अमेरिकी कोर्ट ने राष्ट्रपति ट्रंप को दिया आदेश, ट्विटर पर किसी को ब्लॉक करना संविधान के खिलाफ
न्यूयॉर्क। अमेरिका के एक कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आदेश दिया है और कहा है कि वह अपने ट्विटर अकाउंट से किसी को ब्लॉक नहीं कर सकते हैं। मंगलवार को अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि ट्रंप का आलोचकों को ब्लॉक करना संविधान के खिलाफ है और ऐसा करना सरासर गलत है। निश्चित तौर पर ट्विटर पर सक्रिय ट्रंप के लिए कोर्ट का फैसला चौंकाने वाला है। न्यूयॉर्क की कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द सेकेंड सर्किट कोर्ट की ओर से कहा गया कि ट्रंप सिर्फ इसलिए अपने आलोचकों को ब्लॉक कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने या तो उनका मजाक उड़ाया है या फिर उनकी आलोचना की है। ऐसा करके वह संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं।
पहला हाई-प्रोफाइल केस
न्यूयॉर्क टाइम्स की मानें तो कोर्ट का फैसले का बहुत बड़ा असर होगा । इस फैसले से यह पता लग पाएगा कि आखिर आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स पर संविधान का पहला संशोधन कैसे लागू हो पाएगा। कोर्ट ने कहा है कि ट्रंप अक्सर अपने ट्विटर हैंडल का प्रयोग अपने सरकारी कामकाज के लिए करते हैं। ऐसे में वह अमेरिकी नागरिकों को अपनी पोस्ट्स पढ़ने से नहीं रोक सकते हैं और न ही वह पोस्ट्स पर उन्हें जवाब देने से रोक सकते हैं। तीन जजों के पैनल ने ट्रंप को यह आदेश दिया है। कोर्ट की तरफ से आया यह आदेश अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन के तहत दिया पहला हाई-प्रोफाइल फैसला है।
क्या कहता है अमेरिकी संविधान
अमेरिकी संविधान का पहला संशोधन यानी फर्स्ट एमेंडमेंट कई तरह की आजादी नागरिकों को देता है जिसमें धर्म, भाषा, मीडिया और सरकार के खिलाफ याचिका दायर करने की आजादी सबसे अहम है। इस बिल का पहला हिस्सा अधिकारों से जुड़ा था जिसे 15 दिसंबर 1791 में संविधान में शामिल किया गया था। जज बारिंगटन डी पार्कर ने लिखा आज ऑनलाइन राजनीतिक मसलों पर अभिव्यक्ति काफी तेजी से बढ़ रही है, जब सरकार का बर्ताव एक विस्तृत और लचीली बहस का विषय है जिससे एक अलग तरह के 'जुनून और पंसद में तीव्रता देखी जाती है,' जिसे पहले कभी नहीं देखा गया।
सिर्फ आलोचना ब्लॉकिंग की वजह नहीं
जज पार्कर ने लिखा संविधान का पहला संशोधन किसी भी अधिकारी को सोशल मीडिया अकाउंट को सरकारी मकसद लिए जनता को एक ऑनलाइन डायलॉग से सिर्फ इसलिए बाहर करने की मंजूरी नहीं देता है क्योंकि अधिकारी को तर्क विवादास्पद लगता है। जज ने आगे कहा कि यह बहस बहुत ही असहज है और नाखुश करने वाली है क्योंकि यह अच्छी बात नहीं है। वहीं अमेरिकी सरकार के न्याय विभाग की ओर से इस फैसले पर नाराजगी जताई गई है। विभाग की तरफ से कहा गया है कि अभी तक इस बात पर फैसला नहीं लिया गया है कि इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी है या फिर किसी अपीलीय कोर्ट में।
अपने ट्विटर हैंडल से करते नीतियों का ऐलान
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के नाइट फर्स्ट एमेंडमेंट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर जमील जाफर की तरफ से कोर्ट में उस समय याचिका दायर की गई जब ट्रंप ने कुछ ट्विटर यूजर्स को ब्लॉक कर दिया था। न्याय विभाग के प्रवक्ता केली लाको की ओर से कहा गया है कि कोर्ट के फैसले से वह निराश हैं। कोर्ट में कहा गया था कि यह राष्ट्रपति ट्रंप का फैसला है कि वह किसे अपने पर्सनल ट्विटर अकाउंट पर ब्लॉक करना चाहते हैं और किसे नहीं। ऐसा करके वह संविधान का उल्लंघन हरगिज नहीं कर रहे हैं। ट्रंप के ट्विटर हैंडल @realDonaldTrump को करीब 62 मिलियन लोग फॉलो करते हैं। वह अक्सर अपने इसी ट्विटर हैंडल से सरकारी नीतियों के बारे में ऐलान करते हैं।