पृथ्वी पर से इतने वषों बाद खत्म हो जाएगा जीवन, नहीं बचेगी ऑक्सीजन, जानें स्टडी
नई दिल्ली: वैज्ञानिक मंगल ग्रह और चंद्रमा पर जीवन की तलाश कर रहे हैं। खगोल वैज्ञानिक बाहरी ग्रहों पर शहर बसाने का प्रयास में जुटे हैं। वहीं जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे दुनिया के खत्म होने के लिए सचेत कर रहे हैं। हाल ही में नासा के एक्सोप्लेनेट हैबिटिबिलिटी रिसर्च ने एक शोध किया है जो सभी को भयभीत करने वाला है। इस रिसर्च के अनुसार एक समय ऐसा आएगा जब पृथ्वी पर सांस लेने के लिए ऑक्सीजन ही नहीं बचेगा और आक्सीजन के बिना पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो जाएगा।
जानें कैसे पृथ्वी से समाप्त हो जाएगी ऑक्सीजन
"द फ्यूचरलाइफ स्पान ऑफ अर्थ ऑक्सीजनेटेड एटमॉस्फियर" शीर्षक के साथ किए गए इस शोध के अनुसार अब से एक अरब साल बाद, पृथ्वी अपनी ऑक्सीजन समाप्त हो जाएगा।। इस रिसर्च में पृथ्वी के भविष्य पर ध्यान आकर्षित किया है , नासा पृथ्वी पर जीवन का क्या होगा, इसका बारीकी से अध्ययन करना चाहती है। शोध के अनुसार सूरज अंततः पृथ्वी को एक हद तक गर्म कर देगा, जहां यह बिना किसी जटिल जीवन के सूखने वाली भूसी बन जाएगा। हालांकि ऐसा होने में अभी वर्षों लगेगे लेकिन जब होगा तब बहुत तेजी से होगा और पृथ्वी पर आक्सीजन समाप्त हो जाने पर जीवन समाप्त हो जाएगा।
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सूर्य की गरमी बनेगी पृथ्वी के विनाश का कारण
पृथ्वी कई अन्य आपदाओं के बीच विशाल क्षुद्रग्रह प्रभाव, मेगावाल्कैनो से बच गई है। लेकिन एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि सूर्य की प्रकृति, जो हमारे ग्रह के लिए गर्मी का एकमात्र स्रोत है, इसके विनाश का कारण बन सकती है। हालांकि, उस स्तर तक पहुँचने में एक अरब वर्ष लग सकते हैं लेकिन यह हमारे ग्रह का अंतिम भाग्य हो सकता है।
इतने साल पहले पृथ्वी पर था बहुत कम ऑक्सीजन
वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के गुणों को बाहर निकालने की कोशिश की है। यह देखने के लिए कि यह कैसे बदलेगा इसलिए जापान में टोहो विश्वविद्यालय में काज़ुमी ओजाकी और जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में क्रिस रेइनहार्ड ने पृथ्वी की जलवायु, जीव विज्ञान और भूविज्ञान का एक मॉडल बनाया। उनके अनुसार, हमारे ग्रह का ऑक्सीजन युक्त वातावरण एक स्थायी विशेषता नहीं है। 2.4 अरब साल पहले, पृथ्वी में बहुत कम ऑक्सीजन युक्त वातावरण था।
बैक्टीरिया
का
होगा
पृथ्वी
पर
साम्रज्य
वैज्ञानिकों
ने
बताया
कि
ये
नीले
ग्रह
पर
बिलकुल
वैसे
ही
होगा
जैसे
2.4
अरब
साल
पहले
द
ग्रेट
ऑक्सीडेशन
इवेंट
कहा
जाता
है।
शोधकर्ताओं
का
कहना
है
कि
सुदूर
भविष्य
में
पृथ्वी
के
वायुमंडल
में
ऑक्सीजन
आधारित
जैवसंकेत
का
लाइफ
साइकल
संदिग्ध
हो
जाएगा।
तब
कार्बन
डाइऑक्साइड
को
अवशोषित
करने
और
ऑक्सीजन
छोड़ने
के
लिए
साइबोबैक्टीरिया
विकसित
हुआ,
और
इसे
ग्रेट
ऑक्सीडेशन
इवेंट
के
रूप
में
जाना
जाता
है।
इसने
बहुकोशिकीय
जीवन
के
उन
सभी
रूपों
को
जन्म
दिया
जो
आज
हमारे
ग्रह
पर
हैं।
मनुष्य जीवित नहीं रह पाएगा क्योंकि...
अध्ययनों से पता चलता है कि जैसे-जैसे तारे की उम्र बढ़ती जाती है, वे गर्म होते जाते हैं और इसी तरह, हमारे सौर मंडल के तारे, पृथ्वी को भूनने से लगभग एक अरब साल पहले होते हैं क्योंकि अगर सूर्य पर तापमान बढ़ता है, तो यह पृथ्वी की सतह को गर्म कर देगा और यहाँ जबरदस्त तरीके से जीवन बदल देगा। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि एक अरब वर्षों में, सूरज कार्बन डाइऑक्साइड को तोड़ने के लिए पर्याप्त गर्म हो जाएगा। इसका मतलब है कि कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर इतना कम हो जाएगा कि प्रकाश संश्लेषण द्वारा जीवित रहने वाले पौधे जीवित नहीं रह पाएंगे। इसका आगे मतलब है कि मनुष्य जीवित नहीं रह पाएगा क्योंकि ऑक्सीजन का स्तर गिर जाएगा।
मीथेन का स्तर भी बढ़ना शुरू हो जाएगा
वैज्ञानिकों ने नेचर जियोसाइंस में पब्लिश अपने अध्ययन में दावा किया है कि ऑक्सीजन के स्तर को कम होने में अब से लगभग 10,000 साल लग सकते हैं। हालांकि यह बहुत वर्षों के बाद की बात है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह भूवैज्ञानिक दृष्टि से आंख झपकने जैसा है। इसके अलावा, मीथेन का स्तर भी बढ़ना शुरू हो जाएगा और उस स्तर से आज की तुलना में 10,000 गुना तक पहुंच जाएगा।