कोरोना के चलते रोग प्रतिरोधक क्षमता की तीव्र प्रतिक्रिया दिमाग को नुकसान पहुंचा सकती है: शोध
वॉशिंगटन, 06 जुलाई। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ की एक अध्ययन में चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। इस अध्ययन के अनुसार कोरोना के चलते रोग प्रतिरोधक क्षमता जिस तरह से काम करता है वह दिमाग की नसों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसके चलते मानसिक दिक्कतें हो सकती है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के शोधकर्ताओं ने इसको लेकर परीक्षण किया है कि आखिर कैसे कोरोना वायरस के संपर्क में आने से दिमाग अलग तरह से काम करता है। यह शोध 9 लोगों पर किया गया जिनकी कोरोना के संपर्क में आने से तुरंत मौत हो गई है।
वैज्ञानिकों को इस बात की जानकारी मिली है कि वायरस और दूसरे बाहरी संक्रमण के शरीर में आने के बाद इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी और प्रोटीन को उत्पन्न करता है ताकि वह इससे लड़ सके। जिसकी वजह से दिमाग की कोशिकाओं पर इसका असर पड़ता है, जिसकी वजह से दिमाग पर इसका नकारात्मक असर होता है। इससे पहले जो शोध किया गया था उसमे कहा गया था कि मरीज के दिमाग के भीतर SARS-CoV-2 नहीं पाया गया था, जिससे यह निष्कर्स निकला गया कि यह सीधे दिमाग पर असर नहीं करता है।
एनआईएच की ओर से कहा गया है कि आखिर कैसे SARS-CoV-2 दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है इसकी जानकारी हासिल करने के बाद मरीज को कोरोना संक्रमण में बेहतर इलाज दिया जा सकता है। खासकर कि उन मरीजों को जो पहले से ही मस्तिष्क की बीमारी से जूझ रहे हैं। एनआईएनडीसी के क्लीनिकल डायरेक्टर अविंद्र नाथ ने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीजों में अक्सर मस्तिष्क से संबंधित दिक्कतें आती हैं, लेकिन पैथोफिजियोलॉजिकल प्रक्रिया अभी तक पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। हमने पहले देखा कि मरीजों की नसों को नुकसान पहुंचा। ब्रेन अटॉप्सी में यह बात स्पष्ट हुई थी, लेकिन यह नुकसान किस वजह से हुआ था यह स्पष्ट नहीं हो सका। ऐसे में मुझे लगता है कि यह जो नया शोध सामने आया है वह हमे काफी अहम जानकारी देता है।