क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

इस गांव से सबक लेकर एक-दूसरे के क़रबी आ सकते हैं फ़लस्तीनी और यहूदी?

इसराइल में एक ऐसा गांव है जहाँ यहूदी और फ़लस्तीनी आपस में मिल-जुलकर रहते हैं.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
यहूदी गाँव
BBC
यहूदी गाँव

क्या फ़लस्तीनी और यहूदी एक दूसरे के क़रीब आ सकते हैं? क्या दशकों से उनके बीच खड़ी नफ़रत की दीवार गिराई जा सकती है?

हमेशा से यहूदियों के बीच रहने वाली अरब युवती राना अबू फरयहा कहती हैं- शायद नहीं. राना को अपने अरब होने का एहसास माँ के देहांत के बाद ही हुआ.

वो कहती हैं, "मेरे माता-पिता ओमर नाम के एक गांव में अमीर और ऊँचे विचार वाले यहूदियों के पड़ोसी थे. हमारा रहन-सहन उन्हीं की तरह था. कैंसर की मरीज़ मेरी माँ ने मरने से पहले कहा था कि मुझे यहूदियों के क़ब्रिस्तान में दफ़न करना. यहूदियों ने इसका विरोध किया और हमें अपनी माँ को उनके गाँव में दफ़नाना पड़ा था."

'हिजाब मॉडल' को भारी पड़ा 'इसराइल विरोधी' ट्वीट

इसराइल का ये 'तंदूरी' रेस्तरां है नेतन्याहू का पसंदीदा

यहूदी गाँव
BBC
यहूदी गाँव

पहचान को लेकर सवाल

इस पूरे वाकये ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि उनकी पहचान आख़िर है क्या?

वो कहती हैं, "मेरे लिए ये काफ़ी कठिन था. मुझे पहली बार एहसास हुआ कि मैं इस समाज का हिस्सा तो हूँ लेकिन एक हद के बाद उस समुदाय की असल में नहीं हो सकती, जिसे मैं अपना समझती थी."

राना ने अपने इस तजुर्बे पर एक फ़िल्म बनाई है जिसमें वो यहूदियों और अरबों की पहचान के सवाल को उठाने की कोशिश करती हैं.

दरअसल इस अरब लड़की की कहानी इसराइल में अरब और यहूदी समुदायों की कहानी है. ये ठीक उसी तरह है जैसा कि भारत में हिंदू और मुसलमान समुदायों की कहानी है.

भारत के लिए क्यों ज़रूरी है इसराइल?

इसराइल पर नेहरू ने आइंस्टाइन की भी नहीं सुनी थी

यहूदी गाँव
BBC
यहूदी गाँव

गांव का होना एक चमत्कार जैसा

इसराइल की आबादी 85 लाख है जिसमें 80 फीसदी यहूदी हैं और 20 फीसदी प्रतिशत फ़लस्तीनी. इन फ़लस्तीनियों में 18 फीसदी फ़लस्तीनी मुसलमान हैं और दो फीसदी फ़लस्तीनी ईसाई हैं. ये सभी इसराइली नागरिक हैं.

ग़ज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक में रहने वाले फ़लस्तीनी 45 लाख हैं जो इसराइली नागरिक नहीं हैं.

इसराइल में दोनों समुदायों की बस्तियाँ और मोहल्ले अलग हैं और उनके बीच मिलना-जुलना भी बहुत कम है. अगर कहीं दोनों खेमों के लोगों ने साथ मिलकर रहने की कोशिश भी की तो आपसी मनमुटाव इतना गहरा होता है कि ये कामयाब नहीं होता.

लेकिन इसराइल के दो बड़े शहर यरुशलम और तेल अवीव के ठीक बीच एक पहाड़ी पर एक बस्ती है जहाँ यहूदी और फ़लस्तीनी सालों से एकसाथ मिलकर रहते आ रहे हैं. इसराइल के माहौल को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि इस गांव का वजूद किसी चमत्कार से कम नहीं.

मुस्लिम विरोध के कारण है भारत का इसराइल प्रेम?

मुसलमानों में यहूदी विरोधी धारणा की वजह?

यहूदी गाँव
BBC
यहूदी गाँव

गांव में मिलती है लोकतंत्र की शिक्षा

हिब्रू भाषा में नेव शलॉम और अरबी में वाहत अल सलाम (शांति का मरूद्यान) कहलाने वाली इस बस्ती में 70 से अधिक यहूदी और अरब परिवार एक साथ मिल-जुल कर रहते हैं. अब तीस से अधिक और परिवार उनसे जुड़ने वाले हैं यानी यहां आकर बसने वाले हैं.

हमें बताया गया कि यहाँ बसने का फैसला वही करते हैं जो दोनों समुदायों के बीच शांति पर यक़ीन रखते हैं और जो फ़लस्तीनियों के अधिकारों को उसी तरह से मानते हैं जैसे यहूदियों के अधिकारों को.

बस्ती की एक फ़लस्तीनी महिला समह सलैमी कहती हैं, "हमारा उद्देश्य अरबों और यहूदियों तक शांति का पैग़ाम पहुँचाना है और उनके लिए एक मिसाल बनना है."

ये बस्ती भारत के गांवों से अलग है. यहाँ कोई बाज़ार नहीं हैं, दुकानें भी बहुत कम हैं. यहाँ बच्चों का एक बड़ा स्कूल ज़रूर है जहाँ दोनों समुदायों के बच्चे पढ़ते हैं और जहाँ इन बच्चों को हिब्रू और अरबी ज़बानें लाज़मी तौर पर पढ़ाई जाती हैं. यहाँ लोकतंत्र के बारे में भी बताया जाता है.

'यहूदी-हिंदू राष्ट्र की मुहिम मज़बूत करने की गर्मजोशी'

मणिपुर से भी छोटा देश इसराइल कैसे बना 'सुपरपावर'?

यहूदी गाँव
BBC
यहूदी गाँव

दुनिया के जिस हिस्से में अक्सर बम और रॉकेट बरसते हों और जहाँ के लोगों ने कम उम्र के आत्मघाती हमलावरों के हमले देखे-सुने हों वहां इस समाज के अरब-इसराइली बच्चों को लोकतंत्र में भरोसा रखने की सीख दी जाती है.

इस खित्ते (क्षेत्र) की ये नई पीढ़ी लोकतंत्र के सिद्धांतों पर परवान चढ़ रही है.

बच्चों की एक अध्यापिका मुझे एक क्लास में ले गईं जहाँ दीवारों पर ढेर सारी तस्वीरें लगी थीं. इनमें लोकतंत्र के समर्थन में स्कूल के बच्चों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों की तस्वीरें भी शामिल थीं.

तीन धर्मों वाले यरूशलम की आंखोंदेखी हक़ीक़त

भारतीय यहूदी चाहते हैं इसराइली संसद में प्रतिनिधित्व

यहूदी गाँव
BBC
यहूदी गाँव

'बच्चों को बतातें हैं विश्व की हकीक़त'

क्या इस कच्ची उम्र में बच्चों को विरोध प्रदर्शन के बारे में बताना सही है?

इसका जवाब समह सलैमी ने इस तरह दिया, "हम यहूदी और फ़लस्तीनी बच्चों को सिखाते हैं कि हम किस तरह प्रदर्शन करके उन लोगों की मदद कर सकते हैं जो इसराइली क़ब्ज़े में जी रहे हैं. हमें इससे इनकार नहीं कि ये एक बदसूरत हक़ीक़त है लेकिन हम अपने बच्चों और बड़ों को बताते हैं कि वो किस तरह क़ब्ज़े का विरोध कर सकते हैं."

स्कूली बच्चों को फ़लस्तीनी और यहूदी संस्कृति भी सिखाई जाती है. मैंने स्कूल की एक तरफ देखा कि अरब बच्चे यहूदी मौसक़ी सीख रहे हैं तो दूसरी तरफ़ एक अलग क्लास में यहूदी बच्चे अरबी मौसक़ी की प्रैक्टिस कर रहे हैं.

'बेने' इसराइलियों के दिल में बसता है भारत

ब्लॉग: 1967 से पहले मुस्लिम चरमपंथी थे कहां?

यहूदी गाँव
BBC
यहूदी गाँव

मूलमन्त्र हैं शांति और लोकतंत्र

मैं एक ऐसी क्लास में भी गया जहाँ दोनों समुदायों के बच्चों को अरबी भाषा सिखाई जाती है. लेकिन मैं सोच में पड़ गया कि इन बच्चों को शाहरुख़ ख़ान और बॉलिवुड के बारे में किसने बताया.

एक लड़की कहती है, "शाहरुख़ ख़ान सबसे अच्छा है." दूसरी केवल शाहरुख़ ख़ान का नाम दुहराती रहती है. शायद उन्हें समझ में आ गया था कि हम लोग भारतीय हैं.

यहां की इस बस्ती में तीन शब्द लोगों का मूलमन्त्र हैं- शांति, समानता और लोकतंत्र.

बस्ती में रहने वाली यहूदी नागरिक नवा सोनेनशेचेन शांति को बढ़ावा देने के लिए एक संस्था चलाती हैं जिसे 'स्कूल ऑफ़ पीस' कहते हैं. उनका काम इस गाँव की अमन की कोशिशों को आगे बढ़ाना है.

वो कहती हैं "हम अब तक 70 हज़ार लोगों तक पहुँच पाए हैं. उनमें बदलाव आया है. और इसराइल और फ़लस्तीन में हमारे कई लीडर हैं जो मानव अधिकार संगठनों को चला रहे हैं."

'इसराइल फ़लस्तीन शांति समझौता संभव है'

यरूशलम पर ट्रंप के ख़िलाफ़ एकजुट हुए अरब देश

यहूदी गाँव
BBC
यहूदी गाँव

चार परिवारों से शुरू हुआ सफ़र

ये बस्ती केवल चार परिवारों से शुरू हुई थी. लेकिन आज 70 परिवार यहाँ आबाद हैं.

तीस से अधिक परिवार जल्द ही यहाँ आकर बसने वाले हैं. मैंने बस्ती वालों से पूछा कि यहाँ आबाद यहूदी और फ़लस्तीनी आपस में क्यों कभी लड़ते नहीं? कोई मतभेद तो होगा?

मेरे सवाल के उत्तर में फ़लस्तीनी समह सलैमी ने कहा, "झगड़े तो रोज़ होते हैं. हम बहस करते हैं. हम एक दूसरे पर चिल्लाते भी हैं. लेकिन बैठक छोड़कर कोई नहीं जाता. यहाँ रहने वाले फ़लस्तीनी और यहूदी ये मानते हैं कि इस खित्ते में दोनों समुदायों को रहने का हक़ है."

'यरुशलम हो फलस्तीनी राजधानी'

यहूदियों को याद करने नेतन्याहू पहुंचे पेरिस

यहूदी गाँव
BBC
यहूदी गाँव

इसराइली और फ़लस्तीनियों के गहरे मतभेद और नफ़रत के माहौल में इस बस्ती की मिली-जुली आबादी अंधेरे टिमटिमाते दिये के समान है.

लेकिन यहाँ के लोगों का कहना है कि अगर उनकी नहीं तो उनकी आने वाली पीढ़ियों के दौर में नफ़रत की दीवार ज़रूर गिरेगी. लेकिन फ़िलहाल इनकी मंज़िल काफ़ी दूर ही नज़र आती है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
The lessons of this village can come from each others verses Palestinians and Jews
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X