ग्वाटेमाला के एक गांव को लील गया फ्यूएगो ज्वालामुखी, अब तक 62 की मौत
सोमवार को ग्वाटेमाला में रेस्क्यू वर्कर्स को धूल और मलबे के नीचे से और शव मिले हैं और अब यहां पर ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से मरने वालों की संख्या 62 पहुंच गई है। अमेरिका के देश ग्वाटेमाला में चार दशकों से भी ज्यादा समय से धधक रहा फ्यूएगो ज्वालामुखी रविवार को भड़क गया है।
ग्वाटेमाला सिटी। सोमवार को ग्वाटेमाला में रेस्क्यू वर्कर्स को धूल और मलबे के नीचे से और शव मिले हैं और अब यहां पर ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से मरने वालों की संख्या 62 पहुंच गई है। मध्य अमेरिका के देश ग्वाटेमाला में चार दशकों से भी ज्यादा समय से धधक रहा फ्यूएगो ज्वालामुखी रविवार को भड़क गया है। इसकी वजह से यहां पर सैंकड़ों लोग घायल हैं और सड़कों पर लावा नदी की तरह बह रहा है। फ्यूएगो का अर्थ होता है फायर यानी आगे और इसमें ब्लास्ट के बाद लावा आठ किलोमीटर तक फैला हुआ है। ग्वाटेमाला की डिजास्टर एजेंसी के महासचिव सरगियो कबानासा ने रेडियो पर बताया सड़कों पर लावा नदी की तरह बह रहा है और इसने रोडेयो गांव में काफी तबाही मचाई है।
पूरा गांव दब गया मलबे में
इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंन्सिक साइंसेज (आईएनएसीआईएफ) को मृतकों की पहचान करने की जिम्मेदारी दी गई है। फैनयूएल गारसिया जो इसके प्रमुख हैं, उन्होंने बताया है कि अब तक इंस्टीट्यूट की ओर से 62 शवों की पहचान की जा चुकी है। फ्यूएगो ज्वालामुखी जो 12,346 की ऊंचाई पर है, रविवार को इसमें ब्लास्ट हो गया था। इसके बाद इसमें से धुंए का गुबार और बड़े-बड़े पत्थर कीचड़ के साथ मिलकर सड़कों पर आ गए हैं। अथॉरिटीज का कहना है कि मृतकों की संख्या अभी और बढ़ सकती है। फिलहाल सर्च ऑपरेशन जारी है और जो लोग बचे हैं उनकी तलाश का काम जोरों पर हो रहा है। शुरुआत में मृतकों की संख्या 25 थी लेकिन एक गांव में कीचड़ के नीचे से शवों की बरामदगी के बाद यह संख्या बढ़कर 62 पहुंच गई है।
3100 लोग निकाले गए
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि करीब 3,100 लोगों को इलाके से निकाल लिया गया है। राष्ट्रपति जिमीर मोराल्स का कहना है कि उन्होंने चिमाल्टेनांगो, इस्युइंट्ला और सेकाटेपेकेज के इमरजेंसी विभाग और अपने मंत्रियों को आपातकाल की स्थिति घोषित करने के बारे में सोचने को कहा है। इस वर्ष यह दूसरा मौका है जब यह ज्वालामुखी फटा है। ज्वालामुखी के फटने से काफी तेज ब्लास्ट हुआ और पूरा आसमान राख से भर गया। इस राख ने सैन पेड्रो येपोकापा और सांग्रे डे क्रिस्टो में कारों और घरों को भी अपनी आगोश में ले लिया।
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