अवैध प्रवासियों से पीड़ित लोगों को ट्रंप ने बुलाया व्हाइट हाउस
प्रवासियों के मुद्दे पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का रूख पल-पल बदलता महसूस किया जा सकता है. कुछ दिन पहले ही राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रवासी बच्चों को उनके परिजनों से अलग करने की अपनी नीति में बदलाव किया था तो वहीं शुक्रवार शाम को वह अवैध प्रवासियों के हाथों मारे गए लोगों के परिजनों से मुख़ातिब हुए.
राष्ट्रपति ट्रंप ने एंजेल फैमिलीज़ नामक एक समूह को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया और कहा कि आपके प्रियजनों की मौत व्यर्थ नहीं है.
प्रवासियों के मुद्दे पर अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का रूख पल-पल बदलता महसूस किया जा सकता है. कुछ दिन पहले ही राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रवासी बच्चों को उनके परिजनों से अलग करने की अपनी नीति में बदलाव किया था तो वहीं शुक्रवार शाम को वह अवैध प्रवासियों के हाथों मारे गए लोगों के परिजनों से मुख़ातिब हुए.
राष्ट्रपति ट्रंप ने एंजेल फैमिलीज़ नामक एक समूह को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया और कहा कि आपके प्रियजनों की मौत व्यर्थ नहीं है.
अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप की उस नीति की चौतरफा आलोचना हो रही थी जिसके तहत उन्होंने 2 हज़ार से अधिक प्रवासी बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया था.
आख़िरकार जनता के ज़बर्दस्त दबाव के चलते उन्हें अपनी इस नीति में बदलाव करना पड़ा.
ये भी पढ़ें:
ट्रंप की विवादित प्रवासी नीति बदलने की वजह
किस हाल में हैं अमरीका में क़ैद 52 अवैध प्रवासी भारतीय
'बलिदान को ज़ाया नहीं जाने देंगे'
शुक्रवार को अवैध प्रवासियों के हाथों मारे गए लोगों के परिजनों से मिलते हुए ट्रंप ने कहा कि ये वे अमरीकी नागरिक हैं जो हमेशा के लिए अपने प्रियजनों से दूर हो गए
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, ''इन लोगों ने जो दर्द सहा है, वह यूं ही व्यर्थ नहीं जाएगा. तीन साल पहले जब हम साथ थे तो पहले ही दिन मैंने कहा था कि मैं आपको देख रहा हूं, सुन रहा हूं और मैं आपके इस बलिदान को ज़ाया नहीं होने दूंगा आपको निराश नहीं करूंगा. हम इन बहादुर अमरीकियों को एंजेल फैमिली पुकारते हैं.''
अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा कि वे इससे और ज़्यादा बुरा होने की कल्पना नहीं कर सकते, साथ ही उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होने आए परिजनों के साथ खड़े रहने का भरोसा दिलाया.
मई में शुरू हुई थी 'ज़ीरो टॉलरेंस' नीति
इसी कार्यक्रम में शामिल होने आईं लॉरा विल्करसन ने साल 2010 में अपने बेटे को खो दिया था. उनके बेटे की हत्या एक अवैध प्रवासी ने की थी. लौरा अपने साथ अपने बेटे की तस्वीर लेकर आईं थी.
हाथों में बेटे की तस्वीर पकड़कर उन्होंने कहा, ''उसके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया गया था, उसका शोषण हुआ, जगह-जगह ज़ख्म दिए गए और हत्या के बाद उसे जला दिया गया. यहां मौजूद तमाम परिजनों में से किसी को भी अपने बच्चों को गुड बाय बोलने का भी वक़्त नहीं मिला, हम इतने ख़ुशनसीब नहीं थे कि महज़ पांच या 10 दिन के लिए अपने बच्चों से अलग हो रहे हों. हम उनसे हमेशा के लिए अलग हो गए.''
ट्रंप ने मई में अपनी 'ज़ीरो टॉलरेंस' नीति की शुरुआत की थी जिसके चलते लगभग अवैध प्रवासियों के 2300 बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर दिया गया था.
इन बच्चों को स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग की तरफ से चलाए जाने वाले केंद्रों में रखा गया. इनमें से कई बच्चों की उम्र पांच साल से भी कम थी. ट्रंप की इस नीति की चौतरफा निंदा हुई जिसके बाद बीते बुधवार को उन्होंने इसे रोकने का फैसला किया.
ये भी पढ़ें:
ट्रंप की बीवी की जैकेट पर क्यों मचा बवाल
ट्रंप के ट्रेड वॉर से चीन को होगा कितना नुक़सान
ट्रंप और किम के मुलाक़ात से आख़िर हासिल क्या हुआ?