नेपाल में राजनीतिक स्थिरता के लिए मदद करेगा भारत, सुषमा स्वराज ने दिया भरोसा
पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा, 'मैंने सुषमा स्वराज से कहा कि हम राजनीतिक स्थिरता और विकास चाहते हैं जिसके लिए हमें पड़ोसी देशों से सहयोग की जरूरत है।
नई दिल्ली। दो दिवसीय नेपाल दौरे पर पहुंचीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड से मुलाकात की। सुषमा ने हाल ही में हुए चुनावों में प्रचंड की पार्टी के बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्हें बधाई भी दी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नेपाल में संसदीय और प्रांतीय चुनावों के सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद पड़ोसी देश में राजनीतिक स्थिरता लाने की कोशिशों में सहयोग का आश्वासन दिया है।
सुषमा स्वराज ने दिया आश्वासन
सुषमा ने सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष प्रचंड के साथ बातचीत में यह बयान दिया। दो दिन की यात्रा पर कल यहां पहुंचीं सुषमा ने कहा, 'हम राजनीतिक स्थिरता पाने और विकास के लिए नेपाल को पूरी तरह सहयोग देंगे।' दोनों नेताओं ने शुक्रवार सुबह होटल सोलटी क्राउन प्लाजा में नाश्ते पर मुलाकात की थी। वहीं प्रचंड ने कहा कि हमने चुनाव संपन्न होने और नई सरकार के गठन की तैयारी के बाद उभर रहे हालात पर चर्चा की। उनकी पार्टी ने हाल ही में नेपाल में हुए चुनावों में सीपीएन-यूएमएल के साथ वाम गठजोड़ बनाया था।
'हम राजनीतिक स्थिरता और विकास चाहते हैं'
पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा, 'मैंने सुषमा स्वराज से कहा कि हम राजनीतिक स्थिरता और विकास चाहते हैं जिसके लिए हमें पड़ोसी देशों से सहयोग की जरूरत है। सुषमा ने आश्वस्त किया कि भारत राजनीतिक स्थिरता और विकास के लिए नेपाल के प्रयासों में उसे पूरा सहयोग देगा। माओवादी नेता ने कहा कि सुषमा नेपाल में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में जानने को उत्सुक थीं।
सुषमा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक विशेष राजनीतिक संदेश देंगी
दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर नेपाल पहुंची सुषमा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक विशेष राजनीतिक संदेश देंगी। इस दौर पर सुषमा स्वराज राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी, प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से मुलाकात करेंगी। इसके अलावा विदेशमंत्री का मधेशी नेताओं से मुलाकात का भी कार्यक्रम है। गौरतलब है कि वाम दलों की स्पष्ट जीत को भारत के लिए अच्छे संकेत के तौर पर नहीं देखा जा रहा क्योंकि के.पी. शर्मा ओली ने नेपाल के आंतरिक मामलों में दखल देने के लिए भारत की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी। इसलिए सुषमा स्वराज के इस दौरे को भारत-नेपाल संबंधों को बेहतर बनाने की एक कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।
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