साथ देने वाले हजारों अफगानों को कहां ले जाएं ? अमेरिका के सामने खड़ी हुई चुनौती, अबतक ये है प्लान
काबुल, 15 जुलाई: अफगानिस्तान में लगातार दो दशकों तक जिन अफगानियों ने अमेरिकी सैनिकों की मदद की है, उन्हें तालिबान के कहर से सुरक्षित निकालना अब अमेरिका की बहुत बड़ी जिम्मेदारी बन गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पिछले हफ्ते ही ऐलान कर चुके हैं कि अफगानिस्तान में उनका मिलिट्री ऑपरेशन 31 अगस्त को खत्म हो जाएगा। बुधवार को बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि अमेरिकी सेना की मदद करने वाले अफगानियों को सुरक्षित निकालने के लिए वह तैयार है। लेकिन, इसके लिए विशेष अप्रवासी वीजा की दरकार है, जिसमें समय लगेगा और अफगानिस्तान छोड़कर जाने वाले अफगानियों की संख्या हजारों में है।
साथी अफगानियों को सुरक्षित निकालने का दबाव
व्हाइट हाउस के प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने अमेरिकी सैनिकों की मदद करने वाले अफगानियों को वहां से सुरक्षित निकाले जाने के बारे में कहा है कि 'हम ये कदम इसलिए उठा रहे हैं, क्योंकि ये साहसी लोग हैं।.....हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पिछले कई वर्षों में उनकी ओर से निभाई गई भूमिका को हम पहचानें और उन्हें महत्त्व दें।' दरअसल, बाइडेन प्रशासन पर अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों का दबाव है कि अगले महीने अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से निकालने से पहले उन अफगानियों को भी वहां से निकलने में मदद करें, जिन्होंने उनके सैनिकों की सहायता की है। लेकिन, चुनौती ये है कि ऐसे अफगानियों का संख्या सैकड़ों में नहीं, हजारों में है।
अफगानियों को कहां लेकर जाएगा अमेरिका ?
माना जा रहा है कि अफगान शरणार्थियों को अफगानिस्तान से निकाल कर ले जाने वाली उड़ानों की शुरुआत जुलाई के अंतिम हफ्तों से होगी। व्हाइट हाउस के मुताबिक पहले उन लोगों को निकाला जाएगा, जिनका अमेरिका में निवास के लिए विशेष अप्रवासी वीजा पहले से ही आवेदन की प्रक्रिया में है। साकी ने इसकी विस्तृत जानकारी देने से मना कर दिया कि पहली फ्लाइट में कितने अफगानियों को निकाला जाएगा और उन्हें कहां लेकर जाया जाएगा। हालांकि, सुरक्षा चिंताओं की वजह से यह जानकारी नहीं देने की बात कही गई है।
किसी तीसरे देश में रखे जाएंगे अफगानी नागरिक ?
गौरतलब है कि विशेष अप्रवासी वीजा के लिए अमेरिका के हक में काम करने हजारों अफगानियों और उनके परिवार वालों ने पहले से ही आवेदन दे रखा है, जो कि मंजूरी की प्रक्रिया में है। अमेरिकी प्रशासन अभी इस बात के लिए माथापच्ची कर रहा है कि यह प्रक्रिया पूरी होने से पहले साथी अफगानियों को निकालकर ले कहां जाया जाए ? बाइडेन प्रशासन इसके लिए किसी तीसरे देश या किसी अमेरिकी क्षेत्र की भी पहचान करने में लगा है, जहां इन अफगानों को वीजा की प्रक्रिया पूरी होने तक सुरक्षित रखा जा सके।
तीसरे देश में अफगानियों की सुरक्षा की कौन लेगा गारंटी ?
लूथरैन इमीग्रेशन एंड रिफ्यूजी सर्विस के प्रेसिडेंट और सीईओ क्रिश ओमारा विगनाराजा ने कहा है कि बाइडेन सरकार की ज्यादातर योजना की जानकारी नहीं है। यह भी पता नहीं है कि काबुल के बाहर के लोगों को निकालने का क्या प्लान है। गौरतलब है कि तालिबान ग्रामीण इलाकों में ही तेजी से कब्जा करता जा रहा है। उन्होंने कहा है कि 'दुर्भाग्य से अभी भी बहुत सारे सवालों का जवाब नहीं मिल पा रहा है। जैसे कि कुल कितने लोग निकाले जाने हैं.....राजधानी से बाहर रहे लोगों को सुरक्षा कैसे मिलेगी?' वो कहते हैं कि 'और उन्हें निकालकर किन देशों में ले जाया जाएगा? हमें अपने सहयोगियों के उन देशों में मानवाधिकारों की सुरक्षा की गंभीर चिंता है, जिनके इस प्रक्रिया में संभावित पार्टनर होने की अफवाहें हैं।'
18,000 अफगानी नागरिकों को हो सकता है खतरा !
वैसे अमेरिकी अधिकारियों ने संभावना जताई है कि वीजा के इंतजार में लगे अफगानियों को मध्य एशिया के किसी पड़ोसी देशों में ले जाया जा सकता है, जहां उन्हें तालिबान या दूसरे संगठनों से खतरा न हो। हालांकि, अमेरिका अभी अफगानी शरणार्थियों की पक्की संख्या नहीं बता रहा है, लेकिन काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास ने मार्च में 299, अप्रैल में 356 और मई में 619 के लिए विशेष अप्रवासी वीजा जारी किया है। बाइडेन ने पिछले हफ्ते बताया था कि उनके अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से अबतक ऐसे 2,500 वीजा मंजूर किए गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक अफगानिस्तान के 18,000 नागरिक अभी तक अमेरिका की मदद कर रहे थे। इनमें दुभाषिए, ड्राइवर से लेकर कई तरह के लोग शामिल हैं। लेकिन, तालिबान की बढ़त से अब इन सबकी जान के लाले पड़ रहे हैं और उनके लिए अपने देश में रहना खतरे से खाली नहीं रह गया है।