अमीर सिंगापुर की हालत यूं दिनोदिन होती जा रही ख़राब
सिंगापुर की चौड़ाई महज 48 किलोमीटर में सिमटी हुई है. यह देश न्यूयॉर्क के आधे क्षेत्रफल से भी छोटा है. आबादी भी महज 55 लाख है. लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में इस इलाक़े का कोई देश सामने नहीं टिकता है.
कोरोना महामारी ने एशिया की व्यापार निर्भर अर्थव्यवस्थाओं को ख़ासा नुकसान पहुंचाया है. दूसरी तिमाही में सिंगापुर की मंदी का जो आकलन किया गया था, हकीक़त में असर उससे कहीं ज़्यादा है.
सिंगापुर कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुआ और वायरस को फैलने से रोकने के लिए यहां लॉकडाउन लागू किया गया जो दूसरी तिमाही में लगभग पूरे समय लागू रहा.
व्यापार और उद्योग के स्थायी सचिव गैब्रिएल लिम ने एक ब्रीफिंग में कहा, "यह अब भी स्पष्ट नहीं हैं कि आने वाली तिमाही में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति क्या रहेगी. इसी तरह घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुधार के लिए क्या किया जाए इस पर भी अनिश्चितता बरकरार है.''
उन्होंने कहा, "मई के बाद से सिंगापुर की अर्थव्यवस्था को लेकर दृष्टिकोण थोड़ा कमज़ोर हुआ है."
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दूसरी तिमाही में साल-दर-साल 13.2 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई. वहीं संशोधित सरकारी आँकड़ों में मंगलवार को अग्रिम आकलन में 12.6 फ़ीसदी की गिरावट दिखी.
अर्थव्यवस्था पिछले तीन महीनों से सालाना और सीज़नल स्थिति के समायोजित आधार पर 42.9 फ़ीसदी गिर गई, यह भी एक रिकॉर्ड है. इसके साथ ही सरकार के शुरुआती अनुमानों में 41.2 फ़ीसदी गिरावट के आँकड़े से भी अधिक है.
ये आँकड़े विश्लेषकों के आकलन से मेल खाते हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
सरकार का कहना है कि अब उन्हें उम्मीद है कि पूरे साल का जीडीपी पाँच से सात फ़ीसदी के बीच होगा. पहले इसमें चार से सात फ़ीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया गया था. ट्रांसपोर्ट और टूरिज़म का हब कहा जाने वाला सिंगापुर फ़िलहाल इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है.
मेयबैंक के अर्थशास्त्री शुआ हक़ बिन ने कहा, "दूसरी तिमाही में गिरावट और पूरे साल के जीडीपी की ग्रोथ धीमे और सुस्त आर्थिक सुधार की ओर इशारा करती है."
उनका मानना है कि लॉकडाउन से राहत मिलने के बाद भी सीमा पर कड़े प्रतिबंध, सोशल डिस्टेंसिंग के नियम और विदेशी कामगारों की कमी की वजह से अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलना आसान नहीं है.
जीडीपी में गिरावट की वजह से ग्लोबल फ़ाइनेंस हब में दूसरी तिमाही में भी गिरावट जारी रही. पहली तिमाही में साल-दर-साल 0.3 फ़ीसदी गिरावट और 3.1 फ़ीसदी तिमाही-दर-तिमाही गिरावट, तकनीकी रूप से मंदी की निशानी है.
सिंगापुर के आँकड़े ऐसे वक़्त में सामने आए हैं जब दूसरे एशियाई देश जैसे जापान में भी दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था की हालत से जुड़ी रिपोर्ट आने वाली है. यहां भी रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिल सकती है.
इस बीच, दक्षिण कोरिया के निर्यात ने अगस्त के पहले सप्ताह में दोहरे अंकों में गिरावट दर्ज की है.
ओसीबीसी बैंक में ट्रेजरी रिसर्च एंड स्ट्रैटिजी हेड सेलेना लिंग कहती हैं, "महामारी के प्रकोप में ताज़ा बढ़ोतरी के बाद अर्थव्यवस्थाएं फिर से कड़े क़दम उठाने लगी थीं. यह असरदार हो सकता है. अगर लोगों की उम्मीदें बरकरार रहती हैं तो अर्थव्यवस्था की रिकवरी दिख सकती है."
सिंगापुर के सेंट्रल बैंक ने मार्च में अपनी मौद्रिक नीति में थोड़ी राहत दी थी जबकि सरकार ने भी महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए 100 अरब सिंगापुर डॉलर (72 अरब डॉलर) की राहत जारी की थी.
सिंगापुर का मलेशिया में आना
सिंगापुर ने बहुत छोटे वक़्त में तरक्की का जो मुकाम हासिल किया है वो किसी भी देश के लिए प्रेरणादायी है. सिंगापुर की चौड़ाई महज 48 किलोमीटर में सिमटी हुई है. यह देश न्यूयॉर्क के आधे क्षेत्रफल से भी छोटा है. आबादी भी महज 55 लाख है. लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में इस इलाक़े का कोई देश सामने नहीं टिकता है. दक्षिण-पूर्वी एशिया में सिंगापुर एकमात्र देश है जहां चीनी मूल के नागरिक सबसे ज़्यादा हैं.
9 अगस्त 1965 को सिंगापुर मलेशिया से अलग होकर एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र बना था. सिंगापुर का मलेशिया से अलगाव के मुख्य कारण आर्थिक और राजनीतिक मतभेद थे.
इसी मतभेद के कारण 1964 में जुलाई से सितंबर के बीच नस्ली हिंसा भी भड़की थी. मलेशिया से अलग होने की घोषणा करने जब सिंगापुर के पहले प्रधानमंत्री ली कुआन यी सामने आए तो वो भावुक हो गए थे.
वो प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए रो पड़े थे. उन्होंने कहा था, ''मलेशिया के साथ हम 23 महीने से भी कम समय तक रहे.''