'सर से पैर तक बुर्के में रहो', तालिबान के 'गुलाम' बनाने वाले फरमान पर यूएन ने जताई चिंता
वाशिंगटन, 09 मईः अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट ने महिलाओं को लेकर तालिबान के हालिया आदेश पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए सिर से पैर तक ढकने का आदेश अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ उनके संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।

ऐसी नीतियां मानवाधिकारों का हनन
थॉमस वेस्ट ने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं देश भर के अफगानों और दुनिया भर के सहियोगियों के साथ महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को प्रतिबंधित करने वाले तालिबान के नए आदेश पर गहरी चिंता व्यक्त करता हूं। उन्होंने आगे ट्वीट किया, 'महिलाओं के प्रति तालिबान की नीतियां मानवाधिकारों का हनन है। उनके ये आदेश अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ उनके संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती रहेंगी।'

तालिबान प्रमुख ने जारी किया फरमान
इससे पहले शनिवार को तालिबान ने एक फरमान जारी कर अफगान महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर बुर्का पहनने का आदेश जारी किया था। अफगानिस्तान के सर्वोच्च नेता और तालिबान प्रमुख हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा ने शनिवार को काबुल में एक समारोह के दौरान ये फरमान जारी किया। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि फरमान नहीं मानने पर उस औरत के साथ उसके घरवाले भी इस्लामिक कानून के मुताबिक गुनहगार माने जाएंगे और सजा के भागीदार होंगे।

परिवार के पुरूष सदस्य को जेल
तालिबान के मजहबी मंत्रालय ने अपने नियंत्रण वाले अफगानिस्तान के ज्यादातर क्षेत्रों में पोस्टर्स चिपकाएं थे, जिनमें महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य बताया गया। पोस्टर्स में साफ संदेश लिखा है, कि बुर्के में सिर से लेकर पैर तक ढंका होना चाहिए, क्योंकि इस्लामिक कानून यही कहता है। इसका उल्लंघन करने पर परिवार के एक पुरूष सदस्य को तीन दिनों के जेल की सजा दी जाएगी। हालिया आदेश के मुताबिक अगर कोई महिला हिजाब नहीं पहनती है तो सबसे पहले उसके अभिवावक को चेतावनी दी जाएगी। यदि वह दोबारा दोषी पायी जाती है तो उसके अभिभावक को तलब किया जाएगा और परिवार के एक पुरूष सदस्य को तीन दिनों की कैद की सजा दी जाएगी।

यूएन प्रमुख गुटेरेस ने भी जताई चिंता
वहीं संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने भी तालिबान के फैसले पर चिंता व्यक्त की। गुटेरेस ने कहा तालिबान के ये नियम महिलाओं की स्वतंत्रता को खंडित करते हैं। वह एक बार फिर से तालिबान से अपील करते हैं कि वे अफगान महिलाओं और लड़कियों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों के हिसाब से दायित्व निभाएं। वही, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने अपने एक ट्वीट में कहा कि तालिबान के इस फैसले से उनका अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ जुड़ाव और तनावपूर्ण हो सकता है। यूएनएएमए इस फैसले की स्थिति पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए तालिबान के वास्तविक अधिकारियों के साथ बैठक करने का तुरंत अनुरोध करेगा।

पहले भी लग चुके हैं प्रतिबंध
इससे पहले तालिबान ने 8 साल की उम्र से ज्यादा की बच्चियों की पढ़ाई-लिखाई पर पाबंदी लगा दी थी। जबकि, महिलाओं के यात्रा करने पर पिछले साल ही पाबंदियां लगाई गईं थीं, जिसमें कहा गया था कि, महिलाओं को पुरुष रिश्तेदार के बिना 45 मील से ज्यादा की यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी। वही, महिलाओं के किसी भी तरह से फिल्मों, टीवी सीरियल्स या किसी भी तरह के नाटक में पुरूषों के साथ काम करने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। यानि, महिलाएं सिर्फ उसी सीरियल या फिल्म में काम कर सकती हैं, जिसमें ना कोई पुरूष कलाकार हो, ना ही क्रू मेंबर्स में कोई पुरूष हो।
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