तालिबान ने ठुकराया शांति वार्ता का प्रस्ताव, अफगानिस्तान में सेनाओं के खिलाफ लॉन्च किया 'ऑपरेशन खंदक'
तालिबान ने बुधवार को ऐलान किया है कि वह अब और आक्रामक रवैया अपनाने जा रहा है। इसके साथ ही उसने अफगानिस्तान सरकार की ओर से दिए गए शांति वार्ता के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। तालिबान ने इस प्रस्ताव को उसे 'धोखा देने वाला और उसके खिलाफ साजिश' बताया है।
काबुल। तालिबान ने बुधवार को ऐलान किया है कि वह अब और आक्रामक रवैया अपनाने जा रहा है। इसके साथ ही उसने अफगानिस्तान सरकार की ओर से दिए गए शांति वार्ता के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। तालिबान ने इस प्रस्ताव को उसे 'धोखा देने वाला और उसके खिलाफ साजिश' बताया है। आतंकी संगठन की ओर से एक बयान जारी कर अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बारे में भी कई बातें कहीं गई हैं। आपको बता दें कि अमेरिका और अफगानिस्तान सरकार की ओर से तालिबान के सामने शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा गया था। तालिबान को इस उम्मीद से शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया गया था ताकि इस क्षेत्र में स्थिरता आ सके।
अमेरिकी सेनाओं पर होंगे हमले
खामा प्रेस की ओर से संगठन के हवाले से जानकारी दी गई है, 'तालिबान के फिर से आक्रामक होना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अगस्त में घोषित अफगान नीति काजवाब माना जा रहा है जिसके तहत अफगानिस्तान में और ज्यादा विदेशी सेनाओं की तैनाती का रास्ता साफ हो गया है।' तालिबान की ओर से कहा गया है, 'ऑपरेशन अल-खंदक पूरे देश में बुधवार से लॉन्च किया गया जाएगा। इसके तहत अफगान सेना और विदेशी सुरक्षाबलों पर हमला किया जाएगा।' तालिबान ने खासतौर पर कहा है, 'अमेरिकी घुसपैठिए और उनके इंटेलीजेंस एजेंट उसका प्राथमिक निशाना है।' तालिबान ने इसके साथ ही अफगानिस्तान के नागरिकों को भी चेतावनी दी है कि वह विदेशी और अफगान सेनाओं के ठिकानों से दूर रहें। तालिबान ने अफगानिस्तान की सरकार को भी फटकार लगाई है। सरकार ने 28 फरवरी को एक पहल शुरू की थी जिसके तहत राष्ट्रपति अशरफ घनी ने तालिबान को 'बिना किसी पूर्व शर्तों के' शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया था। इसके साथ ही घनी ने तालिबान को राजनीति मान्यता देने, पासपोर्ट जारी करने और परिवार समेत कैदियों को फिर से बसाने जैसे विकल्पों को इस प्रस्ताव में शामिल किया था।
प्रस्ताव को बताया साजिश का हिस्सा
अफगान सरकार की ओर से तालिबान को दिया गया इसे अब तक का सबसे महत्वकांक्षी प्रस्ताव माना गया था। आतंकी संगठन ने सरकार के प्रयासों को 'विदेशी ताकतों की ओर तैयार साजिश का हिस्सा' करार दिया था। जनवरी में आतंकी संगठन की ओर से अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत का प्रस्ताव भी दिया गया था। हालांकि अब तालिबान ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वह अफगानिस्तान में जारी युद्ध को खत्म करने के लिए बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। जनवरी 2015 में नाटो सेनाओं का कॉम्बेट मिशन अफगानिस्तान में खत्म हो गया था। तब से अफगानिस्तान सरकार लगातार आतंकियों के खिलाफ कमजोर पड़ती जा रही है। अमेरिकी रिपोर्ट की मानें तो आतंकियों ने देश के 57 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर लिया है।