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चीन को मिलेगा जवाब: ओमान के दुकाम पोर्ट को मिलिट्री बेस के लिए प्रयोग कर सकेगा भारत

हिंद महासागर में भारत की सामरिक स्थिति को और मजबूत करने के लिए ओमान ने उसे अपने यहां स्थित अल दुकम बंदरगाह का प्रयोग करने की इजाजत दे दी है। भारत को ईरान के चाबहार बंदरगाह तक व्यावसायिक पहुंच पहले ही हासिल हो गई थी।

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मस्‍कट। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को ओमान के साथ अपने तीन देशों का दौरा खत्‍म करके लौटे हैं। पीएम मोदी के इस दौरे पर भारत और ओमान के बीच आठ अहम समझौते हुए हैं। इन्‍हीं आठ समझौतों में से एक समझौता ऐसा भी है जिसने भारत की स्थिति को और मजबूत करने का काम किया है। इस सौदे के बाद भारत न सिर्फ चीन को मुंहतोड़ जवाब दे सकेगा बल्कि रणनीतिक तौर पर भी काफी हद तक सफल हो पाएगा। हिंद महासागर में भारत की सामरिक स्थिति को और मजबूत करने के लिए ओमान ने उसे अपने यहां स्थित अल दुकम बंदरगाह का प्रयोग करने की इजाजत दे दी है।

चीन का प्रभुत्‍व होगा कम

चीन का प्रभुत्‍व होगा कम

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से जो जानकारी दी है उससे तो यह पता चलता है। अगर ऐसा है तो फिर पाकिस्तान से लेकर मध्य एशिया तक चीन के बढ़ते प्रभाव के लिहाज से इसे भारत के लिए एक बड़ी सफलता कहा जा सकता है। भारत को ईरान के चाबहार बंदरगाह तक व्यावसायिक पहुंच पहले ही हासिल हो गई थी। अब ओमान के महत्वपूर्ण दुकम पोर्ट के मिलिट्री और लॉजिस्ट‍िकल सपोर्ट के लिए प्रयोग करने की इजाजत मिल गई है। भारत अब ओमान के इस बंदरगाह तक अपने जहाज भेज सकेगा। साथ ही इंडियन नेवी भी इसका प्रयोग कर सकेगी।साफ है कि अगर चीन ने ग्‍वादर पोर्ट तक पहुंचने और इसे मिलिट्री बेस के तौर पर प्रयोग करने का मन बनाया है तो अब भारत ने भी इस कदम चीन को जवाब देने की तैयारी कर ली है।

बढ़ेगा सैन्‍य सहयोग

बढ़ेगा सैन्‍य सहयोग

पीएम मोदी ने ओमान के सुल्तान सैयद कबूस बिन सईद अल सईद से मुलाकात की थी और इस दौरान दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग एक के एक समझौते पर भी दस्तखत हुए हैं। इस समझौते के लागू होने के बाद दुकम बंदरगाह और ड्राई डॉक का इस्तेमाल भारतीय सैन्य जहाज के रखरखाव के लिए किया जा सकेगा। पीएम मोदी के ओमान दौरे के बाद दोनों देशों ने उस एमओयू पर भी ध्‍यान दिया जिसे साल 2005 में साइन किया गया और साल 2016 में रिन्‍यू किया गया था। यह एमओयू दोनों देशों के बीच होने वाले मिलिट्री सहयोग से जुड़ा था। भारत और ओामान दोनों ने ही मैरीटाइम सिक्‍योरिटी और दोनों देशों के तटरक्षक बलों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया है।

स्‍पेशल इकोनॉमिक जोन अल दुकम

स्‍पेशल इकोनॉमिक जोन अल दुकम

दुकम बंदरगाह एक विशेष आर्थिक क्षेत्र भी है जहां भारतीय कंपनियों की ओर से करीब 1.8 बिलियन डॉलर का निवेश किया जा रहा है। अडानी ग्रुप ने दुकम अथॉरिटीज के साथ एक एमओयू साइन किया है लेकिन अभी तक कोई निवेश इस ग्रुप की ओर से नहीं किया जा सका है। दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्‍त बयान में कहा गया है कि पीएम मोदी ने ओमान के सुल्‍तान की ओर से किए जा रहे उन प्रयासों को सराहा है जिनके तहत यहां पर भारतीय कंपनियों को निवेश के लिए आमंत्रण दिया गया है।

 चाबहार के करीब दुकम

चाबहार के करीब दुकम

दुकम बंदरगाह ओमान के दक्ष‍िण-पूर्वी समुद्र तट पर स्थ‍ित है और यह ईरान के चाबहार बंदरगाह के करीब ही है। यहां तक पहुंच बनने के बाद भारत को हिंद महासागर के इस इलाके में सामरिक मजबूती हासिल हो जाएगी। दुकम में हाल के महीनों में भारत की गतिविधियां बढ़ गई हैं। पिछले साल सितंबर में भारत ने यहां एक पनडुब्बी भेजा था। इसके साथ वहां इंडियन नेवी की एक शिप आईएनएस मुंबई और दो सर्विलांस एयरक्राफ्ट पी-8 आई निगरानी विमान भी गए थे।

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English summary
To counter China in Gawadar India gets Oman's key port Al Duqm access for Military purpose.
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