दो दिनों के बाद पाकिस्तान में क्या होगा? इस्लामाबाद के बाहर 10 हजार कट्टरपंथियों ने डाला डेरा
तहरीक-ए-लब्बैक ने पाकिस्तान सरकार को दो दिनों का अल्टीमेटम दिया है। इस्लामाबाद के बाहर 10 हजार से ज्यादा कट्टरपंथियों ने डेरा डाल दिया है।
इस्लामाबाद, अक्टूबर 25: पाकिस्तान की इमरान खान सरकार बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गई है। हालांकि, देश को बड़ी मुसीबत में छोड़कर खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री सऊदी अरब में अपनी पत्नी के साथ उमरा कर रहे हैं, जिसके लिए पाकिस्तान में उनकी जमकर आलोचना की जा रही है। जबकि दूसरी तरफ देश के कई शहरों में भीषण प्रदर्शन चल रहा है और अब तहरीक-ए-लब्बैक ने पाकिस्तान सरकार को सिर्फ दो दिनों को अल्टीमेटम दिया है और उसके बाद अंजाम भुगतने की धमकी दी है।
2 दिनों का अल्टीमेटम
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तान की कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पार्टी के 10 हजार से ज्यादा कार्यकर्ता राजधानी इस्लामाबाद के बाहर डेरा डाले हुए हैं और अपने नेताओं के इशारे का इंतजार कर रहे हैं। तहरीक-ए-लब्बैक ने इमरान खान सरकार को बातें मानने के लिए दो दिनों की मोहलत दी है और उसके बाद अंजाम की जिम्मेदारी भी पाकिस्तान सरकार के ऊपर छोड़ दी है। तहरीक-ए-लब्बैक ने पाकिस्तान की सरकार के सामने दो मांगे रखी हैं, जिन्हें पूरा करना इमरान सरकार के लिए कतई आसान नहीं हैं।
कट्टरपंथियों की दो मांगे
तहरीक-ए-लब्बैक ने जब पिछली बार यानि इसी साल अप्रैल महीने में पूरे पाकिस्तान में हिंसक प्रदर्शन किया था, तो दर्जनों पुलिस जवानों को मार दिया गया था, वहीं तहरीक-ए-लब्बैक के कई कार्यकर्ता भी मारे गये थे, जिसके बाद इमरान खान सरकार ने तहरीक-ए-लब्बैक के प्रमुख मौलाना साद रिजवी को गिरफ्तार कर लिया था और इस संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था। मौलाना साद रिजवी अभी भी जेल में बंद हैं, जबकि अदालत से उनकी रिहाई का आदेश दिया जा चुका है, जिसके बाद तहरीक-ए-लब्बैक के कार्यकर्तांओं में भारी आक्रोश है और उनकी पहली मांग फौरन साद रिजवी को रिहा करने की है। जबकि, उनकी दूसरी मांग है, फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से बाहर निकाला जाए और फ्रांस का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया जाए, क्योंकि फ्रांस ने पैगंबर का अपमान किया है। इमरान खान सरकार अगर साद रिजवी को रिहा करती है, तो इसका मतलब ये हुआ कि वो कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक रही है, और फ्रांस से डिप्लोमेटिक संबंध खत्म कर पाकिस्तान किसी भी हाल में यूरोपीयन देशों से दुश्मनी मोल लेना नहीं चाहती है।
सरकार से बातचीत
दूसरी तरफ पंजाब पुलिस के साथ हिंसक झड़प के बाद पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख रशीद को अपना दुबई से वापस लौटना पड़ा और उन्होंने कहा है कि, प्रतिबंधित संगठन के साथ बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि, बातचीत के अनुसार टीएलपी इस्लामाबाद की ओर मार्च नहीं करेगी, बल्कि लाहौर से लगभग 50 किमी दूर मुरीदके में जीटी रोड पर "शांतिपूर्ण" धरना देगी, वहीं सरकार पिछले कुछ दिनों में हिरासत में लिए गए पार्टी कार्यकर्ताओं को रिहा करेगी। पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री ने कहा कि, पाकिस्तान में फ्रांसीसी दूत के निष्कासन से संबंधित मुद्दे को नेशनल असेंबली में रखा जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई है कि, स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी। लेकिन, पाकिस्तान के गृहमंत्री ने जिस सामान्य स्थिति की बात कही है, वो उतनी आसान है नहीं, क्योंकि तहरीक-ए-लब्बैक एक कदम भी पीछे हटने के मूड में नहीं है।
सरकार को 2 दिनों का समय
तहरीक-ए-लब्बैक ने पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री से 8 घंटे लंबी चली बैठक के बाद बयान जारी करते हुए कहा कि, ''सरकार ने हमसे दो दिनों का समय मांगा है (फ्रांस के राजदूत को देश से निष्कासित करने के लिए) वहीं, सरकार हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं को रिहा करने की बात पर तैयार हो गई है, जिसमें हमारे प्रमुख साद रिजवी भी शामिल हैं। सरकार हमारे संगठन के कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज किए गये सारे मुकदमों को वापस लेगी, लेकिन हमारा विरोध मार्च हमारी मांगों को स्वीकार करने के बाद ही खत्म होगा। आपको बता दें कि, शनिवार को तहरीक-ए-लब्बैक के कार्यकर्ताओं ने हिंसक प्रदर्शन किया था, जिसमें पाकिस्तानी पुलिस के 3 जवानों की मौत हो गई थी, जबकि टीएलपी के 7 कार्यकर्ता भी मारे गये थे।
कौन है मौलाना साद रिजवी
पाकिस्तान में हजारों की तादाद में कट्टरपंथी नेता हैं जो इस्लाम के नाम पर लोगों का खून बहाने पर आमादा रहते हैं। साद रिजवी से पहले खादिम हुसैन रिजवी तहरीक-ए-लब्बैक के नेता थे, लेकिन अचानक उनका निधन हो गया, जिसके बाद तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान का नया नेता साद रिजवी को बनाया गया। साद रिजवी अपने भड़काने वाले बयानों के लिए पाकिस्तान में काफी चर्चित भी है। साद रिजवी अपने समर्थकों के साथ पाकिस्तान में कट्टरपंथी कानून बनाने का वकालत करता है और लगातार पाकिस्तान की सरकार पर दबाव बनाता रहता है। साद रिजवी और उसके समर्थक ईशनिंदा कानून को खत्म नहीं करने के लिए भी हमेशा से सरकार पर दबाव बनाती रही है। साद रिजवी और उसका संगठन तहरीक-ए-लब्बैक चाहती है कि पाकिस्तान सरकार फ्रांस के अपने सारे संबंध खत्म करे, फ्रांस के सामानों का बहिष्कार करे और फ्रांस के राजदूत को पाकिस्तान से बाहर निकाला जाए।
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