चीन के शिनजियांग में मुस्लिम आबादी पर बेइंतहा जुल्म, फिर भी क्यों चुप हैं इस्लामिक देश?
चीन अपने देश के मुसलमानों पर बेइंतहां जुल्म ढा रहा है। लेकिन दुनिया के इस्लामिक देश चुपचाप तमाशा देख रहे हैं। सिर्फ तुर्की ने ही चीन का विरोध किया है। मुसलमानों के हक में लंबी-चौड़ी तकरीर देने वाला पाकिस्तान तो चीन की गोद में बैठा हुआ है। भारत में खून खराबा करने वाले पाकिस्तान के आंतकी सगंठन भी चीन में मुसलमानों की दुर्दशा पर कुछ नहीं बोलते। रोहिंग्या मुसलमानों पर मुस्लिम देश बोलते हैं, कश्मीर पर बोलते हैं लेकिन चीन में मुस्लमानों के अत्याचार पर उनकी जुबान को लकवा मार जाता है। क्या चीन को मुसलमानों पर जुल्म की छूट मिली हुई है ? हद तो ये है कि सउदी अरब और पाकिस्तान जैसे देश इस मामले में चीन का बचाव करते हैं। लेकिन अब वक्त आ गया है कि मुस्लिम देश चीन की फितरत को समझें। शिनजियांग में मस्जिदें तोड़ी जा रही हैं। दाढ़ी बढ़ाने वालों को जेल में ठूंसा जा रहा है। मुसलमानों की आबादी रोकने के लिए महिलाओं को जबरन बांझ बनाया जा रहा है। ज्यादा बच्चे होने पर परिवार को अलग सुधार गृहों में भेजा जा रहा है। क्या यह अमानवीय नहीं ?
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पूर्वी तुर्किस्तान है आज का शिनजियांग
चीन का शिनजियांग प्रांत पहले मध्य एशिया का पूर्वी तुर्किस्तान था। चीन ने 1949 में पूर्वी तुर्किस्तान पर कब्जा जमा लिया था। शिनजियांग की बहुसंख्यक आबादी मुस्लिम है। ये तुर्की नस्ल के हैं। उन्हें उइगर मुसलमान कहा जाता है। चीन का दावा है कि पूर्वी तुर्किस्तान 18वी शताब्दी में चीन के चिंग वंश के शासन के अधीन था। पूर्वी तुर्किस्तान की संस्कृति और भाषा चीन से बिल्कुल अलग थी। धर्म भी अलग था। पूर्वी तुर्किस्तान के लोगों ने चीन के शासन को कभी दिल से स्वीकर नहीं किया। चीनी सेना के दमन के आगे वे बेबस रहे। उइगर लोग चीन के शासन को उखाड़ फेंकने के कोशिश करते रहे। 1933 में पूर्वी तुर्किस्तान ने खुद को आजाद देश घोषित कर लिया। काशगर शहर को राजधानी बनाया गया। लेकिन कबीले के सरदारों की अपसी लड़ाई में यह आजादी जल्द ही खत्म हो गयी। 1944 में तत्कालीन सोवियत संघ की मदद से पूर्वी तुर्किस्तान ने एक फिर अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की। 1949 तक पूर्वी तुर्किस्तान तब एक आजाद देश रहा जब तक कि चीन ने उस पर कब्जा नहीं कर लिया।
शिनजियांग का भूगोल
प्राचीन काल में मध्य एशिया के एक बड़े भूभाग को तुर्किस्तान कहा जाता था जहां तुर्की भाषा बोली जाती थी। आधुनिक युग में तुर्किस्तान का भौगोलिक क्षेत्र कई आजाद मुल्कों में बंट गया है। आज का तुर्कमेनिस्तान, उजेबेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिजस्तान, तजाकिस्तान पहले तुर्किस्तान कहलाता था। इनमें पूर्वी तुर्किस्तान भी एक आजाद देश था जिस पर चीन नें कब्जा कर लिया। चीन ने अब इसे शिनजियांग प्रांत का नाम दे दिया है। शिनजियांग की सीमा दक्षिण में तिब्बत और भारत से और उत्तर में रूस से मिलती है। पश्चिम में शिनजियांग की सीमा पाकिस्तान, अफगानिस्तान और कजाकिस्तान जैसे देशों से मिलती हैं। चीन ने भारत के जिस अक्साईचिन इलाके पर कब्जा कर रखा है इसे शिनजियांग प्रांत में ही रखा गया है। चीन ने पाकिस्तान को धमका पाक अधिकृत कश्मीर में 5180 वर्ग किलोमीटर जमीन हासिल कर ली थी। बाद में पाकिस्तान ने इसे सीमा समझौते का रूप देकर अपनी लाज बचायी थी। पाकिस्तान के जमीन देने से चीन ने कारोकोरम सड़क बना ली। यह सड़क चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के गिलगित बाल्टिस्तान से जोड़ती है। सामरिक रूप से यह सड़क भारत के लिए खतरा है।
शिनजियांग में चीन का अत्याचार
अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने करीब हफ्ता भर पहले एक सनसनीखेज खुलासा किया था। उसने शिनजियांग के सरकारी दस्तावेजों और सरकारी आंकड़ों के आधार पर बताया था कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार उइगर मुसलामनों की आबादी रोकने के लिए कई दमनकारी नीतियां अपना रहीं हैं। उइगर महिलाओं का नियमित रूप से प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जाता है और गर्भनिरोध उपायों के इस्तेमाल पर मजबूर किया जाता है। इसके बावजूद अगर कोई महिला गर्भवती हो जाती है तो उसका जबरन गर्भपात करा दिया जाता है। शिनजियांग में 2016 से 2018 के बीच करीब 60 हजार उइगर पुरुषों की जबरन नसबंदी की गयी है। तीन या उससे अधिक बच्चे होने पर माता-पिता को बच्चों से अलग कर सुधार गृह में भेज दिया जाता है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक एक महिला को तीन बच्चे होने पर उसके खिलाफ 2700 डॉलर का जुर्माना लगा दिया गया। सरकार कागज पर तो उइगर मुसलमानों और चीन के हान समुदाय को बराबर का अधिकार देती है लेकिन हकीकत में उइगरों को दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है। उपग्रहों से मिली तस्वीरों के मुताबिक शिनजियांग में 2017 से 2019 के बीच करीब 36 मस्जिदों और धार्मिक स्थलों को गिराया दिया गया था।
दाढ़ी बढ़ायी तो जेल
इस साल फरवरी में चीन से लीक हुए दस्तावेजों में यह जानकारी मिली थी कि शिनजियांग में बढ़ी हुई दाढ़ी और अधिक बच्चे होने पर लोगों को नजरबंद कर दिया गया था। यहां के लोग विदेश जाने के लिए पासपोर्ट भी नहीं ले सकते। जर्मन न्यूज चैनल डीडब्ल्यू और बीबीसी को इस मामले में 137 पन्नों का एक दस्तावेज मिला था। इनमें इंटरनेट चैट, वीडियो, उच्च तकनीत कैमरे की तस्वीरें शामिल थीं। चीन दाढ़ी रखने वालों को धार्मिक और आतंकी विचारों से ग्रसित मानता है। उइगर लोग अपनी आजादी के लिए संघर्ष चला रहे हैं। चीन ने इन्हें आतंकवादी मानता है। 2014 के बाद से चीन ने एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन के नाम पर करीब 20 लाख उइगर मुसलमानों को नजरबंद कर रखा है। इस मामले में चीन का कहना है कि वह शिनजियांग में आतंकवाद से निबटने के लिए एक वोकेशनल ट्रेनिंग कैंप चला रहा है जिसे दूसरे देश जेल या कैंप कहते रहे हैं। लेकिन पूर्व बंदियों का आरोप है इस शिविर में उन्हें याचनाएं भी दी जाती थीं। इन कैदियों पर चीन कई तरह के मेडिकल एक्सपेरिमेंट भी करता रहा है। चीन के अमानवीय रवैये के खिलाफ आवाज उठाने में आखिर मुस्लिम देशों की मजबूरी क्या है ?