कोराना महामारी के कारण बदल रहे हैं शराब पीने के तौर-तरीक़े?
महामारी के दौर में नई पीढ़ियां शराब पीने को लेकर संयम बरत रही हैं.
मार्च के मध्य में कोविड-19 की वजह से पूरी दुनिया ठप्प पड़ गई लेकिन टीना रोड्रिग्ज पहले से ही स्वास्थ्य को लेकर सजग थीं. उनकी मदद उनके नए पार्टनर कर रहे थे जो एक पर्सनल ट्रेनर हैं. टीना ने जनवरी से ही शराब पीना छोड़ दिया था.
टीना कहती हैं, "मैंने अपनी डाइट में सुधार किया और मेरे दिमाग़ में एक चीज़ थी कि मुझे ठीक रहने के लिए ऐसा करना ही होगा."
"ऐसा नहीं है कि मैंने हमेशा के लिए शराब छोड़ने का फ़ैसला कर लिया था, लेकिन जब हम लॉकडाउन में गए तो उस दौरान शराब पीने का कोई मतलब नहीं बनता था."
वो कहती हैं कि अपने दो साल के बेटे के साथ घर पर रहने के कारण उन्हें शराब पूरी तरह से छोड़ने में मदद मिली.
"हम बाहर नहीं निकले और लोगों से मिलेजुले नहीं. घर पर शराब पीने का विकल्प मेरे लिए नहीं था."
हालांकि, महामारी के दौरान शराब की खपत में इज़ाफ़ा देखा गया है, लेकिन शराब को लेकर संयमित व्यवहार या कम शराब पीने में भी बढ़ोतरी हुई है. यह एक ऐसा ग्लोबल ट्रेंड है जिस पर टीना समेत काफ़ी लोग अब चल पड़े हैं.
26 साल की टीना ने जुलाई में अपने इलाक़े में पब्स और रेस्टोरेंट्स खुलने के बावजूद शराब को लेकर संयमित रहने का विकल्प चुना.
"मुझे शराब पीने की ज़रूरत ही महसूस नहीं हो रही है."
ज़्यादा या कमः कोविड के दौर में शराब
इस तरह की कई ख़बरें आई हैं कि किस तरह से महामारी ने लोगों और शराब के बीच के संबंध पर विपरीत असर डाला है.
कोरोना महामारी के दौरान शराब की बिक्री में तेज़ बढ़ोतरी को देखते हुए भारत से लेकर ब्राज़ील, यूएस और कई यूरोपीय देशों समेत पूरी दुनिया में स्वास्थ्य अधिकारियों को चेतावनी जारी करनी पड़ी है.
मिसाल के तौर पर, अमरीका में अप्रैल के आख़िर में जब लॉकडाउन लगाया गया तो शराब की ऑनलाइन बिक्री में 400 फ़ीसद का तेज़ उछाल दर्ज किया गया. दक्षिण अफ्रीका समेत कुछ देशों को लॉकडाउन के दौरान शराब की बिक्री बंद करनी पड़ी ताकि इसकी खपत पर लगाम लगाई जा सके.
ब्रटेन में जहां टीना रहती हैं, एक एनजीओ के सर्वे से पता चला कि तक़रीबन 30 फ़ीसद ब्रिटिश लोग मानते हैं कि महामारी के दौरान उनकी शराब की खपत बढ़ गई थी.
इस चिंताजनक बढ़ोतरी के बावजूद समझदारी भरे तरीक़े से शराब पीने और यहां तक कि शराब को पूरी तरह से छोड़ देने का ट्रेंड भी उभरता नज़र आया है.
सर्वे में इस ट्रेंड की पुष्टि हुई है. इसमें कहा गया है कि 37 फ़ीसद लोग अपनी शराब पीने की आदत को मैनेज करने के लिए सक्रियता से क़दम उठा रहे हैं. इन क़दमों में अक्सर शराब न पीना और यहां तक कि पूरी तरह से शराब छोड़ देना भी शामिल है.
पहले शराब की लत से जूझ चुके और अब इसके दुरुपयोग के गंभीर मामलों में थेरेपी देने का काम कर रहे जेम टिमोन्स कहते हैं, "कुछ लोगों के लिए महामारी ने वाक़ई में उन अवरोधों को दूर कर दिया है जिनके चलते वे ख़ुद पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे."
वे कहते हैं, "मैं ये नहीं कह रहा हूं कि कुछ लोगों ने संघर्ष नहीं किया, लेकिन एक ख़ास प्रोफ़ाइल के लोगों के लिए लॉकडाउन ने अनुकूल हालात ज़रूर पैदा कर दिए." युवा पीढ़ी शराब को संयमित तरीक़े से इस्तेमाल करने में सबसे आगे है.
युवा और शराब को लेकर संयम!
1981 से 1996 के बीच पैदा हुए मिलेनियल्स पहले ही अपने से पिछली पीढ़ियों के मुक़ाबले शराब कम पीने के लिए जाने जाते हैं.
दूसरी ओर, 1996 के बाद पैदा हुए जनरेशन-ज़ी या जूमर्स शराब को लेकर और ज़्यादा संयमित दिखाई देते हैं. 2018 में आई एक किताब में अमरीकी लेखक रूबी वैरिंगटन ने इनके लिए "सोबर क्यूरियस" शब्द का इस्तेमाल किया है. यह किताब शराब के साथ हमारे रिश्तों पर रोशनी डालती है.
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों की 1976 से 2016 की 30 साल की अवधि में 80 लाख अमरीकी टीनेजर्स पर की गई एक स्टडी में पता चला है कि जूमर्स में अपने टीनेज वर्षों में एल्कोहल के इस्तेमाल के आसार अपने से पिछली पीढ़ियों के मुक़ाबले बेहद कम रहे हैं.
रिसर्च फ़र्म मिंटेल में एल्कोहल इंडस्ट्री के एक्सपर्ट जॉनी फोर्सिथ कहते हैं, "20 साल पहले स्वस्थ होना एक अजीब बात होती थी. अब स्वस्थ होना कूल माना जाता है. समाज अब ज़्यादा सजग है और यह पहले के मुक़ाबले शराब पीने के औचित्य को लेकर ज़्यादा सख़्ती बरत रहा है."
वे कहते हैं, "जेन-ज़ी इन सभी पीढ़ियों में सबसे स्वस्थ है. ये पूरी एल्कोहल इंडस्ट्री को बदल देंगे."
सोशल मीडिया पर शराब को लेकर संयम वैरिंगटन की किताब के प्रकाशन के बाद से ही डिजिटल सोब्राइटी (समझदारी से शराब पीने) इंफ्लूएंसर्स में इज़ाफ़ा दर्ज किया गया है.
केली फिजगेराल्ड जैसे लोग सोबर सैनोरिटा जैसे टैग के तहत इंस्टाग्राम पर यूएस के सबसे मशहूर "सोब्राइटी सिस्टर्स" में से एक बन गए हैं. वे कहती हैं, "मुझे नहीं पता कि क्या सोब्राइटी महामारी के दौरान एक चुनौती बन गई है या नहीं, लेकिन यह निश्चित तौर पर एक हक़ीक़त है और कई लोगों के लिए ज़रूरी है."
वे कहती हैं, "कोविड-19 से पहले जो लोग शराब को लेकर संयमित रवैया नहीं अपना रहे थे उन्हें महामारी के चलते घर पर अकेले रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इस वजह से वे अपने सामान्य सामाजिक मेलजोल और शराब पीने के तौर-तरीक़ों को जायज़ नहीं ठहरा पाए हैं."
गे सोबर के नाम से इंस्टाग्राम पर मशहूर ली मेंगो मानते हैं कि सोब्राइटी या समझदारी के साथ शराब पीने पर कई लोगों को सवाल उठाने का भी मौका मिल गया है. वे कहते हैं, "लोग सोब्राइटी की आदत डाल रहे हैं. इसके बावजूद मैंने कई लोगों से सुना है कि सोबर लोग बोरिंग होते हैं."
"पहले इस पर मुझे गुस्सा आता था, लेकिन अब मैं केवल यह जवाब दे देता हूं कि सोबर लोग रात में गाड़ी ड्राइव कर घर जा सकते हैं और उन्हें टैक्सी के लिए क़तार में खड़े होने की ज़रूरत नहीं होती है."
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27 साल की इंस्टाग्रामर जर्नलिस्ट मिली गूच एक सपोर्ट ग्रुप द सोबर गर्ल सोसाइटी चलाती हैं. वे मानती हैं कि लॉकडाउन का कुछ लोगों पर एक सकारात्मक असर रहा है.
एक ईमेल में उन्होंने बीबीसी को बताया, "महामारी ने निश्चित तौर पर सोब्राइटी को लेकर कुछ नई चुनौतियां दी हैं क्योंकि व्यक्तिगत रूप से सपोर्ट मुहैया नहीं कराया जा सका है. साथ ही सामान्य बेचैनी से भी लोग ज़्यादा पीने की ओर मुड़ सकते हैं."
"लेकिन, हमारे कई मेंबर्स ने कहा है कि महामारी में शराब न पीना थोड़ा आसान हो गया है."
'नोलो' में उछाल
एक्सपर्ट कहते हैं कि आदतों में बदलाव से पश्चिमी देशों में नई कारोबारी संभावनाएं पैदा हुई हैं और ये जल्द ही पूरी दुनिया में फैल सकती हैं.
90 देशों में 70,000 से ज्यादा सदस्यों वाली एक वेलबीइंग वेबसाइट वन ईयर नो बीयर को अपने कामकाज में इन व्यवहारगत बदलावों का असर देखने को मिला है.
कंपनी लोगों को उनकी शराब की आदतों से निबटने में मदद करती है.
मार्च से ही कंपनी की मेंबरशिप में 30 फ़ीसद का इज़ाफ़ा हुआ है. कंपनी ने इस दौरान एक बेहद सफल क्राउडफंडिंग मुहिम चलाई है और बेहतर स्वास्थ्य आदतों को प्रोत्साहन के लिए सरकारी समर्थन भी हासिल किया है.
लो एल्कोहल और एल्कोहल मुक्त पेय बनाने वाली कंपनियों की भी बिक्री महामारी के दौरान बढ़ी है. ब्रिटिश बायोलॉजिस्ट और बार मालिक पॉल मैथ्यू ने पिछले साल नोलो एप्रीटिफ तैयार की जिसे वे बार्स और रेस्टोरेंट्स को बेचते हैं.
जब महामारी आई तो मैथ्यू को लगा कि उनका बुरा दौर आ रहा है. ऐसे में उन्होंने सीधे आम लोगों को अपनी ड्रिंक बेचने की कोशिश की. जल्द ही उनके पास ऑर्डरों की भरमार हो गई. उनकी बिक्री 4,000 फीसदी बढ़ गई.
वे कहते हैं, "हम हर महीने कुछ सौ बोतलें बेचते थे, अब हम हज़ारों बोतलें बेचते हैं. हमें इसका बिलकुल भी अंदाजा नहीं था."
नॉन-एल्कोहलिक बीयर पर अगस्त में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्राहक अब एल्कोहल मुक्त पेय पदार्थों की ओर शिफ्ट हो रहे हैं. इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अकेले यूरोप में ही यह बिजनेस 2024 तक 6 अरब डॉलर से भी ज्यादा हो जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि अफ्रीका और मिडल ईस्ट में भी यह कारोबार बढ़ेगा.
हालांकि, यह भी सत्य है कि नोलो सेक्टर शराब की 1 लाख करोड़ डॉलर की तगड़ी ग्लोबल सेल्स का मामूली हिस्सा भी नहीं है. लेकिन, शराब की इंडस्ट्री के दिग्गजों तक ने अपने एल्कोहल फ्री कामकाज को तेज़ किया है.
सबसे हालिया उदाहरण हेनीकेन जीरो के ऐलान का है. यह एक एल्कोहल-फ्री बीयर है. पहली बार यह यूएफा यूरोपा लीग की मुख्य स्पॉन्सर होगी. आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट प्रतिस्पर्धाएं बड़े एल्कोहल ब्रैंड्स और ख़ासतौर पर बीयर ब्रैंड्स की स्पॉन्सरशिप वाले होते हैं.
साथ ही, रम बनाने वाली बाकार्डी की एक रिसर्च में पता चला है कि 2019 में मॉकटेल की गूगल सर्च में 42 फीसदी इज़ाफ़ा हुआ है. मॉकटेल बिना शराब वाली कॉकटेल्स को कहते हैं.
क्या अच्छी आदतें जारी रहेंगी?
टीना रोड्रिग्ज कहती हैं कि जिस अगले सोशल इवेंट में उन्हें बुलाया जाएगा वहां शराब पीने को लेकर तलब बढ़ सकती है. वे कहती हैं कि हालांकि, उनके ज़्यादातर दोस्त अब या तो कम पी रहे हैं या फिर उन्होंने पीना तक़रीबन छोड़ दिया है.
लेकिन, क्या ये अच्छी आदतें सामान्य वक्त में भी बनी रहेंगी? एक्सपर्ट कहते हैं कि इस सवाल का जवाब केवल लोगों की इच्छाशक्ति से नहीं मिलेगा.
लेखिका मैंडी मैनर्स मानती हैं कि यह जिम्मेदारी हॉस्पिटैलिटी सेक्टर पर भी है.
वे कहती हैं, "यह अहम है कि बार और रेस्टोरेंट्स ऐसे लोगों को भी सेवाएं दें जो शराब नहीं पीना चाहते हैं."
"उन्हें विकल्प मुहैया कराने होंगे ताकि हम एक ही टेबल पर बैठ सकें."
ऐसे भी संकेत मिल रहे हैं कि दूसरी पीढ़ियां भी समझदारी भरी शराब की खपत की तरफ़ बढ़ रही हैं. वन ईयर नो बीयर के ज़्यादातर सदस्यों की उम्र 35 से 55 साल के बीच है. इसके सबसे नए सदस्यों में 40 साल से ज़्यादा की उम्र वाले लोग हैं.
मिली गूच को ज़्यादा उम्र वाले लोगों के महामारी के दौरान शराब के साथ अपने रिश्तों को फिर से देखने में कोई अजूबा नज़र नहीं आता. वे कहती हैं, "शायद क्योंकि हम सोशल मीडिया की पीढ़ी हैं हम इस बारे में ज़्यादा मुखर हैं."
"लेकिन, ऐसे भी अच्छे इंसान हैं जो कि ज़्यादा उम्र वाली पीढ़ियों के लिए सोब्राइटी की मशाल जला रहे हैं."