ब्रिटेन की संसद में किसानों के मुद्दे पर हुई बहस एकतरफा, किए गए झूठे दावे- भारत
ब्रिटेन संसद में किसान विरोध प्रदर्शन को लेकर हुई बहस की भारत ने कड़ी निंदा की है और इसे एकतरफा करार दिया है।
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के विरोध प्रदर्शनों के बीच शांतीपूर्ण प्रदर्शनों के अधिकार और भारत में प्रेस की आजादी को लेकर दायर की गई एक ई-याचिका पर लंदन की संसद में हुई बहस की लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने कड़ी निंदा की है। आयोग ने ब्रिटिश की संसद में सोमवार शाम को हुई इस बहस को एक तरफा करार दिया है।
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इसके साथ ही आयोग ने कहा कि इस बहस में झूठे दावे किये गए। आयोग ने बहस के बाद एक बयान जारी कर कहा, 'हमें इस बात का गहरा अफसोस है कि एक संतुलित बहस के बजाय बिना किसी पुष्टि या तथ्यों के झूठे दावे किए गए और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और इसकी संस्थाओं को बदनाम किया गया।'आपको बता दें कि किसानों के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए दायर की गई इस ई-याचिका पर 1 लाख लोगों ने हस्ताक्षर किए थे, जिसे हाउस ऑफ कॉमन्स पेटिशन कमेटी द्वारा पारित किया जाना आवश्यक था। मालूम हो कि ब्रिटेन की सरकार ने इससे पहले कहा था कि कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून भारत का आंतरिक मुद्दा है।
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हालांकि इस बहस के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, 'भारत और यूके संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सहयोगी के रूप में काम करते हैं और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग कई वैश्विक समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है।'
भारतीय उच्चायोग ने यह भी कहा कि किसान विरोध प्रदर्शन के बीच विदेशी मीडिया को इसे कवर करने की पूरी छूट दी गई इसलिए भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की कमी का सवाल ही नहीं उठता।
आयोग ने अफसोस जताते हुए कहा कि किसानों के विरोध पर एक झूठी कहानी विकसित की गई, जबकि भारतीय उच्चायोग ने समय-समय पर याचिका में उठाए गए मुद्दों के बारे में सभी संबंधितों को सूचित करने का ध्यान रखा।
गौरतलब है कि ब्रिटेन की संसद में भारत में प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा और प्रेस की स्वतंत्रता के मुद्दे पर सोमवार को बहस हुई। इस बहस में ब्रिटेन के उन सांसदों ने विशेषतौर पर भाग लिया जो भारत में किसानों के विरोध के मुद्दे पर मुखर रहे हैं। भारतीय मूल के काउंसलर गुरुचरन सिंह ने इस मुद्दे पर एक ऑनलाइन पिटीशन की शुरुआत की थी, जिसके जवाब में यह बहस हुई।