन के आख़िरी दिन ये बात कही. हालाँकि यह बयान चीन पर दबाव डालने के लिए है और इससे उस पर कोई स्वतः जुर्माना नहीं लगेगा.

मंगलवार को बाइडन सरकार में विदेश मंत्री बनने जा रहे एंटोनी ब्लिंकन से पॉम्पियो के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे भी इस बात को मानते हैं. बाइडन की टीम ने पिछले साल अगस्त में वीगरों के मामले में चीन पर इसी तरह का आरोप लगाया था. बाइडन की टीम ने कहा था कि चीन की निरंकुश सरकार ने विगरों का दमन जिस तरह से किया है उसकी व्याख्या नहीं की जा सकती.

माइक पॉम्पियो ने एक बयान भारत से जुड़ा भी दिया है. पॉम्पियो ने ट्वीट कर कहा, ''ब्रिक्स याद है? जायर बोल्सोनारो (ब्राज़ील के राष्ट्रपति) और नरेंद्र मोदी को शुक्रिया. बी और आई दोनों को पता है कि सी और आर उनके लोगों के लिए ख़तरा हैं.''

भारत को लेकर भी टिप्पणी

दरअसल, ब्रिक्स ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ़्रीका का संगठन है. पॉम्पियो ने बी ब्राज़ील और आई इंडिया के लिए कहा है. सी चाइना और आर मतलब रूस को लेकर कहा है कि दोनों देश बी और आई के लोगों के लिए ख़तरा हैं. हालाँकि पॉम्पियो ने साउथ अफ़्रीका के लिए कुछ नहीं कहा है.

हाल के दिनों में चीन और भारत में भी तनाव चरम पर हैं. दोनों देशों की सेना लद्दाख में अब भी आमने-सामने है और सीमा पर यथास्थिति बहाल नहीं हो पाई है. रूस को लेकर भी कहा जा रहा है कि भारत से रिश्तों में दूरियाँ बढ़ी हैं. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ ने दिसंबर महीने में कहा था कि पश्चिम के देश भारत को चीन विरोधी मोहरा बना रहे हैं.

वीगर मुसलमानों और चीन के बीच तनातनी क्यों?

चीन में मुसलमानों के 'ब्रेनवॉश' के सबूत

अमेरिका
Getty Images
अमेरिका

चीन पर दबाव

ट्रंप सरकार ने बिल्कुल आख़िरी दिन चीन को यह 'गिफ़्ट' दिया है. ट्रंप प्रशासन की ओर से चीन को जाते-जाते यह आख़िरी झटका दिया गया है. पॉम्पियो का यह बयान चीन के उत्तरी-पश्चिमी शिंजियांग में वीगरों को लेकर उसकी कार्रवाई पर अब तक की सबसे कड़ी टिप्पणी है. इस मामले में दुनिया के किसी भी देश इतना कड़ा बयान नहीं दिया है. ईयू, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया भी शिंजियांग में मानवाधिकरों की स्थिति को लेकर हमलावर रहे हैं.

यह चीन पर अप्रत्याशित अंतरराष्ट्रीय दबाव डालने में अहम साबित हो सकता है लेकिन क्या इससे चीन की सरकार का रवैया बदलेगा? आज की तारीख़ में चीन मज़बूत स्थिति में है और महामारी के बीच भी उसकी आर्थिक वृद्धि दर सकारात्मक है जबकि अमेरिका कई तरह की उठापटक से जूझ रहा है.

इसे लेकर चीन के सरकारी मीडिया के प्रतिनिधियों की तरफ़ से कड़ी आपत्ति जताई गई है. चीन के सरकारी मीडिया ने कहा कि अमेरिका की सरकार ने महामारी को संभालने में अपनी कमज़ोरी के कारण अमेरिकी नागरिकों का जनसंहार किया है. कोविड-19 महामारी से अमेरिका में अब तक चार लाख लोगों की मौत हो चुकी है.

चीन से अमेरिका समेत कई देशों की दूरियाँ बढ़ी हैं और अब भी सामान्य नहीं हो पाए हैं. चीन को लेकर मानवाधिकारों और आर्थिक हितों में संतुलन बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं.

हालांकि बाइडन टीम ने भी विगर मुसलमानों के दमन को जनसंहार कहा है. लेकिन बाइडन प्रशासन की प्राथमिकता में ये सब चीज़ें शामिल नहीं है. लेकिन अमेरिका की नई सरकार को भी इस मामले में ठोस निर्णय लेना होगा. अब यह साफ़ है कि व्हाइट हाउस से ट्रंप के विदा होने के बाद भी चीन और अमेरिका में जैसे को तैसे की नीति थमने वाली नहीं है.

ब्राज़ील
Getty Images
ब्राज़ील

शिंजियांग में अभी कैसी स्थिति है?

चीन का कहना है कि वो पश्चिमी प्रांत शिंजियांग में अलगाववाद, अतिवाद और आतंकवाद से लड़ रहा है. यहाँ 1.1 कोरोड़ वीगर रहते हैं. चीन का कहना है कि इन तीनों से लड़ने के लिए उसने कैंप बनाए हैं और यह एक ज़रूरी क़दम है. हाल के वर्षों में शिंजियांग के कैंपों में बड़ी संख्या में हान समुदाय के लोगों को रखा गया है. 1990 के दशक से हान विरोधी अलगाववादी प्रवृत्ति ज़्यादा मुखर हुई है. इन मामलों में हिंसा को भी बढ़ावा मिला है.

वीगरों के अधिकारों के लिए अभियान चलाने वालों का कहना है कि चीन वीगर संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है और मुसलमानों को सूअर के मांस और शराब पीने पर मजबूर किया जा रहा है. पिछले हफ़्ते ट्रंप प्रशासन ने चीन के शिंजियांग से टमाटर और कपास के आयात पर पाबंदी लगा दी थी. इसी इलाक़े में सबसे ज़्यादा वीगर मुसलमान रहते हैं.

अमेरिकी अनुमानों के अनुसार शिंजियांग में दुनिया भर के कपास उत्पादन का एक चौथाई से ज़्यादा हिस्सा यहीं होता है. चीन पर शिंजियांग की कॉटन इंडस्ट्री में निगरानी कैंप और बंधुआ मज़दूरी के भी गंभीर आरोप हैं.

बीबीसी की 2019 की पड़ताल में पता चला था कि शिंजियांग में बच्चों को सुनियोजित तरीक़े से परिवार वालों से अलग रखा गया है और ये सभी मुसलमान हैं. हाल के शोधों से ये भी पता चला है कि वीगर महिलाओं को परिवार नियोजन के लिए भी मजबूर किया गया. हालाँकि चीन इन आरोपो को ख़ारिज करता रहा है.

ट्रंप
Getty Images
ट्रंप

कौन हैं वीगर मुसलमान

चीन के पश्चिमी प्रांत शिंजियांग में चीनी प्रशासन और यहां के स्थानीय वीगर जनजातीय समुदाय के बीच संघर्ष का बहुत पुराना इतिहास है.

वीगर असल में मुसलमान हैं. सांस्कृतिक और जनजातीय रूप से वे ख़ुद को मध्य एशियाई देशों के नज़दीकी मानते हैं.

सदियों से इस इलाक़े की अर्थव्यवस्था कृषि और व्यापार केंद्रित रही है. यहां के काशगर जैसे कस्बे प्रसिद्ध सिल्क रूट के बहुत सम्पन्न केंद्र रहे हैं.

बीसवीं शताब्दी के शुरुआती दिनों में वीगरों ने थोड़े समय के लिए ख़ुद को आज़ाद घोषित कर दिया था. इस इलाक़े पर कम्युनिस्ट चीन ने 1949 में पूरी तरह नियंत्रण हासिल कर लिया था.

दक्षिण में तिब्बत की तरह ही शिंजियांग भी आधिकारिक रूप से स्वायत्त क्षेत्र है.

वीगर
Getty Images
वीगर

वीगरों की शिकायतें

चीन का आरोप है कि राबिया कदीर समेत निर्वासित वीगर समस्या को बढ़ा रहे हैं.

जबकि सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि केंद्रीय सरकार की नीतियों ने धीरे-धीरे वीगरों के धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को दरकिनार कर दिया गया.

बीजिंग पर आरोप है कि 1990 के दशक में शिनजियांग में हुए प्रदर्शनों और दोबारा 2008 में बीजिंग ओलंपिक के रन अप के दौरान हुए प्रदर्शनों के बाद सरकार ने दमन तेज़ कर दिया था.

पिछले दशक के दौरान अधिकांश प्रमुख वीगर नेताओं को जेलों में ठूंस दिया जाता रहा या चरमपंथ के आरोप लगने के बाद वे विदेशों में शरण मांगने लगे.

शिंजियांग में चीन के हान समुदाय को बड़े पैमाने पर बसाने की कार्रवाई ने यहां वीगरों को अल्पसंख्यक बना दिया है.

चीन पर यह भी आरोप लगा कि इस इलाके में अपने दमन को सही ठहराने के लिए वो वीगर अलगवावादियों के ख़तरे को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करता है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Trump government attacked China on the last day, also commented on India
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X