अमेरिका में H1B वीजा धोखाधड़ी केस में भारतीय मूल के तीन अधिकारी गिरफ्तार
नई दिल्ली। अमेरिका में भारतीय मूल के तीन कंसल्टेंट को वीजा फ्रॉड के मामले में आरोपी बनाया गया है। उनपर आरोप हैं कि उन्होंने लोकप्रिय एच-1बी वीजा के लिए नकली दस्तावेज पेश किए ताकि प्रतिद्वंद्वी फर्म के मुकाबले बढ़त पाया जा सके। कैलिफोर्निया की संघीय अदालत में चल रहे इस मामले के बारे में संघीय अभियोजक डेविड एंडरसन ने बताया कि गिरफ्तार तीन अधिकारी किशोर दत्तपुरम, कुमार अश्वपति और संतोष गिरि हैं। ये लोग एक कंसल्टिंग फर्म नैनो सेमेंटिक्स इंक चलाते थे, जो कामगारों की अन्य कंपनियों में प्लेसमेंट का काम करती थी।
अधिकारियों ने कहा कि बरामद हुए वीजा आवेदन पत्रों में जिन कामगारों के लिए नामित कंपनियों में विशिष्ट नौकरियां थीं। अपराधियों को पता था कि वे नौकरियां वास्तव में हैं ही नहीं। इस मामले पर जांच-पड़ताल के लिए अपराधियों पर मुकदमा चलाया जाएगा। वहीं तीनों आरोपियों ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया है. उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है। भारत के टेक प्रफेशनल्स के बीच एच-1बी वीजा प्रोग्राम खासा लोकप्रिय है, जिसके जरिये विदेशी नागरिकों को अमेरिका में अस्थायी तौर पर रहने और काम करने की इजाजत मिलती है।
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एच-1बी वीजा के लिए नियोक्ता या स्पॉन्सर को यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप ऐंड इमिग्रेशन सर्विसेंज में आई-129 पिटीशन दाखिल करना होता है। पिटीशन और संबंधित दस्तावेज में नौकरी और उसकी अवधि की पुष्टि करता हुआ होना चाहिए, इसमें सैलरी और पद का भी ब्योरा होना चाहिए। कोर्ट के 8 पेज के दस्तावेज में कहा गया है कि दत्तापुरम (49), अस्वपति (49) और गिरि (42) सांता क्लारा में नैनोसिमैंटिक्स नाम की कंसल्टिंग फर्म चला रहे थे जिसका काम विदेशी नागरिकों को कैलिफॉर्निया के बे एरिया स्थिति आईटी कंपनियों में नौकरी दिलाना था। कोर्ट के दस्तावेज में कहा गया है कि तीनों ने प्रतिद्वंद्वी कंपनी से आगे बढ़ने के लिए विदेशी कामगारों की तरफ से वीजा से संबंधित फर्जी आवेदनों का इस्तेमाल किया।