क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

दक्षिण अफ़्रीका में जबरन बांझ बनाई गई महिला की कहानी

दक्षिण अफ़्रीका में एक महिला ने बीबीसी को बताया कि कैसे उनकी इजाज़त के बिना उन्हें बांझ बना दिया गया. ऐसा तब किया गया जब वह 17 साल की उम्र में मां बनी थीं. इस बारे में उन्हें 11 साल बात तब पता चला जब उन्होंने एक और बच्चा चाहा. लैंगिक समानता के लिए बने आयोग ने पाया है कि बोन्गेकिले मसीबी उन 48 महिलाओं में से एक हैं जिन्हें बिना इजाज़त लिए सरकारी 

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
BONGEKILE MSIBI

दक्षिण अफ़्रीका में एक महिला ने बीबीसी को बताया कि कैसे उनकी इजाज़त के बिना उन्हें बांझ बना दिया गया. ऐसा तब किया गया जब वह 17 साल की उम्र में मां बनी थीं. इस बारे में उन्हें 11 साल बात तब पता चला जब उन्होंने एक और बच्चा चाहा.

लैंगिक समानता के लिए बने आयोग ने पाया है कि बोन्गेकिले मसीबी उन 48 महिलाओं में से एक हैं जिन्हें बिना इजाज़त लिए सरकारी अस्पतालों में बांझ बना दिया गया था.

आयोग ने यह भी कहा है कि "मरीज़ों की फ़ाइलें ग़ायब हो जाने के कारण" मामले की जांच पर असर पड़ा. इसके अलावा "अस्पताल के स्टाफ़ का रवैया भी सहयोग वाला नहीं रहा."

नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले समूहों ने इस तरह की महिलाओं का मामला उठाया था, जिसके बाद कमिशन ने कहा कि उसके जांचकर्ताओं ने 15 अस्पतालों का दौरा किया था.

दक्षिण अफ़्रीका के स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक इस लैंगिक समानता आयोग की रिपोर्ट पर ढंग से जवाब नहीं दिया है मगर मंत्री ज़्वेली मखिज़े ने कहा है कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए वह आयोग से मीटिंग करना चाहेंगे.

मसीबी ने बीबीसी की क्लेयर स्पेंसर को आपबीती सुनाई:

जन्म देने के बाद मैंने नीचे देखा और पूछा- "मेरे पेट पर इतनी सारी पट्टियां क्यों बांधी गई हैं?"

उस वक्त मैंने ध्यान नहीं दिया. मैंने बच्ची को जन्म दिया था. वह काफ़ी बड़ी थी और उसे जन्म देने के लिए मुझे बेहोश कर दिया गया था ताकि सिज़ेरियन सेक्शन के ज़रिये डिलीवरी करवाई जा सके.

जन्म देने के पांच दिन मुझे अस्पताल से छुट्टी मिली. मेरी गोद में स्वस्थ बच्चा था और पेट में गहरा ज़ख़्म.

अगले 11 साल तक मुझे कुछ पता ही नहीं चला. मेरे साथ क्या हुआ था, इसकी जानकारी तब मिली जब मैंने दोबारा गर्भधारण की कोशिश की.

मसीबी की बेटी

पहली बार जन्म देने के बाद से लगातार मैं गर्भनिरोधक दवाएं ले रही थी. इसलिए मेरे लिए हैरानी की बात नहीं थी कि पीरियड्स क्यों नहीं आ रहे थे.

फिर मेरी सगाई हुई और हमने चाहा कि एक और बच्चा हो. तब हम डॉक्टर के पास गए.

डॉक्टर ने मेरी जांच की. मुझे बिठाया, पानी का गिलास दिया और बताया कि आपका तो यूटरस ही नहीं है.

'क्रूरता है यह'

मैं पूरी तरह हिल गई. डॉक्टर की बात चौंकाने वाली थी क्योंकि मैं एक बार पहले मां बन चुकी थी.

उन्होंने मेरे साथ जो किया, वह क्रूरता है.

मैं मीडिया में गई, फिर स्वास्थ्य मंत्रालय में गई और फिर उसी अस्पताल पहुंची जहां मैंने बच्ची को जन्म दिया था. उस डॉक्टर से मिली जिसने बताया कि डिलीवरी वाले दिन वो मौजू था.

उसने मुझे सॉरी नहीं कहा. उसने बताया कि मेरी जान बचाने के लिए उसे मुझे बांझ बनाना पड़ा.

मुझे आज तक नहीं पता कि वह मुझे किस चीज़ से बचाने की कोशिश कर रहा था. अस्पताल में कोई रिकॉर्ड भी नहीं है.

मैं अकेली नहीं हूं. एक जांच में पता चला है कि 47 और लोगों के साथ ऐसा हुआ है. कुछ को बताया कि गया कि एचआईवी के कारण ऐसा किया जा रहा है. मुझे नहीं पता उन्होंने ऐसा किया क्यों.

डॉक्टर ने मुझे बताया कि मैंने एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे. जबकि मैंने कहीं हस्ताक्षर नहीं किए थे. मैं उस समय नाबालिग थी तो मेरे से सहमति लेने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता था.

फिर डॉक्टर ने कहा कि जन्म देने के समय मेरे साथ मौजूद रही मेरी मां ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे. मेरी मां का कहना है कि उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किए.

मसीबी अपनी बेटी के साथ

यूटरस न होने की ख़बर ने मेरी ज़िंदगी बदल दी. आख़िर में मैं अपने मंगेतर से अलग हो गई.

मुझे उसे छोड़ना पड़ा क्योंकि वह चाहता था कि उसके बच्चे हों मगर मैं उसे बच्चे नहीं दे सकती थी.

जब मैं डॉक्टर के पास गई थी तो उन्होंने पूछा था कि आप क्या चाहती हैं. मैंने कहा था कि मैं बच्चा चाहती हूं.

जब मैंने इस हफ़्ते अपनी एक कॉलीग को प्रेगनेंट देखा तो मुझसे देखा नहीं गया.

मेरी बेटी एक भाई या बहन चाहती है. जब गली में वह बच्चों को देखती तो कहती है कि उसका अपने भाई-बहन होने चाहिए.

मेरी ओवरीज़ हैं और मैं सरोगेसी के ज़रिये मां बन सकती हूं. सरोगेट के लिए अस्पताल को खर्च उठाना चाहिए.

मैं ये भी चाहती हूं कि जो इसके लिए ज़िम्मेदार है, उसे कटघरे में खड़ा किया जाए.

हम डॉक्टरों को यह सब करते रहने की छूट नहीं दे सकते क्योंकि महिला होने के नाते हमारे अधिकारों का इससे हनन होता है.

डॉक्टरों को पता होना चाहिए कि कुछ ग़लत करेंगे तो आंच उनपर भी आ सकती है. मैं चाहती हूं कि जिस डॉक्टर ने यह किया, वह माफ़ी मांगे.

जिस तरह से ये सब किया गया, आपको लगेगा कि उन्होंने बस एक मामूली चीज़ निकाली है. मगर उन्होंने तो मेरी महिला होने की पहचान ही छीन ली.

मैं कभी इसे नहीं भुला सकती और मेरे पेट पर पड़ा चिह्न मुझे हमेशा इसकी याद दिलाता रहेगा.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Story of a woman forcibly made infertile in South Africa
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X