H-1B वीजा में जीवनसाथी से जुड़ा एक नियम खत्म करके भारतीयों की मुश्किलें बढ़ाएंगे डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन एच-1बी वीजा होल्डर्स के जीवनसाथियों के लिए वर्क परमिट वीजा को खत्म करने की योजना बना रहा है। ट्रंप प्रशासन पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय के एक नियम को खत्म करने जा रहा है जो एच-1 वीजा होल्डर्स से जुड़ा है।
वॉशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन एच-1बी वीजा होल्डर्स के जीवनसाथियों के लिए वर्क परमिट वीजा को खत्म करने की योजना बना रहा है। ट्रंप प्रशासन पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय के उस नियम को खत्म करने जा रहा है जिसके तहत एच-1बी वीजा होल्डर्स के पति या पत्नी को वर्क परमिट जारी हो जाता था। नई योजना के तहत पति के पास अब एच-1बी वीजा तो उसकी पत्नी को काम करने की अनुमति नहीं मिलेगी। इसी तरह पत्नी के पास वीजा होने पर पति को वर्क परमिट नहीं मिलेगा। अमेरिकी एजेंसी के एक टॉप ऑफिसर ने इस बात की जानकारी दी। इस नई योजना का सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर पड़ेगा।
70,000 से ज्यादा वीजा होल्डर्स
अमेरिका में इस समय 70,000 से ज्यादा लोग हैं जिनके पास एच-4 वीजा है और ओबामा प्रशासन के इस नियम को खत्म करने से इन लोगों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। एच-4 वीजा एच-1बी वीजा होल्डर्स के जीवनसाथी को जारी किया जाता है। इनमें से बड़ी संख्या में भारतीय प्रोफेशनल्स हैं। इन सभी को वर्क या वर्क परमिट वीजा ओबामा प्रशासन के कार्यकाल में जारी विशेष आदेश के जरिए मिला था। इस नियम का सबसे अधिक फायदा भारतीय-अमेरिकियों को मिला था। एक लाख से अधिक एच-4 वीजा होल्डर्स को इस नियम का लाभ मिल चुका है। ओबामा प्रशासन के 2015 के नियम के अनुसार H-1B वीजा धारकों के जीवनसाथियों को वर्क परमिट की अनुमति दी थी , पहले वे कोई नौकरी नहीं कर सकते।
2017 तक 93% भारतीयों को मिला फायदा
इसका दूसरा रास्ता यह है कि एच-1बी वीजाहोल्डर्स लोकल रेजीडेंस का दर्जा हासिल करें। इस प्रक्रिया में एक दशक या अधिक का समय लगता है। ऐसे में ओबामा प्रशासन के इस नियम से उन एच-1बी वीजाहोल्डर्स को फायदा हुआ था , जिनके जीवनसाथी भी अमेरिका में नौकरी करना चाहते हैं। ट्रंप प्रशासन अब इसे खत्म करने की योजना बना रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इसका ऐलान हो सकता है। यूएस सिटीजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विस (यूएससीआईएस)डायरेक्टर फ्रांसिस सिसना ने सीनेटर चक ग्रासले को पत्र लिखकर यह जानकारी दी है। साल 2017 की शुरुआत तक जिन लोगों को इस प्रावधान के तहत वर्क परमिट मिला उनमें 94 प्रतिशत महिलाएं थीं और 93 प्रतिशत भारत से थीं वहीं चार प्रतिशत चीन से।