चीन के शिंजियांग में एक साल में जन्मदर में आई 50% की गिरावट, मुसलमानों की है आबादी
नई दिल्ली- चीन ने आखिरकार मान लिया है कि उइगर मुसलमानों वाले इलाके शिंजियांग प्रांत में सिर्फ 1 वर्ष में जन्मदर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। चौंकाने वाली बात ये है कि यह आंकड़ा दो साल पहले का है और जन्मदर में गिरावट की मौजूदा स्थिति क्या है, इसको लेकर आशंका और बढ़ गई है। हालांकि, चीन ने यह दावा किया है कि जन्मदर में आई यह गिरावट बेहतर परिवार नियोजन कार्यक्रमों के चलते हुए हुआ है, ना कि जबरन नसबंदी और खास समुदाय की नरसंहार की वजह से। लेकिन, एक साल में किसी इलाके में जन्मदर का 50 फीसदी की रफ्तार से घटना बहुत ही चौंकाने वाला है, खासकर यह वो इलाका है, जहां जिनपिंग की सरकार पर 'जनसांख्यिकीय नरसंहार' (demographic genocide) के आरोप लगते रहे हैं।
एक साल में जन्मदर में 50 फीसदी की गिरावट
चीन के शिंजियांग प्रांत की सरकार ने माना है कि उसके पश्चिमी क्षेत्र में साल 2017-18 के बीच जन्मदर में अप्रत्याशित कमी आई है। उसने यह भी दावा किया है, ऐसा लोगों की स्वेच्छा से हुआ है। यही नहीं चीन का दावा तो यह भी है कि उइगर मुसलमानों की आबादी अभी भी 'निरंतर' बढ़ रही है। शिंजियांग सरकार के मुताबिक, '2017 में जन्मदर 1,000 लोगों में 15.88 था, जो कि 2018 में गिरकर 1,000 लोगों में 10.69 रह गया।' चीन की स्थानीय सरकार ने जन्मदर में आई इस भारी गिरावट के लिए अपने परिवार नियोजन कार्यक्रम के बेहतर तामील को लेकर अपनी पीठ थपथपाई है। चीन सरकार के दावे के मुताबिक शिंजियांग में 2018 में नवजातों की संख्या में 1,20,000 की गिरावट दर्ज की गई, जबकि 2017 में यह संख्या 80,000 थी। यानी एक साल में इस इलाके में जन्मदर में 50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
उइगर मुसलमानों की आबादी खतरे में ?
चीन के लिए उस क्षेत्र में जन्मदर में भारी गिरावट की बात कबूलना इसलिए बेहद अहम है, क्योंकि शिंजियांग और तिब्बत के लोगों पर अत्याचार के लिए वह हमेशा अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं का शिकार बनता रहा है। दुनियाभर में चीन की इस बात के लिए निंदा होती है कि वह इलाके के उइगर मुसलमानों के साथ बर्बरता करता है, उन्हें सभ्य बनाने के नाम पर कैदियों की तरह डिटेंशन सेंटर में डाल देता है। उनकी धार्मिक गतिविधियों को रोका जाता है, महिलाओं के साथ अभद्र बर्ताव होता है। यहां तक कि उइगर मुसलमानों की आबादी कम करने के लिए जबरिया नसबंदी के उपाय अपनाने की भी रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं। इस तरह के खिलासे अंतरराष्ट्रीय पत्रकार, डिटेंशन सेंटर से बचकर भाग निकले लोग और अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के लोग समय-समय पर करते रहे हैं। यही नहीं आरोप यहां तक हैं कि उइगर मुसलमानों के साथ इस तरह का व्यवहार शी जिनपिंग की ताकत बढ़ने के साथ-साथ बढ़ता ही जा रहा है। अभी हाल ही में वन इंडिया ने एक रिपोर्ट में बताया था कि अभी करीब 80,00,000 लाख उइगर मुसलमान वहां के विभिन्न कैंपों में कैदियों की तरह रहने को मजबूर हैं।
चीन में हो रहा है 'जनसांख्यिकीय नरसंहार' ?
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत नरसंहार एक गंभीर अपराध है। कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि एक बड़ी आबादी (उइगर मुसलमान) पर हर वक्त निगरानी करना, उन्हें प्रताड़ित करना, बेवजह बंदी बनाए रखना और कैंपों में बंद कर देना 'जनसांख्यिकीय नरसंहार' है। अभी हाल ही में एक अमेरिकी सांसद ने शिंजियांग इलाके की घटनाओं के विरोध में वहां कुछ सख्त पाबंदियां लगाए जाने की मांग की है, जिसमें वहां से आने वाले कुछ आयातों पर प्रतिबंध भी शामिल है। अमेरिका ने मानवाधिकार के उल्लंघन की घटनाओं को लेकर हाल में चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी के कुछ अधिकारियों पर पाबंदी लगाई भी है। (तस्वीरें सांकेतिक)