थाइलैंड ने चीन को दिया दोहरा झटका, प्रोजेक्ट से खींचें हाथ, पनुडब्बी खरीद में भी देरी
बैंकॉक। थाईलैंड ने चीन को एक बड़ा झटका दिया है। गुरुवार को देश की सरकार ने फैसला किया है कि वह उस केआरए कैनाल प्रोजेक्ट से हाथ खींच लेगी जिसकी अगुवाई चीन कर रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत चीन मलेका स्ट्रेट पर एक बाइपास बनाना चाहता था। प्रोजेक्ट को चीन की नेवी के लिए बहुत अहम करार दिया जा रहा है। थाइलैंड की सरकार पर विपक्षी पार्टी का दबाव बढ़ता जा रहा है। विपक्षी दल चीन प्रधानमंत्री प्रयुत छान ओ छा पर लगातार दबाव डाल रहे हैं कि वो चीन की परियोजनाओं से हाथ खींचें।
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दो पनडुब्बियों की खरीद में भी देरी
थाइलैंड ने दो युआन क्लास S26T पनडुब्बियों की खरीद को भी आगे सरका दिया है। इन पनडुब्बियों की कीमत करीब 724 मिलियन डॉलर है। इस खरीद के जरिए चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता था। थाइलैंड में विपक्षी फ्यू थाई पार्टी की तरफ से सरकार पर बहुत दबाव है। साथ ही कुछ और लोगों ने भी उस नहर प्रोजेक्ट को लेकर चिंता जताई थी जिसके तहत 120 किलोमीटर लंबी नहर के निर्माण का प्रस्ताव किया गया था। थाई विशेषज्ञों की तरफ से कहा गया था कि इस प्रोजेक्ट की वजह से म्यांमार और कंबोडिया जैसे तमाम गरीब देशों की आजादी खतरे में आ सकती है। इन देशों की सिविल सोसायटी को कमजोर माना जाता है और ऐसे में अक्सर यहां पर चीनी हस्तक्षेप की आशंका जताई जाती है।
इंडियन नेवी के लिए बड़ा चैलेंज था प्रोजेक्ट
थाईलैंड की फैसला बहुत महत्वूपर्ण है क्योंकि लद्दाख में गलवान घाटी हिंसा के बाद इंडियन नेवी ने मलेका स्ट्रेट पर अपनी वॉरशिप को तैनात किया था। मलेका स्ट्रेट वह रणनीतिक चेकप्वाइंट है जो इंडोनेशियाई द्वीप सुमात्रा के बीच पड़ता है। यह जगह हिंद और प्रशांत महासागर को मलय प्रायद्वीप से अलग करता है। केआर प्रोजेक्ट, थाइलैंड के क्रा के इस्तमस को अलग करता है। यह प्रोजेक्ट चीन के लिए एक बड़ी रणनीतिक जीत साबित हो सकता था। क्योंकि इसके बाद फिर चीन की नौसेनाएं आजादी से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकती थीं। इसके अलावा साउथ चाइना सी और हिंद महासागर पर नए बेसेज पर तेजी से उनकी तैनाती हो सकती थी। इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन अपनी स्थिति को मजबूत कर सकता था और यह भारतीय नौसेना के लिए बड़ी चुनौती बन सकता था।