थाईलैंड: गुफा से निकाले बच्चों के बारे में उनके माता-पिता को क्यों नहीं बताया गया?
बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे है नारोंगसक ओसोटानकोर्न ने साफ़ कहा है कि बचाव कार्य का पहला चरण 'उम्मीद से कहीं ज़्यादा सफलता' के साथ पूरा हुआ.
इन बच्चों की पहचान जाहिर नहीं की गई है. इनके माता-पिता को भी नहीं बताया गया कि उनके बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. ऐसा उन परिवारों के सम्मान में किया गया, जिनके बच्चे अब भी गुफा में फंसे हुए हैं.
कई स्वयंसेवी संस्थाएं उन परिवारों की मदद के लिए सामने आए हैं जिनके बच्चे गुफा में फंसे हैं.
जिस काम में महीनों लग सकते हैं, उसे महज कुछ दिनों में पूरा किया जा सकता है. वो भी पूरी कामयाबी के साथ. थाइलैंड के बचाव दल और गोताखोरों ने यह साबित करके दिखाया है.
वहां की दुर्गम गुफा में फंसे 12 बच्चों और एक कोच में से अब तक आठ लोगों को सफलतापूर्वक बाहर निकाला जा चुका है और बाक़ी पांच को बचाने के लिए भी कमर कस ली गई है.
इन बच्चों को बचाने के लिए बहुत से लोग अपनी मर्जी से सामने आए. 38 साल के गोताखोर समन गुनन ने तो नौसेना से रिटायर होने के बावजूद स्वेच्छा से इस मिशन के लिए अपना हाथ बढ़ाया.
बच्चों के लिए ऑक्सीजन की टंकी पहुंचाने गए गुनन की वापसी में बेहोश हो गए और इसके बाद उनकी मौत हो गई.
घुप्प अंधेरे, बारिश, ऑक्सीजन की कमी और ऐसी न जाने कितनी मुश्किलों के बीच पानी से लबालब भरी इस गुफा से बच्चों को सुरक्षित निकालना आसान नहीं है और थाईलैंड को मालूम है कि इस वक़्त पूरी दुनिया की निगाहें उस पर टिकी हुई हैं.
इस पूरे बचाव अभियान में कई दिलचस्प चीजें देखने को मिल रही हैं. ये बातें थाइलैंड की संस्कृति और वहां के लोगों के बारे में भी बहुत कुछ कहती हैं.
बड़ी कामयाबी लेकिन शोर नहीं
आठ बच्चों को इतनी जल्दी सुरक्षित बाहर निकाले जाने के बाद भी थाईलैंड की सरकार और मीडिया में इसका 'बहुत ज़्यादा' शोर नहीं है.
बचाव दल की शुरुआती सफलता और अच्छी ख़बर के बाद थाईलैंड प्रशासन बेहद सतर्क है. बचाए गए आठ बच्चों की पहचान पूरी तरह से गुप्त रखी गई है.
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मीडिया तो दूर, उन बच्चों के माता-पिता को भी इस बारे में नहीं बताया गया है. यानी, अभी तक बस इतना पता है कि आठ बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है लेकिन ये बच्चे कौन हैं, इसका पता नहीं है.
ऐसा क्यों किया गया? बीबीसी की थाई सेवा के मुताबिक इसकी तीन वजहें हो सकती हैं.
सम्मान
बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे है नारोंगसक ओसोटानकोर्न ने साफ़ कहा है कि बचाव कार्य का पहला चरण 'उम्मीद से कहीं ज़्यादा सफलता' के साथ पूरा हुआ.
इन बच्चों की पहचान जाहिर नहीं की गई है. इनके माता-पिता को भी नहीं बताया गया कि उनके बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. ऐसा उन परिवारों के सम्मान में किया गया, जिनके बच्चे अब भी गुफा में फंसे हुए हैं.
कई स्वयंसेवी संस्थाएं उन परिवारों की मदद के लिए सामने आए हैं जिनके बच्चे गुफा में फंसे हैं.
इनके लिए चंदा इकट्ठा किया गया है स्वयंसेवक इन्हें खाने-पीने और मनोवैज्ञानिक मदद भी दे रहे हैं.
कई बच्चों के माता-पिता ने बचाव अभियान पर करीब से नज़र रखने के लिए अपनी नौकरियों से छुट्टी ले रखी है.
सूचना पर नियंत्रण
थाईलैंड के अधिकारियों का इस बात पर पूरा ध्य़ान है कि बच्चों से सम्बन्धित कोई जानकारी बाहर न जाने पाए. इसकी दो वजहें हैं.
ख़बरें लीक होने से बचाव अभियान में बाधा आ सकती है और अफ़वाहें फैल सकती हैं. बच्चों के परिवार और उनकी संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए भी यह फ़ैसला लिया गया है.
सूचना को किस क़दर से नियंत्रित किया जा रहा है, इसका उदाहरण ये है कि बचाव कैंप के पास सेलफ़ोन ले जाना तक मना है.
कुछ चुनिंदा लोग ही वहां फ़ोन ले जा सकते हैं और बचाव कैंप से आ रही ख़बरों को भी चुनिंदा लोगों के साथ ही साझा किया जा रहा है.
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अधिकारियों की मीडिया को लेकर भी अपनी चिंताएं हैं. बचाव दल के प्रमुख नारोंगसक ने रविवार को मीडिया के एक वर्ग की आलोचना की और कहा कि कुछ पत्रकारों ने ज़रूरत से ज़्यादा जानकारी जुटाने के लिए पुलिस के रेडियो में दखल दिया और यहां तक कि ड्रोन्स का इस्तेमाल भी किया.
वहीं, बच्चों के माता-पिता बचाव दल और अधिकारियों के निर्देशों का पूरी तरह पालन कर रहे हैं और गोपनीयता बनाए रखने में भी मदद कर रहे हैं.
आभार
थाईलैंड में लोकप्रिय कहावत है- जो आपकी मदद कर रहे हैं, आप उनसे ज़्यादा मदद मांगकर उनका अपमान मत कीजिए.
यही वजह है कि बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों के बारे में मिल रही उतनी ही जानकारी से संतुष्ट है, जो उन्हें दी जा रही है.
उन्हें अच्छी तरह पता है कि बचाव दल और अंतरराष्ट्रीय समुदाय बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. इसलिए, इन कोशिशों के प्रति आभार जताते हुए वो बचाव दल और अधिकारियों के निर्देशों का पालन कर रहे हैं.
थाईलैंड के लोगों को उनकी विनम्रता और सम्मानजनक रवैये के लिए जाना जाता है. इस वक़्त बच्चों के माता-पिता जो कर रहे हैं, वो थाईलैंड की उस संस्कृति का प्रतीक है जिसमें लोग बिना सवाल किए मदद स्वीकार करते हैं.
11 से 17 साल की उम्र वाले ये बच्चे एक ट्रेनिंक ट्रिप के दौरान ये बच्चे थेम लुआंग गुफा में फंस गए थे. नौ दिनों के बाद बच्चों के यहां फंसने का पता लगा था. ये लोग 23 जून से यहां फंसे हुए हैं और आज बचाव अभियान का तीसरा दिन है.
बचाए गए बच्चों को फिलहाल एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है. बताया गया है कि गुफा में फंसे बच्चों और कोच की सेहत ठीक है.
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