सीरिया की जमीन पर अमेरिका और तुर्की की सेना आमने-सामने, अब तक 300 से ज्यादा लोगों की मौत
दमिश्क। अगर आपको लग रहा है कि सीरिया अब गृह युद्ध से बाहर निकल चुका है, तो यह बिल्कुल सच नहीं है। पिछले करीब एक सप्ताह से सीरिया और तुर्की की सीमा पर चल रहे तनाव ने इस मुल्क को एक बार फिर गृह युद्ध की ओर धकेल दिया है। सीरिया की जमीं पर अमेरिका और तुर्की की सेना आमने-सामने हो चुकी है और भयंकर जंग जैसी स्थिति बन गई है। सीरीया में पिछले 5 दिनों में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों नागरिक अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने तुर्की के राष्ट्रपति को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे सीरिया में दखलअंदाजी ना करें, लेकिन तुर्क टैंक सीमा पार कर आफरीन प्रांत में प्रवेश कर चुके हैं।
क्या है मामला?
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ सीरिया में तुर्क लड़ाकों ने मोर्चा खोल रखा है। अमेरिका ने कुर्द लड़ाकों का साथ देने के लिए अपने कई तुर्की सीमा पर कई एयरक्राफ्ट और टैंक तैनात कर दिए हैं। अमेरिका का मानना है कि आईएसआईएस का सफाया करने के लिए कुर्द उनका साथ दे रहे हैं, इसलिए वॉशिंगटन उनकी मदद कर रहा है। वहीं, कुर्द लड़ाकों को तुर्की अपना दुश्मन मानता आया है। कुर्द लड़ाकों को लेकर अमेरिका और तुर्क के मतभेद होने की वजह से सीरिया एक बार फिर जंग का नया मैदान बन चुका है।
अफरीन में हवाई हमले
कुर्द लड़ाकों का प्रमुख शहर अफरीन में तुर्की की सेना लगातार हवाई हमले कर रही है, जिसमें कई मासूम लोगों और बच्चों की जान जा चुकी है। सीरिया के अफरीन शहर में तुर्की के टैंक घुस चुके हैं। तुर्की ने सीरिया में कुर्द लड़ाकों के खात्मे के लिए 'ऑपरेशन ओलिवर ब्रांच' भी चलाया है। अफरीन प्रांत में तुर्क सेना घुसने के बाद के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपात बैठक बुलाई थी
तुर्क लड़ाकों पर अमेरिका और तुर्की में मतभेद क्यों?
एक बात यहां गौर करने वाली है कि अमेरिका और तुर्की दोनों नाटो (NATO) सदस्य देश है, लेकिन सीरिया में कुर्द लड़ाकों को लेकर दोनों ही देशों के बीच मतभेद है। अमेरिका का कहना है कि पिछले साल अक्टूबर में सीरिया के राक्का शहर को आईएसआईएस से आजाद कराने में कुर्द लड़ाकों ने उनकी मदद की थी। इसलिए वे इस लड़ाई में कुर्द लड़ाकों की मदद करते रहेंगे। वहीं, तुर्की का आरोप है कि वे दशकों से कुर्द लड़ाकों के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं, क्योंकि उन्होंने तुर्क जमीं पर दहशत फैलाने की कई बार कोशिश की है। कुर्द लड़ाकों को तुर्की आतंकवादी मानते हैं।