वो जांबाज़ महिला बॉडीगार्ड जिन पर नेटफ़्लिक्स ने बनाई है फ़िल्म
उनके पेशे का मक़सद यही होता है कि वह अपने मुवक्किल को हर हालत में सुरक्षित रख सकें. ऐसा करते हुए उनकी ज़िंदगी कई बार फ़िल्मी दुनिया जितनी रोचक हुई.
एक घटना का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस को बताया, ''एक बार हमारा पीछा पाकिस्तानी सेना कर रही थी और हम कश्मीर में भटक रहे थे. हुआ यूं था कि कुछ कश्मीरी विद्रोही पाकिस्तान की सेना पर गोलियां चला रहे थे और हम दोनों ओर से चल रही इस गोलीबारी में फंस गए थे.''
जैकी डेविस ब्रिटेन में बॉडीगार्ड बनने वाली पहली महिला हैं. अपने 30 साल के करियर में उन्होंने ब्रितनी शाही परिवार और कई नामचीन हस्तियों को सुरक्षा प्रदान की है. कई बंदियों को छुड़ाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन और कई अंडरकवर सर्विलांस को अंजाम दिया है.
जैकी की जिंदगी कई रोचक कहानियों से भरी है और अब अमरीकी वीडियो स्ट्रीमिंग कंपनी नेटफ्लिक्स ने उनकी ज़िंदगी पर एक फ़िल्म बनाई है जिसका नाम है 'क्लोज़'. इस ऐक्शन थ्रिलर फ़िल्म में अभिनेत्री नोमी रेपास मुख्य भूमिका में हैं.
पुराने दिनों को याद करते हुए जैकी बताती हैं, ''जब मैं इस इंडस्ट्री में आई थी तो यहां का रवैया बेहद पुरुष प्रधान था. लोग चाहते थे कि मैं महिलाओं या बच्चों की सुरक्षा का काम करूं जो बेहद हैरान करने वाला था.''
अपने करियर की शुरुआती जैकी ने पुलिस विभाग की नौकरी से की थी, लेकिन 1980 में उन्होंने प्राइवेट सिक्योरटी की दुनिया में क़दम रखने का फ़ैसला किया. इस फ़ैसले का ज़िक्र करते हुए वह कहती है, ''मैं लोगों को सुरक्षा देने और बिज़नेस सर्विलांस का काम करना चाहती थी. ''
बीबीसी वन के कार्यक्रम बॉडीगार्ड के बारे में बात करते हुए जैकी कहती हैं, ''यूके के गृह सचिव (कैली हॉस) और उनके सुरक्षाकर्मी (रिचर्ड मैडेन) के बीच जिस तरह के संबंध दिखाए गए हैं वो इस ड्रामा में तो बेहतरीन नज़र आता है, लेकिन असल ज़िंदगी में ऐसे रिश्तों पर बिना किसी सवाल के आपकी नौकरी जा सकती है.''
अपने काम के सिलसिले में दुनिया भर में घूम चुकी जैकी कहती हैं ''एक बॉडीगार्ड को अपने व्यक्तिगत पेशे में इसकी क़ीमत चुकानी पड़ती है. ऐसा भी होता है कि आप आठ से 10 हफ्तों तक अपने घर तक नहीं जा सकते.''
जैकी ख़तरनाक बिज़नेस सर्विलांस और रेस्क्यू में माहिर हैं. अपने ऐसे ही एक मिशन को अंजाम देने के लिए वह ईराक की सड़कों पर भीख भी मांग चुकी हैं, बुर्क़ा भी पहन चुकी हैं.
उनके पेशे का मक़सद यही होता है कि वह अपने मुवक्किल को हर हालत में सुरक्षित रख सकें. ऐसा करते हुए उनकी ज़िंदगी कई बार फ़िल्मी दुनिया जितनी रोचक हुई.
एक घटना का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बीबीसी वर्ल्ड सर्विस को बताया, ''एक बार हमारा पीछा पाकिस्तानी सेना कर रही थी और हम कश्मीर में भटक रहे थे. हुआ यूं था कि कुछ कश्मीरी विद्रोही पाकिस्तान की सेना पर गोलियां चला रहे थे और हम दोनों ओर से चल रही इस गोलीबारी में फंस गए थे.''
जब 23 साल की लड़की को बचाया
जैकी और उनकी टीम ने एक रेस्क्यू मिशन में 23 वर्षीय ब्रितानी महिला को छुड़ाया था जो अपने पति के साथ पाकिस्तान जा रही थी, लेकिन उसे बीच रास्ते में ही बंदी बना लिया गया.
जैकी बताती हैं, ''उन्हें एक घर में बंद किया गया था. हम एक टैक्सी की मदद से उस घर में घुसे और बड़ी मुश्किलों से महिला और उसके पति को छुड़ाया.''
उन्होंने आगे बताया, ''महिला को लेकर बच निकलने के बाद हम कुछ दूर गाड़ी से गए, लेकिन फिर हमें पैदल लंबा सफ़र तय करना पड़ा. हमारे साथ जो महिला थी वह तीन महीने की गर्भवती थी और उसके साथ बलात्कार किया गया था, मारपीट की गई थी. सही मायने में वह महिला ही मेरे लिए असली हीरो थी.''
जैकी का मानना है कि तीन दशकों में इस इंडस्ट्री में दो बड़े बदलाव आए हैं. अब यहां अवसर की तलाश में ज़्यादा महिलाएं आती हैं. हालांकि अभी भी ब्रिटेन में 10 में से एक ही महिला बॉडीगार्ड है.
सुरक्षा को लेकर लोगों में चिंता के कारण इस इंडस्ट्री में ग्रोथ हो रही है. बीते कुछ सालों में मध्य-पूर्व और चीन में अमीर लोगों को इस इंडस्ट्री की ग्रोथ का बड़ा कारण माना जा रहा है.
ब्रिटेन में इस इंडस्ट्री की नियामक संस्था 'सिक्योरिटी इंडस्ट्री अथॉरिटी' सुरक्षा की दुनिया में आने वाले सभी लोगों को ट्रेनिंग देती है. जैकी इस पेशे की बारीकियां बताते हुए कहती हैं, '' इस पेशे में एक बात का ध्यान रखना होता है कि आप अपने मुवक्किल के दोस्त नहीं हैं. आप तब मौजूद हों जब उन्हें आपकी ज़रूरत हो और जब ज़रूरत ना हो तो उनसे दूर रहें.''
जैकी अब नेटफ्लिक्स की आने वाली फ़िल्म का विषय हैं. ये फ़िल्म जैकी की ज़िंदगी से प्रेरित होगी और उनके बॉडीगार्ड रहते हुए उन्हें जिन भी चैलेंजेज़ का सामना करना पड़ा, उसे समेटे हुए होगी.
जैकी कहती हैं, ''एक बॉडीगार्ड के रूप में एक पुरुष को काले चश्मे में ही सोचा जाता है जो कि एक एक स्टीरियोटाइप है. इस फ़िल्म में आप समझ पाएंगे कि बॉडीगार्ड का काम दिमाग़ का है ना कि लुक्स का. ''
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