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सीरिया में दागी गई 60 टॉमहॉक मिसाइलें, क्‍यों सिर्फ इन्‍हीं मिसाइलों पर है अमेरिका को भरोसा

1,000 मील की दूरी से भी लॉन्‍च हो सकती हैं अमेरिका की टॉमहॉक मिसाइलें। वर्ष 1991 में गल्‍फवॉर के दौर से ही अमेरिका कर रहा है इन मिसाइलों का प्रयोग।

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वॉशिंगटन। यूएस नेवी ने सीरिया के एयरबेस पर 60 टॉमहॉक मिसाइलों से हमला किया है। शुक्रवार के तड़के अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के आदेश के बाद ये हमले हुए हैं जिन्‍हें सीरिया के केमिकल अटैक के बाद लॉन्‍च किया गया है। अमेरिका ने एक बार फिर अपने उसी हथियार पर भरोसा किया है जिसे वह अपना सबसे खतरनाक हथियार मानता आ रहा हैं। पेंटागन हमेशा एक सुरक्षित ठिकाने से किसी जगह हो निशाना बनाने के लिए सिर्फ टॉमहॉक मिसाइलों पर ही भरोसा करता है। आखिर ऐसा क्‍या है इन मिसाइलों में खास जो यह अमेरिका के इतनी फेवरिट बनी हुई है। आइए आपको बताते हैं।

कब हुआ पहला प्रयोग

कब हुआ पहला प्रयोग

वर्ष 1991 में जब गल्‍फ वॉर शुरू हुआ तब से ही ये मिसाइलें अमेरिकी वॉरफेयर का अहम हिस्‍सा बनीं हुई हैं। ये मिसाइल 1,000 पाउंड के वजन तक के हथियार ले जा सकती है। अक्‍टूबर 2016 में अमेरिका ने यमन के हाउथी विद्रोहियों को निशाना बनाने के लिए लाल सागर से इन्‍हीं मिसाइलों का प्रयोग किया था। उस समय अमेरिका ने यह मिसाइल उसकी वॉरशिप को निशाना बनाने के बाद दागी थी।

कोल्‍ड वॉर में भी प्रयोग

कोल्‍ड वॉर में भी प्रयोग

कोल्‍ड वॉर के समय भी अमेरिका ने अपनी दो बेस्‍ट एंटी-शिप मिसाइल टॉमहॉक और हारपून का प्रयोग किया था। इन दोनों मिसाइलों को सोवियत संघ की वॉरशिप्‍स पर हमला करने के लिए प्रयोग किया गया और इनकी वजह से युद्ध ने एक अलग ही मोड़ ले लिया था।

सीरिया में पहला प्रयोग

सीरिया में पहला प्रयोग

सितंबर 2014 में अमेरिका ने इराक के रास्‍ते सीरिया में दाखिल आतंकियों पर हवाई हमले के लिए इन्‍हीं मिसाइलों का प्रयोग किया था। उस समय अमेरिका ने 47 टॉमहॉक मिसाइलों को दो शिप्‍स यूएसएस फिलीपीन सी और यूएसएस अर्लाइग बर्क को लाल सागर से पर्शियन खाड़ी में दागा था। इन मिसाइलों ने उस समय उन जगहों को निशाना बनाया था जहां पर अल-कायदा से जुड़े संगठन खोरसान के आतंकी मौजूद थे।

1000 मील से बना सकती हैं निशाना

1000 मील से बना सकती हैं निशाना

टॉमहॉक मिसाइल के प्रयोग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि जरूरी नहीं है कि इन्‍हें लक्ष्‍य के आसपास ही प्‍लॉट किया जाए बल्कि इन मिसाइलों को किसी भी जगह से फायर किया जा सकता है। 1,000 मील पर तैनात नेवी डेस्‍ट्रॉयर से इन्‍हें लॉन्‍च कर दुश्‍मन के ठिकानों को बर्बाद किया जा सकता है। असद की सेना इस समय एस-200 जमीन से आसमान में हमला करने वाले मिसाइल सिस्‍टम का प्रयोग कर रही है जो कि रूस में बना है और एस-300 और एस-400 से भी ज्‍यादा एडवांस्‍ड है।

टारगेट को स्‍कैन कर उसे बनाती निशाना

टारगेट को स्‍कैन कर उसे बनाती निशाना

टॉमहॉक मिसाइल जो कि 20 फीट लंबी है और 3,000 पाउंड के वजन वाली है वह किसी भी वॉरशिप या फिर पनडुब्‍बी से लॉन्‍च हो सकती है। 600 मील की दूरी पर स्थित किसी भी टारगेट को निशाना बना सकती है और उससे पहले एक सर्च पैटर्न के तहत टारगेट को स्‍कैन करती है और फिर उस पर हमला करती है।

इराक और लीबिया पर भी हमला

इराक और लीबिया पर भी हमला

वर्ष 1991 में जब सोवियन संघ धारशायी हुआ तो अमेरिका ने अपना सारा ध्‍यान जमीन से होने वाले हमलों पर लगाया। फिर अमेरिका ने इराक, सर्बिया, अफगानिस्‍तान, फिर से इराक, लीबिया और सीरिया के साथ दूसरे देशों पर मिसाइल से हवाई हमले किए। क्रिस हार्मर जो कि पूर्व अमेरिकी नौसेन अधिकारी हैं और अब स्‍टडी ऑफ वॉर जैसे इंस्‍टीट्यूट से जुडे़ हैं वह कहते हैं कि भले ही एस-200 का रडार सिस्‍टम बेस्‍ट हो लेकिन अमेरिकी सेनाएं किसी भी रशियन रडार को इर्ए-18जी ग्रोलर जेट और दूसरे माध्‍यमों से जाम कर सकती हैं।

कभी अमेरिका ने इन मिसाइलों को छोड़ दिया था

कभी अमेरिका ने इन मिसाइलों को छोड़ दिया था

अमेरिका को एक बार को यह भरोसा हो गया था कि अब समंदर के जरिए जंग लड़ना एक इतिहास बन गया है तो इसने अपनी सभी टॉमहॉक एंटी-शिप मिसाइलों को डि-कमीशंड कर दिया और साथ ही हारपून मिसाइलों को भी ज्‍यादातर वॉरशिप और एयरक्राफ्ट से हटा दिया। लेकिन पेंटागन ने वर्ष 2017 के अपने बजट में 100 टॉमहॉक मिसाइलों के लिए 187 मिलियन डॉलर का बजट रखा है।

बम की तुलना में कम हानिकारक

बम की तुलना में कम हानिकारक

हार्मर के मुताबिक टॉमहॉक मिसाइलों का एक खास प्रकार है जो जमीन से लॉन्‍च होने वाले बम को भी ले जा सकता है और इसका टारगेट अलग ही होता है। उस समय यह मिसाइलें गाड़‍ियों को तबाह कर सकती हैं, सप्‍लाई डिपो और एयरक्राफ्ट तक को पल भर में बर्बाद कर सकती हैं। ये मिसाइलें किसी भी रनवे पर बॉम्‍बर जेट से गिराए गए किसी एयरफोर्स बम की तुलना में कम नुकसान करती हैं।

गेम चेंजर टॉमहॉक मिसाइलें

गेम चेंजर टॉमहॉक मिसाइलें

जनवरी 2015 में कैलिफोर्निया में इन मिसाइलों की ट्रैकर क्षमता को परखने के लिए एक टेस्‍ट किया गया था जो कि एक सफल टेस्‍ट साबित हुआ था। उस समय अमेरिका के उप-रक्षा मंत्री ने इन मिसाइलों को 'गेम चेंजर' करार दिया था। यूएस नेवी अपनी सभी टॉमहॉक मिसाइलों को बदलने के लिए तैयार है और इनमें नए एंटी-शिप ट्रैकर लगाए जाएंगे।

English summary
US Navy has attacked on Syrian airbase with more than 50 tomahawk missile on Friday. From Gulf war to Syria, US is only these missile.
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