थाईलैंड: गुफ़ा बचाव अभियान से जुड़े 7 अहम सवाल और जवाब
दूसरी तरफ़, हेड कोच नोपरॉट का कहना है कि असिस्टेंट कोच एकापोल बच्चों के लिए बहुत दयालु और समर्पित थे. नोपरॉट को लगता है कि बच्चों ने ही उन्हें गुफा में जाने के लिए मनाया होगा. इस गुफा के बारे में आस-पास के इलाक़ों के लोग अच्छी तरह जानते हैं और बच्चे पहले भी यहां आ चुके थे.
फ़िलहाल यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जब यह गुफा में घुसे तो यह सूखी थी. जब बारिश हुई और पानी बढ़ने लगा तो वो गुफा के और अंदर चलते चले गए
18 दिनों बाद आख़िरकार थाईलैंड की गुफा से सभी 12 बच्चों समेत उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है.
इस बेहद ख़तरनाक और मुश्किल भरे मिशन को थाईलैंड और दुनिया के कई देशों के गोताखोरों की मदद से पूरा किया गया. थाईलैंड के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक़ सभी बच्चों की शारीरिक और मानसिक सेहत ठीक है.
थाईलैंड की सरकार के जनसंपर्क विभाग ने अस्पताल में भर्ती बच्चों की कुछे तस्वीरें भी जारी की हैं जिनमें वो मास्क लगाए नज़र आ रहे हैं. वैसे तो अब सब ठीक हो गया है लेकिन कई बड़े सवालों का जवाब मिलना बाक़ी है.
बीबीसी संवाददाता जोनाथन हेड ने ऐसे ही कुछ बड़े सवालों का जवाब देने की कोशिश की है.
1. बच्चे गुफा में इतने अंदर गए ही क्यों?
इस सवाल का सही जवाब हमें तब तक नहीं मिलेगा जब तक बच्चे या उनके असिस्टेंट कोच एकापोल ख़ुद इस बारे में कुछ नहीं बोलते.
बच्चों के हेड कोच नोपरॉट कान्टावॉमन्ग के मुताबिक़ शनिवार को इनका एक मैच था जो बाद में कैंसल हो गया था. मैच के बजाय उनका एक ट्रेनिंग सेशन होना तय हुआ था.
चूंकि इन बच्चों को साइकिल चलाना भी बहुत पसंद है, कोच एकापोल ने उन्हें साइकिल से फ़ुटबॉल के मैदान तक जाने को कहा. ये बातचीत एक फ़ेसबुक चैट के ज़रिए हुई थी. बातचीत में गुफा में जाने का कहीं कोई ज़िक्र नहीं था.
शनिवार की रात इनमें से एक बच्चे (जिसका नाम नाइट बताया जा रहा है) का जन्मदिन भी था. एक स्थानीय दुकानदार ने बताया कि बच्चों ने उसका जन्मदिन बनाने के लिए तक़रीबन 22 डॉलर की खाने-पीने की चीज़ें ख़रीदीं, जो यहां के हिसाब से काफ़ी बड़ी रकम है.
- थाईलैंडः जिसे असंभव कहा गया वो अभियान अब पूरा हुआ
- गुफा से निकाले बच्चों के बारे में उनके माता-पिता को क्यों नहीं बताया गया?
- इन 12 बच्चों को लेकर कोच गुफा में गए ही क्यों थे
दूसरी तरफ़, हेड कोच नोपरॉट का कहना है कि असिस्टेंट कोच एकापोल बच्चों के लिए बहुत दयालु और समर्पित थे. नोपरॉट को लगता है कि बच्चों ने ही उन्हें गुफा में जाने के लिए मनाया होगा. इस गुफा के बारे में आस-पास के इलाक़ों के लोग अच्छी तरह जानते हैं और बच्चे पहले भी यहां आ चुके थे.
फ़िलहाल यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जब यह गुफा में घुसे तो यह सूखी थी. जब बारिश हुई और पानी बढ़ने लगा तो वो गुफा के और अंदर चलते चले गए.
2. बच्चों को उनके माता-पिता से क्यों नहीं मिलने दिया जा रहा है?
कुछ बच्चों ने अपने माता-पिता को देखा ज़रूर है लेकिन शीशे के उस पार से. अधिकारियों का कहना है कि बच्चों में संक्रमण की आशंका है और वो बहुत कमज़ोर हैं. दूसरी बात यह कि इन बच्चों की ज़िंदगी अब बहुत क़ीमती है क्योंकि इन्हें बचाने के लिए बहुत मशक़्कत की गई है. इसलिए अधिकारी अब बच्चों के बारे में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते.
चूंकि ज़्यादातर बच्चों के माता-पिता ग़रीब और प्रवासी समुदाय से हैं, इसलिए वो सरकारी अधिकारियों का विरोध भी नहीं कर रहे हैं.
3. क्या कोच पर किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी?
फिलहाल तो ये मुश्किल लगता है. कोच ने गुफा के अंदर से ही चिट्ठी लिखकर बच्चों के माता-पिता से माफ़ी मांगी थी और अभिभावकों का कहना है कि उन्होंने उन्हें माफ़ भी कर दिया है.
माता-पिता का कहना है कि कोच के शुक्रगुज़ार हैं क्योंकि उन्होंने उनका मनोबल नहीं टूटने नहीं दिया. बताया जा रहा है कि कोच ने बच्चों को ध्यान लगाना सिखाया जिससे मुश्किल हालात में उनका हौसला कम नहीं हुआ.
हो सकता है कि कोच को कुछ दिन दूर जाकर पश्चात्ताप करने को कहा जाए. थाईलैंड में इस तरह की सज़ा का काफ़ी चलन है. यहां वैसे भी 'ब्लेम-गेम' यानी दूसरों पर दोष मढ़ने की संस्कृति नहीं है.
4. बच्चे इतने दिनों तक बिना खाए-पिए रहे और वज़न भी ज़्यादा नहीं घटा. कैसे?
बच्चों के गुफा में होने का पता नौ दिन बाद चला. अनुमान है कि उनके पास बहुत कम खाना रहा होगा. इन सभी को फ़ुटबॉल खेलना बहुत पसंद है और वो शारीरिक तौर काफ़ी फ़िट हैं.
हो सकता है कि उनकी 'खेल भावना' ने उन्हें ऐसे डरावने हालात में हिम्मत बनाए रखे में मदद की हो. हो सकता है उन्होंने गाना गाकर एक-दूसरे का मन बहलाया हो.
थाईलैंड के नौसैनिकों का कहना है कि कोच ने उन्हें ध्यान लगाना सिखाया और उन्हें ख़ुद से ज़्यादा खाना दिया. साथ ही उन्होंने बच्चों से कहा कि वो ज़मीन पर इकट्ठा गंदा पानी पीने के बजाय गुफा की चट्टानों से टपकता पानी पिएं.
आख़िरी कुछ दिनों में बच्चों को हाई-प्रोटीन जेल और कुछ खाने की चीजें दीं. इससे उनका वज़न ज़्यादा नहीं घटने पाया.
5. क्या वो सारे वक़्त अंधेरे में थे?
हां. वो गुफा के अंदर कुछ सस्ती टॉर्च लेकर गए थे जो ज़्यादा देर नहीं चलीं. इसलिए अनुमान है कि उन्होंने गुफा में लगभग सारा वक़्त अंधेरे में ही बिताया.
नौ दिनों के बाद उन्हें कुछ रौशनी देखने को मिली जब गुफा के अंदर एक डॉक्टर और तीन नौसैनिक अच्छी टॉर्च लेकर गए.
यही वजह है कि बाहर आने पर उन्हें सनग्लास पहनने को कहा गया. क्योंकि इतने दिनों तक अंधेरे में रहने के बाद अचानक रौशनी में आने से आंखों को नुक़सान हो सकता था.
6. बचाव अभियान का ख़र्च किसने उठाया?
ऑपरेशन का ज़्यादातर हिस्सा ख़ुद थाईलैंड सरकार ने दिया. थाईलैंड के कई कारोबारियों ने भी इसमें मदद दी. थाई एयरवेज़ और बैंकॉक एयरवेज़ ने विदेशी गोताखोरों को आने के लिए मुफ़्त फ़्लाइट का ऑफ़र दिया.
इस अभियान में शामिल दूसरे देशों ने भी ख़र्च उठाया, मसलन अमरीकी एयर फ़ोर्स के 30 जवान इस अभियान में शामिल हुए थे, इन लोगों का ख़र्च अमरीकी सरकार ने ख़ुद उठाया.
7. क्या थाईलैंड ये अकेले कर सकता था?
बिल्कुल नहीं, दुनिया के कुछ ही देश ऐसा कर सकते हैं. गुफा के अंदर डाइविंग एक स्पेशलाइज़ड स्किल है. इतना ही नहीं इस स्किल में एक्सपर्ट लोगों की भी काफ़ी कमी है.
इस मामले में अच्छी बात ये रही है कि अनुभवी कैव डाइवर वेर्न अनस्वर्थ इस अभियान में शामिल थे, जिसका फ़ायदा मिला.
बच्चों के ग़ायब होने के बाद वे गुफा वाली जगह पहुंचे और उन्होंने सरकार को सलाह दी कि इस अभियान के लिए विदेशी एक्सपर्ट को बुलाया जाए.
थाई नौसेना के डाइवर्स को शुरुआती दौर में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि वे अनुभवी भी कम थे और उनके पास बेहतरीन उपकरण भी नहीं थे, लेकिन जैसे ही विदेशी डाइवरों का आना शुरू हुआ, उन लोगों ने पानी के बढ़ते स्तर के दौरान भी पूरे अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया.
इन 12 बच्चों को लेकर कोच गुफा में गए ही क्यों थे
थाईलैंड की गुफा से चार बच्चों को 'सुरक्षित निकाला गया'