तालिबान ने लगाई गुहार, कहा, अपने प्रोजेक्ट पूरे करे भारत, 'नहीं तो सब बर्बाद हो जाएगा'
15 अगस्त को अवकाश घोषित किया गया है, लेकिन तालिबान शासन द्वारा समारोह कम महत्वपूर्ण होगा, जो एक आधिकारिक मीडिया कार्यक्रम तक सीमित होगा। मुख्य कार्यक्रम 1 सितंबर को हो सकते हैं, जिस दिन पिछले विदेशी सैनिकों ने पिछले साल
काबुल, 15 अगस्त : अफगानिस्तान में तालिबान शासन आने के बाद भारत के लिए राजनीतिक तौर पर वहां की परिस्थितियां बदली हैं। हालांकि, भारत अफगानिस्तान को अपना पड़ोसी मुल्क मानता है इस लिहाज से वह,काबुल की जनता का हमेशा ध्यान रखता है। इन सबके बीच तालिबान ने भारत से अफगानिस्तान में शुरू की गई शहतूत बांध समेत अन्य विकास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कहा है। इस बात की जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहर बल्खी ने दी है।
तालिबान ने लगाई भारत के समक्ष गुहार
तालिबान अफगानिस्तान के विकास में भारत का सहयोग चाहता है। इस लिहाज से वह भारत के रुके हुए प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की बात कर रहा है। 'द इंडियन एक्सप्रेस'को दिए इंटरव्यू में अफगानिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बल्खी ने आगे कहा कि, "हमें उम्मीद है कि राजनयिक मिशन के उन्नयन के साथ, हम मानवीय पहलू से विकास के पहलुओं की ओर आगे बढ़ेंगे और उस क्षेत्र में, हमारी प्राथमिकता जो हमने भारतीय पक्ष को भी बताई है, वह कुछ अधूरी परियोजनाओं को पूरा करना है।
काबुल का शहतूत बांध भारत का अहम प्रोजेक्ट
काबुल का शहतूत बांध अफगानिस्तान में भारत का मुख्य परियोजनाओं में से एक था, लेकिन तालिबान के आने के बाद से इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में परेशानी उत्पन्न हो गई थी। बल्खी ने काबुल में शाहतूत बांध परियोजना को सबसे आगे रखा है जिसे वह भारत की सहायता से पूरी करवाने की ख्वाहिश रखता है। "उन्होंने कहा। "भारत में कई अलग-अलग परियोजनाएं हैं, और वे अधूरी हैं। और हमने उनसे उन्हें पूरा करने का आग्रह किया है क्योंकि अगर वे पूरे नहीं हुए, तो यह सब बर्बाद हो जाएगा।
15 अगस्त को तालिबान में छुट्टी
बता दें कि, 15 अगस्त को तालिबान शासन ने अफगानिस्तान में छु्ट्टी की घोषणा की है, लेकिन उनका मुख्य कार्यक्रम 1 सितंबर को होने जा रहा है ,जब अमेरिकी विदेशी सैनिकों ने अफगानिस्तान की धरती को छोड़ दिया था।
काबुल में दूतावास खुला
बता दें कि, भारत ने हाल ही में काबुल में अपने दूतावास को फिर से खोल दिया है। हालांकि, अफगानिस्तान में हालात के मद्देनजर दूतावास में सुरक्षा कड़ी की गई है। बता दें कि, एक साल पहले यहां जब तालिबान ने सत्ता को अपने कब्जे में कर रहा था उस वक्त भारत ने अपने सभी कर्मियों को वापस भारत बुला लिया था। मिशन को अभी एक निदेशक-रैंक के आईएफएस अधिकारी द्वारा संचालित किया जाता है। दूतावास की सुरक्षा के लिए आईटीबीपी की एक टुकड़ी भेजी गई है।
क्या कहा था विदेश मंत्री एस जयशंकर ने
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि अफगानिस्तान में मिशन को फिर से शुरू करने का भारत का निर्णय मानवीय चिकित्सा सहायता प्रदान करके अफगान लोगों की मदद करना है। साथ ही वैक्सीन की विकास के क्षेत्र में नई दिल्ली काबुल की मदद करना चाहता है। हालांकि, दिल्ली ने काबुल में अपनी राजनयिक उपस्थिति बढ़ाने के बारे में अभी तक कोई बयान नहीं दिया है।
अफगानिस्तान में कई प्रोजेक्ट हैं, जिसे पूरा करने की बात कह रहा है तालिबान
भारत 20 सालों में अफगानिस्तान के विकास में सहयोग करने के लिए 3 बिलियन डॉलर से अधिक की सहायता प्रदान कर रहा है, जिसमें प्रमुख सड़कें, बांध, बिजली, ट्रांसमिशन लाइनें (transmission lines) और सबस्टेशन, स्कूल अस्पताल शामिल है। वहीं, तालिबान ने भारतीय दूतावास को अपग्रेड करने, अन्य आवश्यक कदम में छूट और इसके लिए सुरक्षा प्रदान करने की प्रतिबद्धता प्रकट की है।