नासा ने दी 2020 की एक और बुरी खबर, 2 नवम्बर को धरती से टकरा सकता है ये उल्कापिंड
वाशिंगटन। लगता है 2020 आखिर तक बुरी खबरों से पीछा नहीं छूटने वाला है। अब नासा के वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के एक दिन पहले एक क्षुद्रग्रह धरती से टकराने वाला है। नासा ने इसे "2018VP1" नाम दिया है। 6.5 फीट व्यास का ये एस्टेरॉयड अमेरिकी चुनाव के एक दिन पहले धरती के पास से गुजरेगा। अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति पद के चुनाव होने वाले हैं।
धरती के पास होकर गुजरेगा एस्टेरॉयड
सीएनएन न्यूज नेटवर्क ने नासा के वैज्ञानिकों के हवाले से बताया कि ये एस्टेरॉयड धरती के बिल्कुल पास से होकर गुजरेगा। इसके धरती से टकराने की संभावना 0.41 प्रतिशत बताई जा रही है। वैज्ञानिकों द्वारा इसेसबसे पहले 2018 में कैलिफोर्निया स्थित पालोमर वेधशाला (ऑब्जर्वेटरी) से देखा गया था। इसके बाद से वैज्ञानिक इस पर नजर रखे हुए हैं। एस्टेरॉयड ऐसे खगोलीय पिंड हैं तो सूर्य का चक्कर लगाते रहते हैं। ये ग्रह की तुलना में काफी छोटे होते हैं। कभी-कभी ये ग्रहों के करीब से गुजरते हैं जिससे इनके टकराने का खतरा बढ़ जाता है।
वैज्ञानिकों ने जताई राहत की उम्मीद
वैज्ञानिकों के मुताबिक ये एस्टेरॉयड तीन तरह से असर कर सकता है लेकिन राहत की बात ये है कि हाल में किए गए 21 अध्ययनों के आधार पर ये पाया जा गया है ये ज्यादा असरकारक नहीं होगा। इसके पहले पिछले सप्ताह की कार के बराबर क्षुद्रग्रह ने धरती के बिल्कुल पास से उड़ान भरी थी। इस उल्कापिंड के बारे में वैज्ञानिकों को पहले से कोई जानकारी नहीं थी। वैज्ञानिकों को इसका पता चला जब ये हमारी धरती के ठीक ऊपर से गुजरा। नासा के मुताबिक ये उल्कापिंड रविवार को दक्षिणी हिंद महासागर के 2950 किमी ऊपर से भारतीय समयानुसार शाम के 9 बजकर 38 मिनट पर गुजरा था।
भारत के दो छात्रों ने की खोज
एस्टेरॉयड या उल्कापिंड धरती से बहुत अधिक दूरी पर सुरक्षित रूप से गुजरते हैं। आमतौर पर ये चंद्रमा से काफी दूर होता है। इस एस्टेरॉयड 2020 QG का चित्र नासा द्वारा पोषित एजेंसी ने उस समय लिया था जब ये पृथ्वी से दूर जा रहा था। एसयूवी के आकार के इस एस्टेरॉयड की खोज हरियाणा और पुणे के रहने वाले आईआईटी-बॉम्बे के दो छात्रों ने की थी। इन छात्रों के नाम कुणाल देशमुख और कृति शर्मा हैं। दोनों एस्टेरॉयड को लेकर एक शोध परियोजना पर काम कर रहे हैं। दोनों ने कैलिफोर्निया स्थित जेडटीएफ संस्थान से मिले डेटा के कुछ ही घंटों बाद इस खगोलीय पिंड की खोज की।