दुनिया कर रही है जिसका बेसब्री से इंतजार, जानिए वो 8 प्रमुख वैक्सीन कहां तक पहुंचीं?
कोरोना महामारी के पांच महीने हो चुके हैं। विश्व में तीन लाख 47 हजार से अधिक लोग इस बीमारी से मर चुके हैं। इस रोग की अभी तक कोई दवा नहीं है। इसलिए अरबों-खरबों लोग वैक्सीन की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं। वैक्सीन बनाने की तैयारी पूरी दुनिया में जोर-शोर से चल रही है। चिकित्सा वैज्ञानिकों की राय है कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए एक से अधिक वैक्सीन होनी चाहिए। किसी एक कंपनी की दवा पर निर्भर रहना सुरक्षित नहीं। इसलिए इसका विश्वस्तर पर अधिक से अधिक ट्रायल होना चाहिए। वैज्ञानिकों ने इस बात के लिए भी चिंता जाहिर की है कि पहले वैक्सीन बनाने की होड़ में कहीं इसकी गुणवत्ता से समझौता न कर लिया जाए। कोरोना वैक्सीन को लेकर वैज्ञानिकों की राय एकमत नहीं है। इससे निर्माण एजेंसियों के दावों पर संशय पैदा हो जा रहा है। जैसे एक तरफ अमेरिका सितम्बर तक वैक्सीन मुहैया कराने की बात कर रहा है तो दूसरी तरफ अमेरिका के ही वैज्ञानिक विलियम हैसलटाइन का कहना है कि निकट भविष्य में इसका निर्माण संभव नहीं है। लेकिन अधिकतर शोधकर्ता कोरोना वैक्सीन को लेकर बेहद आशान्वित हैं। वैसे विभिन्न सरकारों और कंपनियों यह अभियान एक जुए की तरह है। वैक्सीन मिल गयी तो वाहवाही और नहीं मिली तो अरबों डॉलर गये पानी में।
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वैक्सीन विकसित करने की लंबी प्रक्रिया
वैक्सीन विकसित करने की प्रक्रिया लंबी होती है। वैक्सीन को विकसित करने का पहला चरण है लैब टेस्ट। प्रयोगशाला में परीक्षण सफल होने के बाद दूसरे चरण में पशु परीक्षण होता है। टीके का पशुओं पर अपेक्षित परिणाम मिलने के बाद तीसरे चरण में मानव परीक्षण होता है। इंसानों पर भी टेस्ट के अलग-अलग स्टेज होते हैं। वैसे तो विश्व में करीब 110 संस्थान वैक्सीन बनाने प्रक्रिया में लगे हुए हैं लेकिन इनमें 8 ऐसे हैं जो मानव परीक्षण के दौर में पहुंच गये हैं। अमेरिकी संस्थान का दावा है कि वह एंडी बॉडी ट्रीटमेंट ड्रग सितम्बर 2020 तक बना लेगा। जबकि चीन की निर्माण एजेंसी का कहना है कि वह 2021 के मार्च तक मानव उपयोग के लिए सुरक्षित वैक्सीन बना लेगी। ब्रिटिश-स्वीडिश बायोफर्मास्यूटिकल मल्टीनेशनल कंपनी ने भी सितम्बर तक कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा किया है। इटली और हॉलैंड के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी की खोज की है। लेकिन यह टेस्ट में पूरी तरह से पास नहीं हो पाया है।
अमेरिका
अमेरिका - संक्रमित- 17,06,226 / मौत - 99 हजार 805
कोरोना से सर्वाधिक मौत अमेरिका में हुई है। अमेरिकी फर्मास्यूटिकल कंपनी फाइजर और जर्मनी की दवा निर्माता कंपनी बायोएनटेक एकसाथ मिल कर कोरोना वैक्सीन बना रही हैं। जर्मनी में पिछले महीने इस वैक्सीन का बारह स्वस्थ लोगों पर सफल परीक्षण किया गया था। अब अमेरिका में 36 लोगों पर इसका ट्रायल शुरू है। दूसरे चरण में आठ हजार लोगों पर इसका परीक्षण किया जाएगा। दोनों कंपनियों का दावा है कि आपात स्थिति में सितम्बर तक यह वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। यह वैक्सीन किसी इंसान में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में मदद करेगी। इससे शरीर में एंटीबॉडी का अधिक निर्माण होगा जो कोरोना वायरस के संक्रमण को खत्म कर देंगे। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉ. मार्क मुलिगन का कहना है कि यह वैक्सीन दूसरे की तुलना में अधिक प्रभावकारी होगी। इसके अलावा अमेरिकी बायोट्क कंपनी मॉडर्ना भी कोरोना वैक्सीन के बहुत नजदीक है। मॉडर्ना ने यह वैक्सीन कोरोना वायरस के जेनेटिक मटेरियल, मैसेंजर रीबोन्यूक्लीक एसिड (mRNA) से तैयार की है। इसका परीक्षण अभी प्रक्रियाधीन है। अमेरिका की ही एक दवा कंपनी रीजेनेरॉन ने कहा है कि एंटीबॉडी ट्रीटमेंट ड्रग सितम्बर उपलब्ध हो जाएगी।
ब्रिटेन
कुल संक्रमित- 2,61,184 / मौत -36 हजार 914
पिछले महीने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सुरक्षा जांच करने के लिए करीब एक हजार वॉलेटिंयर्स पर कोरोना वैक्सीन chAdOx1 का ट्रायल शुरू किया था। अब यह वैक्सीन मानव परीक्षण के दूसरे दौर में है। मानव परीक्षण के पहले चरण में इसके संतोषजनक नतीजे निकले हैं। दूसरे चरण का परीक्षण सफल होता है तो इस वैक्सीन का करीब दस हजार बुजुर्गों और बच्चों पर टेस्ट किया जाएगा। वैक्सीन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के प्रमुख एंड्र्यू पोलार्ड का कहना है कि अब तक के परीक्षण सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। अगर सारे परीक्षण सफल और सुरक्षित होते हैं तो इंग्लैंड की दवा उत्पादक कंपनी एस्ट्राजेनका इस वैक्सीन की एक हजार लाख खुराक तैयार करेगी। कंपनी ने इस संबंध में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ एक करार किया है। माना जा रहा है इस साल के अंत तक यह वैक्सीन तैयार हो जाएगी।
इटली
कुल संक्रमित- 2,30,158 / मौत - 32,877
इटली का दावा है कि उसने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन विकसित कर ली है। वैज्ञानिकों का कहना है गर्मियों के बाद इस वैक्सीन का मानव परीक्षण किया जाएगा। रोम के संक्रामक रोग अस्पताल, स्पैलेंजानी, में इसका परीक्षण किया गया है। चूहों पर इस वैक्सीन के सफल परीक्षण के बाद इसका ह्यूमन ट्रायल किया जाना है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह वैक्सीन चूहों के अलावा इंसानों पर भी काम कर रही है। इस वैक्सीन से पहले चूहों में एंडीबॉडी विकसित किये गये। इस एंटीबॉडी की वजह से वायरस कोशिकाओं पर हमला नहीं कर सके। प्रयोगशाला में इंसानी कोशिकाओं पर भी इसका परीक्षण किया गया जिसका सार्थक परिणाम निकला। इटली की दवा निर्माता कंपनी टैकिज बायोटेक ने इस वैक्सीन को डेवलप किया है। कंपनी का दावा है कि इस वैक्सीन की टेस्टिंग सबसे एडवांस स्टेज में है।
स्पेन और फ्रांस
स्पेन- कुल संक्रमित - 2,82,480 / मौत - 26,837
फ्रांस - कुल संक्रमित - 1,82,942 / मौत- 28,432
स्पेन के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी में कोरोना वैक्सीन को विकसित करने की परियोजना चल रही है। मैड्रिड स्थिति इस संस्थान में दो वैक्सीन पर काम चल रहा है। एक परियोजना की अगुवायी इसाबेल सोला और लुइस इनजुएंस कर हैं जो वैक्सीन बनाने के लिए रिवर्स जेनेटिक्स विधि का प्रयोग कर रहे हैं। दूसरी परियोजना के प्रमुख मैरियानो एस्टीबेन हैं। स्पेन में वैक्सीन विकसित करने की प्रक्रिया अभी ह्यूमन ट्रायल तक नहीं पहुंची है। दूसरी तरफ फ्रांस में कोरोना वैक्सीन बना रही फर्मास्यूटिकल कंपंनी सैनोफी विवादों में फंस गयी है। सैनोफी के सीइओ पॉल हडसन ने हाल में कहा था कि अगर कंपनी ने वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली तो सबसे पहले यह अमेरिका को दी जाएगी। ऐसा इस लिए क्यों कि इस प्रोजेक्ट के लिए सबसे पहले फंड अमेरिका ने ही दिया था। हडसन के इस बयान से फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों बेहद नाराज हो गये थे। उन्होंने कहा था कि कोरोना वैक्सीन को जनता की वस्तु समझा जाना चाहिए जो पूरी दुनिया के लिए है। इसे बाजार के नियमों के अधीन नहीं रहना चाहिए। अगर सौनोफी आर्थिक कारणों से किसी दूसरे देश के लिए वैक्सीन पहले से रिजर्व रखना चाहती है तो यह मंजूर नहीं होगा। सौनोफी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भी शेयर हैं। ट्रंप के शेयर और फंडिंग से सैनौफी अमेरिका की तरफ झुकी हुई है। उसने वैक्सीन देने के लिए अमेरिका से एक करार कर रखा है। लेकिन फ्रांसीसी राष्ट्रपति की नाराजगी के बाद सैनोफी ने अपना स्टैंड बदल लिया और इसे सभी के लिए उपलब्ध कराने की बात कही। सैनोफी कंपनी भी वैक्सीन टेस्टिंग के एडवांस स्टेज में है।
चीन
कुल संक्रमित - 82,992 / मौत - 4,634
चीन भी कोरोना वैक्सीन को विकसित करने के लिए तेजी से काम कर रहा है। इस समय चीन में तीन वैक्सीन परियोजनाएं ऐसी हैं जिन पर मानव परीक्षण चल रहा है। चीन की जैव प्रौद्योगिकी कंपनी कैंसिनो बायोलॉजिक्स ने 16 मार्च से वैक्सीन का परीक्षण शुरू किया था। चीन का इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोल़ॉजी और चाइनीज एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज, वैक्सीन विकसित करने में कैंसिनो की मदद कर रहे हैं। इस वैक्सीन में एडेनोवायरस के एक खास वर्जन को वेक्टर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। ये वैक्टर उस प्रोटीन को सक्रिय कर देगा जो संक्रमण से लड़ने में सहायक होगा। इसके अलावा चीन के शेंजेन जीनोइम्यून मेडिकल इंस्टीट्यूट में एक और वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है। एक तीसरा प्रोजेक्ट बुहान के बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स इंस्टीट्यूड में चल रहा है। अमेरिका और ब्रिटेन के बाद चीन कोरोना वैक्सीन के सबसे नजदीक है।
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