एलन मस्क की इस चाल से बिटक्वाइन में भारी उछाल
एक बिटक्वाइन की कीमत 44,200 डॉलर पर पहुँच गई. ऐसा क्या किया एलन मस्क ने जिससे बिटक्वान का बाज़ार चढ़ता जा रहा है?
बिटक्वाइन... नाम तो सुना ही होगा. दुनिया की सबसे महंगी करेंसी. वर्चुअल ही सही. लेकिन इसके एक क्वाइन की कीमत है तकरीबन 31 लाख रुपये. बिटक्वाइन एक बार फिर चर्चा में इसलिए है क्योंकि इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी टेस्ला ने बिटक्वाइन में 1.5 अरब डॉलर का निवेश किया है.
टेस्ला ने पिछले महीने किए गए निवेश की जानकारी मस्क के उस ट्वीट के 10 दिन बाद दी है, जिसमें उन्होंने सिर्फ '#bitcoin' लिखा था.
यही नहीं टेस्ला ने ये भी कहा कि कंपनी अपनी कारों और दूसरे उत्पादों के लिए भुगतान लेने की योजना बना रही है.
इसके बाद बिटक्वाइन में 17 फ़ीसदी का भारी उछाल आया और एक बिटक्वाइन की कीमत 44,200 डॉलर पर पहुँच गई.बिटक्वाइन में एलन मस्क की दिलचस्पी के बाद इस वर्चुअल करेंसी को लेकर दीवानगी और बढ़ सकती है, क्योंकि स्टारबक्स और माइक्रोसॉफ़्ट जैसी बड़ी कंपनियाँ इसे पेमेंट के तौर पर स्वीकार करती आई हैं.
क्या है बिटक्वाइन
बिटक्वाइन एक डिजिटल करेंसी या कहें कि एक वर्चुअल करेंसी है.
जैसे भारत में रुपया, अमरीका में डॉलर, ब्रिटेन में पाउंड चलता है और ये फ़िज़िकल करेंसी होती हैं जिसे आप देख सकते हैं, छू सकते हैं और नियमानुसार किसी भी स्थान या देश में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन क्रिप्टो करेंसी की कहानी कुछ अलग है.
दूसरी करेंसी की तरह इसे छापा नहीं जाता और यही वजह है कि इसे आभासी यानी वर्चुअल करेंसी कहा जाता है.
बिटक्वाइन के बारे में दो बातें सबसे अहम हैं - एक तो ये कि बिटक्वाइन डिजिटल यानी इंटरनेट के ज़रिए इस्तेमाल होने वाली मुद्रा है और दूसरी ये कि इसे पारंपरिक मु्द्रा के विकल्प के तौर पर देखा जाता है.
जेब में रखे नोट और सिक्कों से जुदा, बिटक्वाइन ऑनलाइन मिलता है.
बिटक्वाइन को कोई सरकार या सरकारी बैंक नहीं छापते.
एक्सपीडिया और माइक्रोसॉफ़्ट जैसी कुछ बड़ी कंपनियाँ बिटक्वाइन में लेन-देन करती हैं.
इन सब प्लैटफ़ॉर्म पर यह एक वर्चुअल टोकन की तरह काम करता है.
हालांकि बिटक्वाइन का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल निवेश के लिए किया जाता है.
बिटक्वाइन के फ़ायदे और नुकसान
बाज़ार में बिटक्वाइन के अलावा भी अन्य क्रिप्टो करेंसी उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल आजकल अधिक हो रहा है. जैसे- रेड क्वाइन, सिया क्वाइन, सिस्कोइन, वॉइस क्वाइन और मोनरो.
साल 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने विनियमित संस्थाओं को क्रिप्टोकरेंसी में कारोबार नहीं करने के निर्देश जारी किए थे.
लेकिन इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने भारतीय रिज़र्व बैंक के सर्कुलर पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी.
जिसपर सुनवाई के बाद, मार्च 2020 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल करेंसी के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन की इजाज़त दे दी थी.
क्रिप्टो करेंसी के कई फ़ायदे हैं. पहला और सबसे बड़ा फ़ायदा तो ये है कि डिजिटल करेंसी होने के कारण धोखाधड़ी की गुंजाइश नहीं के बराबर है.
क्रिप्टो करेंसी में रिटर्न यानी मुनाफ़ा काफ़ी अधिक होता है. ऑनलाइन ख़रीदारी से लेन-देन आसान होता है.
क्रिप्टो करेंसी के लिए कोई नियामक संस्था नहीं है, इसलिए नोटबंदी या करेंसी के अवमूल्यन जैसी स्थितियों का इस पर कोई असर नहीं पड़ता.
लेकिन बिटक्वाइन जैसी वर्चुअल करेंसी में भारी उतार-चढ़ाव माथे पर सिलवटें डालने के लिए काफ़ी है.
पिछले पाँच साल में कई मौक़े ऐसे आये जब बिटक्वाइन एक ही दिन में बग़ैर चेतावनी के 40 से 50 प्रतिशत गिर गया.
2013 के अप्रैल में हुई गिरावट को कौन भूल सकता है जिसमें बिटक्वाइन की क़ीमत एक ही रात में 70 फ़ीसदी गिरकर 233 डॉलर से 67 डॉलर पर आ गई थी.
अमरीकी शेयर बाज़ार वॉल स्ट्रीट के चिंता जताने के बावजूद वहाँ बिटक्वाइन के लेन-देन को जारी रखने की इजाज़त है. लेकिन नुक़सान की आशंका हमेशा बनी रहती है.
इसका सबसे बड़ा नुक़सान तो यही है कि ये वर्चुअल करेंसी है और यही इसे जोखिम भरा सौदा बनाता है.
इस करेंसी का इस्तेमाल ड्रग्स सप्लाई और हथियारों की अवैध ख़रीद-फ़रोख्त जैसे अवैध कामों के लिए किया जा सकता है.
इस पर साइबर हमले का ख़तरा भी हमेशा बना रहता है. हालांकि जानकार कहते हैं कि ब्लॉकचेन को हैक करना आसान नहीं है.