इराक में चिड़िया भी फड़फड़ाती है पंख तो नज़र रखते हैं ये 7 हजार अलगाववादी
बगदाद। इराक संकट से भी बड़ा है वह संकट जो आईआईएस वहां खड़ा कर चुकी है और कर रही है। 2010 से लेकर अब तक यह संगठन वहां के 3 बड़े शहरों पर अपना सिक्का जमा चुका है। कहीं तेल संकट का इशारा तो कहीं भीषण नरसंहार की खबरों में छाया रहने वाला यह संगठन है क्या और क्यों 2 लाख 50 हजार की सेना पर भारी हैं इसके 25 हजार लड़ांके। तो आइए घुमाएं यह स्लाइडर और जानें इस संगठन की 'ए, बी, सी, डी'-
इराक का 'अलकायदा'-
2006 के बाद अमरीकी सेनाओं और सुन्नी उग्रवादियों ने अलकायदा इराक को हरा दिया, लेकिन इसे पूरी तरह खत्म नहीं कर पाए। इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) ग्रुप ने 2010 में वापस अपना सिक्का जमा लिया। इराक सरकार ने जिन कैदियों को गिरफ्तार किया, उन्हें इस संगठन ने छुड़वा लिया और अपनी ताकत कई गुना बढ़ा ली।
इराक को बनाना है इस्लामिक देश-
इराक और सीरिया को बनाना है इस्लामिक देश- इस ग्रुप का एकमात्र उद्देश्य इराक और सीरिया को सुन्नी इस्लामिक राष्ट्र बनाना है। हालांकि आईएसआई ने अलकायदा से कब का किनारा कर लिया , लेकिन अब भी इनका लक्ष्य इस्लामिक राष्ट्र बनाना ही है। इराक और सीरिया में आईएसआईएस ने कई इलाकों पर कब्जा कर रखा है।
शियाओं का राज
आईएसआईएस के फिर से उभरने के सबसे बड़ा कारण है इराक के शिया और सुन्नी में मतभेद आईएसआईएस के लड़ाके सुन्नी हैं और इन समुदायों के बीच तनाव ही आईएसआईएस में बढ़ती भर्तियों की वजह है। इराक में शियाओं की संख्या ज्यादा है। सद्दाम हुसैन खुद सुन्नी थे जिन्होंने इराक पर राज किया। कुल मिलाकर अब तक शियाओं ने ही सरकार पर नियंत्रण रखा और सुन्नी कहते हैं कि उनको सही प्रतिनिधित्व नहीं मिला।
शुन्नियों के साथ किया पक्षपात
इराक के प्रधानमंत्री नूरी अल-मलिकी ने इराक को शिया सामप्रदायिक देश बनाया। खुद शिया मुस्लिम नूरी ने उन्हें बसाने से मना कर दिया। पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे सुन्नी प्रदर्शनकारियों को मारा और सुन्नी नागरिकों की गिरफ्तारी आतंकवाद विरोधी कानून लगाकर की। इतना ही नहीं अमरीका और इराक सरकार ने बड़ी संख्या में अलकायदा कैदियों को जेल से रिहा किया। इन रिहा हुए उग्रवादियों ने भी संगठन को पैर पसारने में मदद की।
अपनी चलाता है आईएसआईएस
अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए आईएसआईएस खुद की मिनी सरकार चलाता है। यह अन्य आतंकी गुटों की तरह विदेशी मदद पर नहीं टिका हुआ है। इस ग्रुप की सीरिया में सरकार है। यह लोगों से टैक्स वसूलता है और बिजली बेचकर अपनी गतिविधियों को फंड करता है। यह बिजली सीरिया सरकार को ही बेची जाती है। आईएसआईएस की योजना अब तेल और ऊर्जा संसाधनों पर है।
कुर्द की ताकत-
कुर्द समुदाय शिया-सुन्नी से अलग है। हालांकि ज्यादातर कुर्द सुन्नी हैं। इनके पास उत्तरपूर्वी इराक है जहां बहुत सारे तेल क्षेत्र हैं। इस इलाके में अर्द्ध स्वायत्तता जैसी सरकार है। कुर्दिश सिक्योरिटी फोर्स सरकार के साथ आंशिक रूप से सहयोग करती है। लेकिन करीब 80000 से 240000 कुर्दिश उग्रवादी बगदाद के आदेशों को तवज्जो नहीं देते।
आईएसआईएस का कब्जा
करीब चार साल पहले आईएसआईएस ने इराक के दूसरे बड़े शहर मोसुल पर कब्जा कर लिया। बड़े-बड़े तेल फिल्ड्स होने के कारण इसका महत्व बहुत ज्यादा है। जून 12 तक आईएसआईएस ने इराक के तिकरित और बाजी पर कब्जा कर लिया। इस तरह आईएसआईएस ने इराक के बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया है।
इरान के आने से संकट
इरान में शिया सरकार होने से सीरिया और इराक में शिया सत्ता संभालें, यह इरान को गवारा नहीं। इसीलिए वह दोनों देशों की उठापटक में शामिल है। इरान नहीं चाहता कि सुन्नी इस्लामिक दल सत्ता में आएं। इरान ने इराक में आईएसआईएस से निपटने के लिए अपनी विशेष दो बटॉलियन भेजी है। इससे आईएसआईएस को अपने लिए सुन्नी समुदाय में जनसमर्थन जुटाने में मदद मिल रही है।
आईएसआईएस से बड़ी है इराक सेना
आईएसआईएस का इराक पर कब्जे का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता है। इसके पास सिर्फ 7000 लड़ाके हैं जबकि इराक के पास 250000 की सेना है और सशस्त्र पुलिस भी। इराक सेना के पास टैंक, हवाईजहाज और हैलीकॉप्टर्स हैं। इसलिए आईएसआईएस किसी भी सूरत में इराक को चुनौती देने की स्थिति मे नही दिखता है।
सीरिया ने आईएसआईएस को दी ताकत
सीरिया संकट भी एक प्रमुख वजह है जिसके चलते आईएसआईएस को इराक सरकार पर जोरदार आक्रमण करने का मौका मिला है। सीरिया में चल रहे उपद्रव ने आईएसआईएस को अपने कब्जाए क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए रखने का पूरा मौका दिया। सीरिया के जिन क्षेत्रों पर आईएसआईएस का कब्जा हैं वहां पैसे और हथियारों की कोई कमी नही है।