एशिया का वो देश जो रातों-रात 'अमीर' बन गया
अमीरों के कूड़े-कचरे से कमाया हुए पैसों से उसके बच्चों हाई स्कूल पढ़ पाए. अब वे एक कारखाने में काम करते हैं, जहां वे जकार्ता के शॉपिंग मॉल में जाने वाला सामान बनाते हैं.
एक बार उसने मुझसे पूछा "आईपैड क्या होता है? मेरे बेटे ने कहा है कि उसे ये चाहिए. ये कैसे काम करता है?"
मैंने उनसे बात की कि और समझाया कि वो इससे सस्ता टैबलेट ले सकते हैं जो मैं दिला दूँगी.
इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश है, जहाँ अचानक से मिडिल क्लास वर्ग की आबादी बढ़ने लगी. बीबीसी संवाददाता रेबेका हेंश्की बताती हैं कि इंडोनेशिया कैसे अचानक दौलतमंद देश बन गया.
फ्रिज के दरवाजे पर लगा रंग-बिरंगा निमंत्रण बताता है कि ये कोई डॉग-थीम बर्थडे पार्टी होगी.
मुझे लगा 'ये कितना प्यारा है' और कितना अलग भी. हालांकि इस देश में कुत्तों को ज्यादा पसंद नहीं किया जाता और न कोई उनकी ख़ास देखभाल करता है.
लेकिन ये कोई हैरानी वाली बात नहीं है. एक परिवार ने अपनी छह साल की बेटी का जन्मदिन मनाने के लिए एक खाली जमीन के टुकड़े को एक दिन के लिए मेन्टेंग के एक पार्क के टुकड़े में बदल दिया था, जो जकार्ता का सबसे महंगा इलाक़ा है.
सिक्योरिटी गार्ड गली के बाहर हमें एक दूसरी दुनिया में ले गए. असली घास को समतल किया हुआ था, पथरीले जंगल में ऐसी घास होना अविश्वसनीय लग रहा था. वहां अच्छे-खासे बड़े-बड़े पेड़ भी थे और कुत्तों के खेलने के लिए एक जगह बनाई हुई थी.
एक कोना कुत्तों को संवारने के लिए रखा गया था, जहाँ कुत्तों की मालिश हो रही थी, नहाया जा रहा था. दूसरे कोने में परिवार वालों के लिए वातानुकूलित आरामदायक टेंट लगाया हुआ था जहां ताज़ा बनी हुई कॉफी और दोपहर बाद शराब पी सकते हैं. यहां शराब महंगी है क्योंकि उसपर काफ़ी टैक्स लगता है.
विपरीत परिस्थिति
पार्क को बीचोबीच कुत्ते के डिज़ाइन वाले गुब्बारों से सजाया गया था.
पार्टी अक्टूबर में हुई थी. और मैं सेलावेली द्वीप के पालू शहर पर आई विनाशकारी बाढ़ और भूकंप की रिपोर्टिंग करके लौटी थी. जो बहुत अजीब और मेरे लिए मुश्किल परिस्थिति थी.
"आप यहाँ से कहाँ जा रहे हैं?" मैंने पार्टी में शामिल हुए पेरेंट्स में से एक के कान में पूछा.
"अगर ये पार्टी आपने की है तो 18 वें जन्मदिन की पार्टी कैसी होगी?"
उन्होंने जवाब दिया, "ये जो बच्चे पूछ रहे हैं वो नहीं है बल्कि ये पेरंट्स के लिए है."
पार्टी से जाने पर मुझे रिटर्निंग गिफ्ट बैग मिला जो मेरे लाए हुए गिफ्ट बैग से तीन गुना बड़ा था.
मुझे नहीं पता मैं अभी भी हैरान क्यों हूँ? इस तरह की पार्टी इंडोनेशिया में हाई क्लास के बच्चों के लिए आम बात बन गई है, जिनके साथ मेरे बच्चे स्कूल जाते हैं.
क्रेज़ी रिच
एक परिवार ने हॉलीवुड ब्लॉकबस्टर 'सुसाइड स्क्वायडटट' फिल्म को री-एडिट करवाने के लिए एक कंपनी को किराए पर लिया था ताकि बर्थडे गर्ल को फिल्म के मुख्य सीन में दिखाया जा सके. बच्चों ने इसे टॉप होटल के बॉलरूम में सिनेमा साइज़ की स्कीन पर देखा.
उस समय मैं पापुआ के सुदूर प्रांत की एक यात्रा से लौटी थी, जहां मैं बच्चों के स्वास्थ्य पर रिपोर्ट कर रही थी. वहां बच्चे कुपोषण के कारण मर रहे थे.
जब सितम्बर में यहां 'क्रेजी रिच' एशियन फिल्म आई तो लोगों ने ट्विटर पर 'क्रेज़ी रिच इंडोनेशियन' से जुड़ी कहानियों को ट्वीट करना शुरू कर दिया. ख़ासकर देश के दूसरे सबसे बड़े शहर सुरबाया में रहने वाले लोगों ने.
एक स्थानीय टीचर ने अपने एक छात्र के परिवार के बारे में सोशल मीडिया पर एक छोटी सा व्याख्यान साझा किया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर #crazyrichsurabayans ट्रेंड करने लगा. जिसमें बताया गया था कि वे वैक्सीनेशन के लिए जापान जाते हैं और छुट्टियाँ बिताने यूरोप. वे इस पर एक किताब भी लिख रही हैं और इस पर एक फिल्म आने की भी बात हो रही है.
हाल ही में सुरबाया की एक जोड़ी ने बहुत ही शानदार और आलीशान शादी की, जिसमें इंडोनेशिया और विदेशी सैकड़ों मेहमान शामिल हुए थे, जिन्हें प्राइज़ ड्रॉ में जगुआर स्पोर्ट्स कार दी गई. इस इवेंट को लोकल मीडिया ने क्रेज़ी रिच सुरबायन्स इवेंट नाम दिया था.
दूल्हे ने वेनिस मकाओ रिज़ॉर्ट में कई अजनबियों के बीच फ्लैश मॉब (डांस) में हिस्सा लिया था.
देश के पश्चिम में कई लोग अब अपर-मिडल क्लास की ओर बढ़ रहे हैं. इसके बारे में उनके माता पिता ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा.
पिछले दो दशकों में देश में गरीबी दर में भारी गिरावट के बाद पांच में से एक इंडोनेशियन मिडल क्लास का हिस्सा बन चुका है.
इंडोनेशिया में लोग अपने विशाल प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें जंगलों से पेड़ों की कटाई, ताड़ का तेल, कोयला, सोने और तांबा खनन शामिल हैं. इसके साथ-साथ वहाँ सस्ती मज़दूरी और आसान श्रम कानून की वजह से लोग जानते हैं कि सिस्टम में रहकर कैसे फ़ायदा लिया जा सकता है.
अमीरों का कचरा गरीबों की कमाई
सलीमुन उन लोगों में से एक हैं जो सिस्टम को नहीं समझते हैं, उन्होंने अपना जीवन जैसे-तैसे काटा लेकिन वे अपने बच्चों का जीवन ऐसे नहीं कटने देंगे.
वे एक स्वीपर हैं, जिन्हें मेंटेंग के समृद्ध घरों से कचरा इकट्ठा करने का एक महीने में 254 अमरीकी डॉलर की न्यूनतम मज़दूरी मिलती है.
वे लकड़ी से बने ठेले को अपने हाथों से खिंचते हैं. मैंने उनसे ज़्यादा मेहनती व्यक्ति आज तक नहीं देखा. मेरे बच्चे उन्हें सुपरमैन कहते हैं. वे कचरे से हर काम की चीज़ निकाल लेते हैं, उन्हें हमारे घर स्टोर करते हैं, और बाद में बेच देते हैं.
सलीमुन हमारे घर के पीछे बने एक कमरे में रहते हैं. जो हमारी प्रॉपर्टी से जुड़ा हुआ है. जब हम किराए पर लेने के लिए ये जगह देखने आये थे तो वो कमरे में बैठे हए थे, जिसने हमसे पूछा कि क्या वो यहां रह सकता है.
थोड़ी सी बहस के बाद हमने उन्हें वहां रहने के लिए हां कर दिया. और अब वो हमारे बच्चों के लिए चाचा की तरह हैं.
दिल से वे एक किसान हैं जिसने हमारे स्वीमिंग पूल को मछलियों के एक तालाब में बदल दिया और मेरे बगीचे को केलों के बाग में बदल दिया.
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जब मैंने अपनी आलमारी साफ़ की तब उसमें से हाई हील के चमड़े के बूट निकले थे, जिन्हें मैंने बहुत ही कम पहना था. वे बूट मैंने सलीमुन को दे दिए थे जिन्हें उन्होंने हील हटाकर पहना था और वो उनमें बहुत खुश था.
जो भी वो कमाता है वो सब सेंट्रल जावा में अपने गांव अपने परिवार को भेज देता. वो साल में एक बार अपने घर उनसे मिलने जाता.
अमीरों के कूड़े-कचरे से कमाया हुए पैसों से उसके बच्चों हाई स्कूल पढ़ पाए. अब वे एक कारखाने में काम करते हैं, जहां वे जकार्ता के शॉपिंग मॉल में जाने वाला सामान बनाते हैं.
एक बार उसने मुझसे पूछा "आईपैड क्या होता है? मेरे बेटे ने कहा है कि उसे ये चाहिए. ये कैसे काम करता है?"
मैंने उनसे बात की कि और समझाया कि वो इससे सस्ता टैबलेट ले सकते हैं जो मैं दिला दूँगी.
एक बार उनकी बेटी कुछ दिनों के लिए रहने आई थी, जो अपने मोबाईल फ़ोन में बहुत रूचि ले रही थी.
सलीमुन बहुत अमीर नहीं, मगर उनकी अगली पीढ़ी को पहले ही सामानों का चस्का लग चुका है.