उन औरतों की कहानी, जिन्होंने अपने दाग़ छिपाना बंद कर दिया
अलग दिखने वाले शरीर और त्वचा को लेकर शर्मिंदा रहने वाली चार औरतों ने कैसे ख़ुद से प्यार करना सीखा, उनकी कहानी, उन्हीं की ज़ुबानी.
जायन, एमिली, लॉरा और एमी के बीच एक समानता हैं. इन सबके शरीर में दाग हैं. लेकिन ये चारों ही अपनी त्वचा के साथ सहज हैं.
एमी सोरायसिस से पीड़ित हैं और इसमें उनके चेहरे पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं. एमी कही कहानी, पढ़िए उन्हीं की ज़ुबानी:
सर्जरी के बाद मुझे फ़्लेश-ईटिंग बग (नेक्रोटाइजिंग फैसीटिस) से जूझना पड़ा. इस बीमारी ने मेरी जांघों से लेकर नीचे तक के पैर खा लिए. शुरुआत में मेरे पैरों में हड्डियों पर मांस ही नहीं बचा था.
उन्होंने मेरी पीठ और मेरे पेट से त्वचा ली और मेरी जांघों से नीचे की पूरी खाल बदल दी. उन्हें जितनी खाल चाहिए थी उसके लिए उन्हें इसे खींचकर लंबा करना पड़ा.
मुझे लिपिडेमा था. यह बीमारी ख़ासतौर पर महिलाओं को ही होती है. यह कमर के नीचे असामान्य फ़ैट सेल्स की वजह से होती है. मेरे शरीर के ऊपरी हिस्से का साइज़ 8 से 10 का था और नीचे यह 18 हो गया था.
मेरा वजन काफ़ी कम हो गया था लेकिन ऐसा डाइट या एक्सरसाइज की वजह से नहीं था. यह बहुत परेशान करने वाला था.
मैंने आठ साल पहले जीपी के चक्कर लगाने शुरू कर दिए, लेकिन बाद में मुझे बताया गया कि इसका एनएचएस में इलाज नहीं हो सकता.
2017 में मुझे हिम्मत मिली और मैंने सर्जरी कराई.
मैं बेहद उत्साहित थी कि मैं अपनी जिंदगी वापस जी पाउंगी. मैं सामान्य कपड़े पहन पाऊंगी, जो कि मैं नहीं कर पा रही थी. लेकिन, तभी दूसरी सर्जरी के पांच दिन बाद ही मैं बहुत ज्यादा बीमार हो गई.
इसके बाद मुझे यही याद है कि जब मुझे होश आया तो पता चला कि मैं कोमा में थी. मुझे मनोविकार हो गया था, मुझे लगता था कि हर कोई रोबोट है.
मुझे लगता था कि मैं मेडिकल एक्सपेरिमेंट के लिए अस्पताल में हूं. मेरा परिवार वहीं था, लेकिन उन्हें लग रहा था कि मैं बचूंगी नहीं. उन्होंने सहमति वाले कागज पर दस्तख़त कर दिए क्योंकि उन्हें लग रहा था कि मेरे दोनों पैर काट दिए जाएंगे. यह बहुत ही बुरा वक्त था.
छह-सात हफ्ते बाद ही मैं अपने पैर देख पाई और मुझे इन्हें देखकर झटका लगा. ये दो पाइप क्लीनर जैसे लग रहे थे.
मेरे जैसा शख्स जो पतले पैर चाहता हो, उसके लिए यह एक सदमा था. ऐसा लग रहा था जैसे मैं सीधे द वॉकिंग डेड से आई हूं.
मानसिक रूप से यह झेलना मुश्किल था. मुझे पीटीएसडी (पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) हो गया था.
लेकिन, जो कुछ भी हुआ उससे मुझे अपनी जिंदगी और प्यारी लगने लगी. मैं बहुत सारी चीजें कर लेना चाहती थी ताकि अगर किसी दिन मुझे कुछ हो जाए तो मुझे शांति रहे.
मैं पेरिस में मॉलिन रूज नहीं गई थी. मैं पेट्रा जाना चाहती थी, एम्सटर्डम घूमना चाहती थी.लेकिन यह सब आसान नहीं था. मैं हमेशा खुश नहीं रही थी और इसने मेरी शख्सियत को बदल दिया था. तब मैंने खुद को मानसिक रूप से दृढ़ किया और अगले दिन मैंने ठान लिया कि मैं ये करके रहूंगी.
जायन ( 49) श्रोपशायर से
इसमें काफी दर्द था, लेकिन यह इससे उबरने की कहानी भी है.
मेरे दाग सीधे हाथ पर हैं. ये मेरी हथेली के काफी नजदीक हैं. छूने पर यह सख़्त लगता है और कुछ जगहों पर गुठलियां सी जान पड़ती हैं. कुछ जगहों पर यह मुलायम है.
रंग के लिहाज से यह मेरी त्वचा के मुकाबले गहरे रंग का है. मैंने अपने जीवन में तीन बार अपने हाथ को नुकसान पहुंचाया है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं इस तरह के दागों को अपने शरीर के दूसरे हिस्सों पर नहीं चाहती थी.
जब मैं 15 साल की थी तब से मुझे ये दाग हैं. इनसे मुझे काफी दर्द हुआ है, लेकिन ये मेरे उबरने की कहानी भी हैं क्योंकि मैं यह सोचती हूं कि मैं आज पहले वाली हालत में नहीं हूं.
फिलहाल मेरी थेरेपी चल रही है. मुझे चोट लगी, लेकिन मैं ये नहीं मानती कि मैंने खुद को नुकसान पहुंचाया है. मैं इसे ऐसे देखती हूं कि मेरे अंदर बहुत दर्द था और मुझे ये नहीं पता था कि इससे कैसे निबटना है.
पहली बार मैंने खुद को इसलिए नुकसान पहुंचाया क्योंकि मैंने वाकई में कुछ बहुत बुरा किया था. मैं दुकानों से सामान चुराती थी और उस दिन मैं पकड़ी गई. मैंने सोचा कि मुझे इस चीज की सज़ा मिलनी चाहिए.
जब मुझे पहली बार दाग हुआ तो मैंने इसे छिपाने की बहुत कोशिश की. मैं गर्मियों में भी मैं चुस्त लंबी बाहों वाले टॉप पहनती थी. गर्मी और पसीने के चलते मुझे बहुत दिक्कत होती थी. मैं नहीं चाहती थी कि लोग इसे देखें.
मैं नहीं चाहती थी कि लोग मुझे इसे लेकर सवाल पूछें. मैं नहीं चाहती थी कि लोग मुझसे सहानुभूति जाहिर करें.
कुछ साल पहले मेरी जिंदगी में बदलाव आया. मुझे लगने लगा कि मैं ज्यादा ईमानदार हो गई हूं और जिस लांछन से मैं बच रही थी उससे मैं लड़ने लगी हूं. इससे मुझे समझने की ताकत मिली कि मैं कैसी हूं.
मैं अपने दाग दिखा सकती हूं. मैं बाहर निकल सकती हूं. और अगर लोग इसे देखते हैं तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर लोग कुछ कहते भी हैं तो भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है.
एमिली, 25, लंदन से
मेरी नाभि से लेकर मेरे पैर के अंगूठे तक, मैं हमेशा कहती हूं कि मेरे दाग ऐसे लगते हैं जैसे कि चुस्त कपड़े पर सिलवटें पड़ी हों.
कई दफा यह मुझे परेशान करता है, क्योंकि लोग आपके अटपटे आकार पर गौर करते हैं. अगर मैं शॉपिंग के लिए जाती हूं तो लोग घूरकर देखते हैं.
मैं खुद को आग से जलने से जीवित बची लड़की कहा जाना पसंद करती हूं क्योंकि मैं कोई पीड़ित नहीं हूं, लेकिन आप एक एक्सीडेंट में जीवित बची हैं और आप पहले से ज्यादा मजबूत हो गई हैं.
जब मैं करीब एक साल की थी, मेरे परिवार से बाहर के एक शख्स मुझे नहलाने ले गए. तभी मेरी मां आईं और उन्होंने देखा कि क्या हुआ है. उन्होंने 999 डायल कर दिया. यह गर्म पानी था. मुझे मेरे जन्म देने वाले परिवार से हटा दिया गया और मुझे एक बेहतरीन पेरेंट्स ने गोद ले लिया.
एक बच्ची के तौर पर मेरे लिए मुश्किलें ज्यादा थीं क्योंकि कई बार कुछ बच्चे बहुत शैतान होते हैं. मुझे याद है कि एक लड़के ने कहा था कि मेरे पैर जोंबी के जैसे हैं और मुझे नहाते वक्त मर जाना चाहिए था.
मुझे अपने हाईस्कूल का पहला दिन याद है. मैंने स्कर्ट और ऊंचे मोजे पहने थे.
15-16 साल की उम्र में मैंने ट्राउज़र पहनना शुरू कर दिया था ताकि मैं अपने पैर छिपा सकूं. मैं बिलकुल चुप रहती थी. मेरे अंदर लोगों से बात करने का आत्मविश्वास नहीं था.
मेरे कुछ बेहद नजदीकी दोस्त थे और उनकी के जरिए मैं इस सबसे निबटती थी. लेकिन, 18-21 साल की उम्र के दौरान मैंने तय किया कि मैं जैसी भी हूं, मैं हूं. मैं जले हुए लोगों की कहानियां सुनती थी. मैंने सोचा कि मेरी जिंदगी उतनी बुरी नहीं है.
आप जो हैं, उसकी वजह से हर किसी ने आपको स्वीकार किया है और आप अपने जले हुए दाग दिखा सकते हैं. आप अपनी कहानी सुना सकते हैं और एक-दूसरे को उत्साहित कर सकते हैं.
मैं करीब 25 साल की थी और हम आठ लोग स्विमसूट में थे. सब अलग-अलग काम करने वाली लड़कियां थीं जिनके अलग-अलग जगह जलने के दाग थे.
हमने सोचा, "हम इसे इंस्टाग्राम पर डालेंगे, क्योंकि हम लोगों को दिखाना चाहते थे कि हम साहसी हैं."
मैं एक सौंदर्य प्रतियोगिता में थी. यह एक ऐसी पहली सौंदर्य प्रतियोगिता थी जहां ऐसे लोग हिस्सा लेते हैं जो कि अलग हैं और अनोखे हैं. मैं चाहती हूं कि युवा लोग मुझे रोल मॉडल के तौर पर देखें और सोचें-अगर वह कर सकती है, तो मैं भी कर सकता हूं. मैं अपने खोल से बाहर निकल सकता हूं.
जब मैं अपने पार्टनर से मिली तो मैं नर्वस थी. जब उन्होंने पहली बार मेरे दाग देखे तो वे थोड़ा सा शॉक्ड थे. उन्होंने सोचा, "कोई किसी के साथ ऐसा कैसे कर सकता है."
उन्होंने मुझसे कभी कोई सवाल नहीं पूछा. इस बात को तीन साल हो गए हैं. सारी चीजें सामान्य हैं, लेकिन चूंकि मेरी कमर की खाल बेहद सिकुड़ गई है, ऐसे में मुझे डर है कि कहीं मुझे बच्चे पैदा करने में दिक्कत न हो.
वे भविष्य में बच्चे चाहते हैं और मुझे डर है कि कहीं मैं उन्हें बच्चा न दे पाऊं. मुझे उम्मीद है कि एक दिन मैं बच्चा पैदा कर पाउंगी.
लॉरा, 27, केरफिली
सोरायसिस की वजह से लाल चकत्ते हुए मुझे कुछ हफ्ते हो गए थे. मेरी त्वचा उस वक्त वाकई अच्छी दिख रही थी. मेरे शरीर के दूसरे हिस्सों पर अभी भी इसके धब्बे हैं.
जब मेरे चकत्ते सबसे ज्यादा सुर्ख और ज्यादा थे, तब मैंने इसके कई सारे फोटो ले लिए थे और मैंने इनके प्रिंट भी निकाल लिए थे. ऐसा केवल खुद को यह बताने के लिए था कि मेरी त्वचा कैसी हो सकती है.
एक बार सोरायसिस मेरे माथे पर होना शुरू हो गया. पहले ये छोटे धब्बे जैसे थे, लेकिन ये बढ़ना शुरू हो गए.
एक धब्बे एक-दूसरे से मिल जाते थे और इस तरह से एक बड़ा पैच बन जाता था. मेरा पूरा माथा इससे भर गया था. इसके बाद यह मेरी नाक मेरे मुंह के इर्दगिर्द आ गए. और आखिर में ये धब्बे मेरे पूरे चेहरे, गर्दन और शरीर पर फैल गए.
इनमें मुझे जलन होती थी. जब ये चकत्ते फैल रहे थे तब मेरे बाल भी झड़ने लगे. अंत में मुझे अच्छा दिखने के लिए विग खरीदने पड़े.
कई दफा ये चकत्ते इतने बुरे हो जाते थे कि ये खुले जख्म जैसे दिखने लगते थे. यहां तक कि अगर मेरे कपड़े मेरे इन जख्मों से छू जाते थे तो असहनीय हो जाता था.
शुरुआत में जब मुझे सोरायसिस हुआ था तो डॉक्टरों ने गलत तरीके से इसे चिकेन पॉक्स बताया था. अगले कुछ हफ्तों के दौरान मैं अपनी मां के यहां रही.
शुरुआत में सुबह उठकर मुझे यह लगता था कि मैं कैसी दिखने लगी हूं. लेकिन, धीरे-धीरे मैंने इसे स्वीकार कर लिया.
जब आप ऐसी किसी समस्या से जूझ रहे होते हैं तो आप दूसरों की प्रतिक्रिया को लेकर सतर्क हो जाते हैं. काम पर ग्राहक मुझसे कहते थे, "क्या ऐसा नहीं हो सकता कि आप मुझे सामान न दें क्योंकि आपको कुछ संक्रामक बीमारी लग रही है."
मैं रिटेल में काम करती हूं और फैशन उत्पाद बेचती हूं. शुरुआत में मैं कहती थी, "हां, मुझे कोई दिक्कत नहीं है. मैं किसी और को आपके पास भेजती हूं."
मुझे लोगों को यह बताने लायक खुद को बनाने में वक्त लगा कि नहीं मुझे कोई संक्रामक बीमारी नहीं है. और "अगर आपको सामान खरीदना है तो मुझसे ही लेना होगा नहीं तो आप सामान नहीं खरीद सकते."
मेरे दोस्त और परिवार वाकई मेरे साथ रहे. मैं उस वक्त सिंगल थी. मुझे उम्मीद नहीं थी कि मुझे भी कोई साथी मिलेगा. जब मैं अपने पार्टनर से पहली बार मिली तो उन्होंने मेरी त्वचा के बारे में कोई सवाल नहीं किया. उन्होंने मुझे अलग से नहीं देखा. उन्होंने केवल इतना कहा, "आप खूबसूरत हैं."
जब मैंने शुरुआत में अपनी पहली फोटो सोशल मीडिया पर डाली तो लोगों ने मुझसे संपर्क करना शुरू कर दिया. वे कहते थे, "आप वाकई प्रेरणास्पद हैं." तब मैंने सोचा, "मुझे पता ही नहीं था कि मैं किसी और के लिए प्रेरणादायक भी हो सकती हूं."
(ये इंटरव्यू एना मिलर ने 'वुमन्स आवर' कार्यक्रम के लिए किए हैं.)