Breaking: तालिबान नेता मुल्ला बरादर को बंधक बनाया गया, हैबतुल्लाह अखुंदजादा की हो गई मौत: रिपोर्ट
मुल्ला उमर के साथ तालिबान की स्थापना करने वाला मुल्ला बरादर अमेरिका के साथ दोहा वार्ता में शामिल हुआ था और उसी के प्रयासों के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान से हटने का ऐलान किया था।
काबुल, सितंबर 21: अफगानिस्तान में सत्ता हासिल करने के लिए जान की बाजी लगाने के बाद भी तालिबान के हाथ कुछ नहीं आया है। तालिबान को लेकर एक सनसनीखेज रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसमें कहा गया है कि तालिबान के आध्यात्मिक नेता हैबतुल्ला अखुंदजादा की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान समर्थित हक्कानी नेटवर्क ने मुल्ला बरादर को बंधक बनाकर रखा हुआ है, जबकि पिछले 20 सालों से तालिबान के आध्यात्मिक और सबसे बड़े नेता अखुंदजादा की मौत हो गई है।
तालिबान-हक्कानी में लड़ाई
ब्रिटेन की प्रतिष्ठित पत्रिका 'द स्पेक्टेटर' ने ये सनसनीखेज दावा किया है और कहा है कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच सरकार गठन से पहले तगड़ी लड़ाई हुई थी, जिसमें तालिबान हार गया है। ब्रिटिश पत्रिका ने दावा किया है कि हक्कानी नेटवर्क को सीधे तौर पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन हासिल था और आईएसआई ने हक्कानी नेटवर्क को जिताने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। आईएसआई की पूरी कोशिश थी कि अफगानिस्तान में बनने वाली सरकार में तमाम महत्वपूर्ण पद हक्कानी नेटवर्क के पास जाए और इसी बात को लेकर तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच विवाद काफी बढ़ गया। तालिबान मुल्ला बरादर को देश का प्रधानमंत्री बनाना चाहता था, लेकिन हक्कानी नेटवर्क इसके लिए तैयार नहीं हुआ और फिर दोनों गुटों के बीच गोलियां चल गईं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर अखुंदजादा की मौत की पुष्टि नहीं की गई है।
मुल्ला बरादर को लात-घूंसों से पीटा
ब्रिटिश पत्रिका द स्पेक्टेटर ने कहा कि सितंबर की शुरुआत में हुई झड़प एक बैठक के दौरान हुई। द स्पेक्टेटर की रिपोर्ट में कहा गया है कि, बैठक के दौरान एक समय हक्कानी नेटवर्क के नेता खलील-उल-रहमान हक्कानी अपनी कुर्सी से उठ गया और उसने मुल्ला बरादर की लात-घूंसों से पिटाई कर दी। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों से अमेरिका के साथ बातचीत में शामिल रहा मुल्ला बरादर अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाना चाहता था और उसने मीटिंग में कहा कि सरकार में अफगानिस्तान की सभी जमातों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। इसके साथ ही महिलाओं और अल्पसंख्यकों को भी उसने कैबिनेट में शामिल करने की मांग की। लेकिन, हक्कानी नेटवर्क इसके लिए तैयार नहीं हुआ।
गायब हो गया था मुल्ला बरादर
रिपोर्ट के मुताबिक, हक्कानी नेटवर्क से मार खाने के बाद मुल्ला बरादर गुप्त तरीके से कंधार चला गया, जहां उसने आदिवासी नेताओं के साथ बैठक की, जो उसका समर्थन कर रहे हैं। लेकिन, ब्रिटिश पत्रिका ने दावा किया है कि मुल्ला बरादर ने अपने जीवित होने का जो वीडियो जारी किया है, दरअसल वो वीडियो जबरदस्ती बनवाया गया है और उसे बंधक बनाकर रखा गया है। आपको बता दें कि तालिबान द्वारा नियंत्रित सरकारी टीवी नेटवर्क पर मुल्ला बरादर ने एक वीडियो संदेश जारी किया था और खुद को जिंदा बताया था। लेकिन, वो वीडियो काफी संदिग्ध लग रहा था। वहीं, ब्रिटिश पत्रिका ने दावा किया है कि मुल्ला बरादर को बंधक बनाकर रखा गया है। वीडियो में वो एक नोट पर लिखी बातें पढ़ रहा है।
मर चुका है हैबतुल्ला अखुंदजादा?
ब्रिटिश पत्रिका ने दावा किया है कि हैबतुल्ला अखुंदजादा को काफी लंबे अर्से से कहीं नहीं देखा गया है और तालिबान के अंदर भी अफवाह है कि हैबतुल्ला अखुंदजादा मर चुका है। ब्रिटिश पत्रिका ने कहा है कि हैबतुल्ला अखुंदजादा के मरने के बाद ही तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच लड़ाई शुरू हुई है। क्योंकि, पिछले 20 सालों में जब तक हैबतुल्ला अखुंदजादा जिंदा रहा, तालिबान में आपसी लड़ाई नहीं हुई थी और ना ही गुटबाजी हुई थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद तालिबान और हक्कानी के नेता कुत्तों की तरह लड़ रहे हैं। आपको बता दें कि पहले तालिबान और हक्कानी नेटवर्क अलग-अलग था, लेकिन 2016 के आसपास तालिबान और हक्कानी समूहों का विलय हो गया था और जब काबुल पर तालिबान का कब्जा हुआ, तो उसके बाद फिर से हक्कानी नेटवर्क के नाम का जिक्र होने लगा।
तालिबान बनाम हक्कानी नेटवर्क
मुल्ला उमर के साथ तालिबान की स्थापना करने वाला मुल्ला बरादर अमेरिका के साथ दोहा वार्ता में शामिल हुआ था और उसी के प्रयासों के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान से हटने का ऐलान किया था। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि शांति वार्ता के दौरान मुल्ला बरादर को अहसास होने लगा कि सरकार कैसे चलाया जाता है और समावेशी सरकार बनाने पर ही तालिबान की सरकार को दुनिया में मान्यता मिल सकती है। लिहाजा उसका उदारवादी बनना हक्कानी नेटवर्क को पसंद नहीं आया। हक्कानी नेटवर्क की जड़ें पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे से जुड़ा हुआ है और चूंकी हक्कानी नेटवर्क भारत के खिलाफ आग उगलने में माहिर रहा है, लिहाजा उसे पाकिस्तान का समर्थन है। पाकिस्तान चाहता है कि अगर अफगानिस्तान की सत्ता पर हक्कानी रहे तो सरकार का रिमोट कंट्रोप पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के पास रहेगी। जबकि, तालिबान सरकार में किसी का दखल नहीं चाहता है। लिहाजा तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच विवाद काफी बढ़ चुकी थी।
ब्लूमबर्ग ने भी किया पिटाई का दावा
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में भी दावा किया गया था कि मुल्ला बरादर की बैठक के दौरान लात-घूंसों से जमकर पिटाई की गई थी। जिसकी वजह से सितंबर की शुरुआत में काबुल में राष्ट्रपति पद को लेकर चल रही एक बैठक के दौरान गोलीबारी हुई थी। बरादर इससे पहले दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का नेतृत्व कर चुका है, जहां उसने ट्रम्प प्रशासन के साथ शांति वार्ता का नेतृत्व किया था। इससे पहले खबर आई थी कि हक्कानी नेटवर्क ने मुल्ला बरादर को गोली मार दी है और उसका इलाज पाकिस्तान में कराया जा रहा है। वहीं कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि मुल्ला बरादर मारा जा चुका है। जिसके बाद तालिबान ने एक वीडियो मैसेज जारी कर मुल्ला बरादर को गोली लगने की बातों को खारिज किया था।
तालिबान-हक्कानी में सिर फुटौव्वल
पश्चिमी देशों ने तालिबान सरकार को मान्यता देने के लिए 'वेट एंड वॉच' की नीति का विकल्प चुना है और बार-बार सुन्नी पश्तून समूह से गैर-तालिबान नेताओं और जातीय अल्पसंख्यकों को कथित शामिल करने का आह्वान किया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के नेताओं के बीच ये लड़ाई तब शुरू हुई थी, जब मुल्ला बरादर अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाने के लिए काबुल के राष्ट्रपति भवन में मौजूद था और वो एक ऐसी सरकार का गठन करना चाहता था, जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को कबूल होता। लेकिन, मुल्ला बरादर का ये फॉर्मूला हक्कानी नेटवर्क को पंसद नहीं आया।
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मुल्ला बरादर को किसने पीटा ?
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार बनाने को लेकर जब राष्ट्रपति भवन में चर्चा चल रही थी, उस वक्त हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के नेताओं के बीच गरमागरम बहस होने लगी और फिर हक्कानी नेटवर्क के एक नेता खलील उर रहमान हक्कानी को इतना गुस्सा आया कि उसने मुल्ला बरादर की घूंसों से पिटाई करनी शुरू कर दी। रिपोर्ट के मुताबिक, मुल्ला बरादर को खलील उर रहमान हक्कानी ने बुरी तरह से पीटा था। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के बेहद करीबी नेताओं ने बताई कि मुल्ला बरादर को पिटता देख मुल्ला बरादर के गार्ड्स ने फायरिंग कर दी और फिर हक्कानी नेटवर्क की तरफ से भी फायरिंग शुरू हो गई थी। बेहद करीबी सूत्रों ने बताया है कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच हुई इस लड़ाई में कई लोग मारे गये और कई लोग घायल हुए हैं।
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