थाईलैंडः अंधेरी पानी से भरी गुफ़ा में ऐसे चला बचाव अभियान
23 जून को 12 बच्चे और उनके कोच फ़ुटबॉल के अभ्यास के बाद उत्तरी थाईलैंड स्थित गुफ़ाओं में घूमने गए और लापता हो गए. नौ दिन बाद ये सभी बचाव दल को जीवित मिल गए हैं.
बारिश के पानी के गुफ़ाओं में घुसने के बाद ये दल लापता हो गए था. इसकी खोजबीन के लिए थाईलैंड की नौसेना और वायुसेना ने एक बड़ा अभियान चलाया.
थाईलैंड की नौसेना ने जीवित मिले बच्चों का ये वीडियो जारी किया है.
23 जून को 12 बच्चे और उनके कोच फ़ुटबॉल के अभ्यास के बाद उत्तरी थाईलैंड स्थित गुफ़ाओं में घूमने गए और लापता हो गए. नौ दिन बाद ये सभी बचाव दल को जीवित मिल गए हैं.
बारिश के पानी के गुफ़ाओं में घुसने के बाद ये दल लापता हो गए था. इसकी खोजबीन के लिए थाईलैंड की नौसेना और वायुसेना ने एक बड़ा अभियान चलाया.
थाईलैंड की नौसेना ने जीवित मिले बच्चों का ये वीडियो जारी किया है.
https://www.facebook.com/ThaiSEAL/videos/1631228493667210/
इस समूह की साइकिलें गुफ़ा के मुहाने पर मिली थी. भारी बारिश का पानी गुफ़ा में घुस गया था जिससे बाहर आने के रास्ते बंद हो गए थे.
बचाव दल को उम्मीद थी कि 11 साल से 16 साल की उम्र के बीच के ये फ़ुटबॉल खिलाड़ी और उनके कोच टैम लूंग नोन नाम की इन गुफ़ाओं के भीतर जीवित हो सकते हैं.
उन्हें उम्मीद थी कि बाढ़ के पानी से घिरे इस दल को गुफ़ा के भीतर कोई सुरक्षित ठिकाना मिल गया होगा.
थाईलैंड के एक छात्र के फ़ोन में लापता लड़कों में से एक प्रचाक सुथाम की तस्वीर दिख रही है.
थाईलैंड की नौसेना के गोताखोर, चार ब्रितानी गुफ़ा गोताखोर और कुछ अमरीकी सैन्य दल के सदस्यों ने टैम लूंग नोन गुफ़ा के सबसे भीतरी इलाक़ों में पहुंचने के लिए काफ़ी मशक़्क़त की. ये थाइलैंड की चौथी सबसे लंबी गुफ़ा भी है.
नीचे दिख रही इस तस्वीर में ब्रितानी गोताखोर रॉबर्ट चार्ल्स हार्पर पर्वत के एक खुले मुहाने में रास्ता तलाशने की कोशिश करते दिख रहे हैं.
गुफ़ा से पानी बाहर निकालने के लिए उद्योगों में इस्तेमाल किए जाने वाले पंपों का इस्तेमाल किया गया. लेकिन भारी बारिश ने काम को मुश्किल बनाए रखा.
गुफ़ा के मुहाने में पानी भरने के बाद राहत और बचाव दल ने भीतर जाने के अन्य रास्ते तलाशने की भी कोशिश की. चट्टानों में सुराख़ करके पानी बाहर भी निकाला गया.
थर्मल कैमरा से लेंस ड्रोन का इस्तेमाल संभावित रास्ते तलाशने के लिए किया गया. भीतर भेजे गए एक रोबोट ने जलस्तर और पानी की गहराई के अलावा गुफ़ा के हालात के बारे में जानकारी बचाव दल को दी.
लापता बच्चों के कपड़े या अन्य सामान तलाशने के लिए बचाव दल ने खोजी कुत्तों का भी इस्तेमाल किया.
सोमवार को बच्चों के जीवित होने के संकेत मिलने से कुछ देर पहले ही बचाव दल ने कहा था कि उन्हें लगता है कि वो भीतर फंसे हुए बच्चों से क़रीब एक किलोमीटर दूर हैं. लेकिन बीच में पतली सुंरग थी जिसमें पानी भरा था.
गुफ़ा के भीतर फंसे इन बच्चों की ख़बर को दुनियाभर की मीडिया ने प्राथमिकता दी है और पूरा देश इन बच्चों के लिए दुआ कर रहा था.
खोजी अभियान में सैकड़ों स्वयंसेवक भी सेना और पुलिस की मदद करने आगे आए.
लापता बच्चों के लिए देशभर में दुआ की गई और विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं.
नीचे दिख रही तस्वीर में एक बौद्ध भिक्षु गुफ़ा के बाहर पूजा पाठ कर रहे हैं.
टैम लूंग गुफ़ा की ओर जा रहे रास्ते पर ये तपस्वी भी अनुष्ठान करता दिखा.
शनिवार को ये महिला तांत्रिक नाम नामग नोन जंगल के बाहर बच्चों के लिए अनुष्ठान करती दिखीं.
सोमवार को स्थानीय जनजातीय लीसू समुदाय के लोगों ने टैम लूंग गुफ़ा की आत्मा को प्रसन्न करने के लिए एक अनुष्ठान करके मुर्गे की बलि दी.
चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों का कहना था कि इस समूह का जीवित बचना इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें गुफ़ा के भीतर पीने का पानी मिल पाता है या नहीं. विशेषज्ञों का कहना था कि ये समूह बिना भोजन के आठ दिनों तक जीवित रह सकता है.