स्टीफ़न हॉकिंग का अंतिम शोध: अनंत अंतरिक्ष में टहल रहे हैं डायनासोर
अनंत अंतरिक्ष में ऐसी जगह भी हो सकती है जहां हमारी धरती जैसे ग्रह हों और जिन पर डायनासोर अब भी मौजूद हों और प्राचीन मानव अब भी शिकार कर रहे हों.
ऐसे खगोलीय पिंड भी हो सकते हैं जो हमारे ग्रह से बिलकुल अलग हों, जिनके पास तारें, सूर्य या गैलेक्सी न हों लेकिन वहां भी भौतिकी के ठीक ऐसे ही नियम हों जैसे हमारी धरती पर हैं.
ये किसी साइंस फ़िक्शन फ़िल्म की कहानी नहीं हैं.
अनंत अंतरिक्ष में ऐसी जगह भी हो सकती है जहां हमारी धरती जैसे ग्रह हों और जिन पर डायनासोर अब भी मौजूद हों और प्राचीन मानव अब भी शिकार कर रहे हों.
ऐसे खगोलीय पिंड भी हो सकते हैं जो हमारे ग्रह से बिलकुल अलग हों, जिनके पास तारें, सूर्य या गैलेक्सी न हों लेकिन वहां भी भौतिकी के ठीक ऐसे ही नियम हों जैसे हमारी धरती पर हैं.
ये किसी साइंस फ़िक्शन फ़िल्म की कहानी नहीं हैं. बल्कि महान दिवंगत वैज्ञानिक स्टीफ़न हॉकिंग की अपनी मौत से कुछ दिन पहले पेश की गई थ्यौरी में दिए गए विचार हैं.
इसे जर्नल ऑफ़ हाई एनर्जी फ़िज़िक्स में प्रकाशित किया गया है.
प्रोफ़ेसर स्टीफ़न हॉकिंग के इस अंतिम शोध पत्र से पता चलता है कि हमारा ब्रम्हांड कई ऐसे ही ब्रम्हांडों में से एक हो सकता है.
प्रोफ़ेसर स्टीफ़न हॉकिंग का इसी साल मार्च में देहांत हुआ है. ये शोधपत्र उन्होंने अपनी मौत से दस दिन पहले ही पेश किया था.
इस नई थ्यौरी से उनका अपने दिए हुआ कॉस्मिक विरोधाभास के जवाब मिलते हैं.
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1980 के दशक में हॉकिंग ने अमरीकी भौतिकशास्त्री जेम्स हॉर्टल ने ब्रह्मांड के निर्माण के बारे में एक नया विचार पेश किया था.
इसने अल्बर्ट आइंस्टीन की उस थ्यौरी के समाधान दिए थे जिसमें कहा गया था कि ब्रह्मांड का निर्माण 14 अरब साल पहले हुआ था. हालांकि आइंस्टीन ने ये नहीं बताया था कि ये हुआ कैसे था.
दूसरी ओर हार्टल-हॉकिंग ने क्वांटम मैकेनिक्स थ्यौरी से बताया था कि कैसे शून्य से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ था.
इस विचार से एक सवाल का जवाब तो मिल गया था लेकिन दूसरा सवाल खड़ा हो गया था- कुछ लोग कह सकते थे कि एक नहीं बल्कि अनंत ब्रह्मांडों का निर्माण हुआ.
भौतिकशास्त्रियों ने जब इस विचार की समीक्षा की तो एक नतीजा ये भी निकला कि बिग बैंग से सिर्फ़ एक ब्रह्मांड का नहीं हुआ बल्कि एक अनंत सिलसिला शुरू हुआ.
हार्टल-हॉकिंग की थ्यौरी के मुताबिक इनमें से कई ब्रह्मांड बिलकुल हमारे जैसे हो सकते हैं जिनमें धरती जैसे ग्रह होंगे. सिर्फ़ ग्रह ही नहीं हमारे जैसे समाज और लोग भी हो सकते हैं.
कुछ ब्रह्मांड थोड़े अलग हो सकते हैं, जिनमें धरती जैसे ग्रह होंगे और जहां डायनासोर अब भी मौजूद होंगे. जबकि कुछ ब्रह्मांड ऐसे भी होंगे जिनके ग्रह धरती से बिलकुल अलग होंगे, वहां सूर्य या तारे नहीं होंगे लेकिन भैतिकी के नियम हमारे जैसे ही होंगे.
ये विचार भले ही बहुत जटिल लगता हो लेकिन इस नई थ्यौरी में सैद्धांतिक रूप से ऐसा संभव लगता है.
'बहुत ज़्यादा सवाल करते थे स्टीफ़न हॉकिंग'
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इससे एक संकट ये पैदा होता है कि अगर अनंत प्रकार के ब्रह्मांड हैं और वहां अनंत तरह के भौतिकी नियम हैं तो इस थ्यौरी से ये संभावना नहीं पता की जा सकती की हम अपने आप को किस ब्रह्मांड में पाएंगे.
प्रोफ़ेसर हॉकिंग ने बेल्जियम की केयू ल्यूवेन से जुड़े प्रोफ़ेसर थॉमस हर्टोग के साथ मिलकर शोध किया. यूरोपियन रिसर्च काउंसिल ने इस विरोधाभास का समाधान करने का खर्च उठाया है.
प्रोफ़ेसर हर्टोग ने बीबीसी से कहा, "ना ही मैं और न ही हॉकिंग इस सिनेरियो से ख़ुश थे."
"ये कहता था कि मल्टिवर्स अचानक पैदा हुआ और हम इसके बारे में इससे ज़्यादा बहुत कुछ नहीं कह सकते हैं. हमने एक दूसरे से कहा- संभवतः हमें इसके साथ ही जीना पड़े. लेकिन हम हार मानने वाले नहीं थे."
प्रोफ़ेसर हॉकिंग का अंतिम शोधपत्र प्रोफ़ेसर हर्टोग के साथ उनके बीस साल के काम का नतीजा है.
उन्होंने नई गणीतीय तकनीकें विकसित कर इस पहेली को सुलझाया है. ये तकनीक स्टिंग थ्यौरी नाम की एक और भैतिकी शास्त्र की शाखा के अध्य्यन के लिए विकसित की गई है.
ये तकनीकें शौधकर्ताओं को भौतिकी के सिद्धांतों को नए नज़रिए से देखने का मौका देते हैं. हार्टल-हॉकिंग के नए शोधपत्र के नए आकलन इस अराजक मल्टीवर्स में कुछ स्थायित्व लाने की कोशिश करते हैं.
नए हॉकिंग-हर्टोग आंकलन से संकेत मिलते हैं कि सिर्फ़ वही ब्रह्मांड हो सकते हैं जहां भौतिकी के नियम हमारे ब्रह्मांड जैसे ही हों.
इस अनुमान का मतलब ये है कि हमारा ब्रह्मांड एक नमूना है और हम यहां अपने नज़रिए से जो अवलोकन करते हैं उससे हमें दूसरे ब्रह्मांडों के निर्माण के बारे में अपने विचारों को विकसित करने में मदद मिलेगी.
प्रोफ़ेसर हर्टोग कहते हैं, "ये विचार चौंकाने वाले हैं. भौतिकशास्त्री जब ब्रह्मांड के निर्माण के बारे में एक पूर्ण सिद्धांत को विकसित करेंगे तब ये उनके लिए वास्तविक मददगार साबित होगी."
वो कहते हैं, "हम अपनी लैब में भौतिकी के जिन नियमों का परीक्षण करते हैं वो हमेशा के लिए नहीं हैं. बिग बैंग के बाद जब ब्रह्मांड का विस्ता हुआ और ठंडा हुआ. भौतिकी के जो नियम विकसित हुए वो बहुत हद तक बिग बैंग के समय के दौरान रही भौतिक स्थितियों पर निर्भर करते हैं. इसका अध्ययन करके हम ये जानना चाहते हैं कि हमारे भौतिक सिद्धांत कहां से आए, ये कैसे शुरू हो और क्या ये अपना आप में सबसे अनूठे हैं?"
प्रोफ़ेसर हर्टोग कहते हैं कि इस थ्यौरी से भौतिकशास्त्रियों को अन्य ब्रह्मांड खोजने में मदद मिलेगी. वो कहते हैं कि बिग बैंग के समय के माइक्रोवेब रेडियेशन का अध्ययन करके इन ब्रह्मांडों का पता लगाया जा सकता है.
हालांकि हर्टोग को ये नहीं लगता कि एक ब्रह्मांड से दूसरे ब्रह्मांड में जाया जा सकता है.