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श्रीलंका: 'शराबी औरतों' से क्यों चिढ़े बौद्ध भिक्षु?

इस देश के राष्ट्रपति ने महिलाओं के शराब खरीदने से जुड़े 60 साल पुराने क़ानून को बदलने के कदम को पलट दिया.

By BBC News हिन्दी
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श्रीलंका में महिलाओं को शराब खरीदने की इजाज़त देने वाले सरकार के कदम पर राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने रोक लगा दी है.

सरकार ने बुधवार को 1955 के एक क़ानून में बदलाव करने की घोषणा की थी, जिसके तहत 18 साल से ज़्यादा उम्र की महिलाओं के शराब खरीदने के प्रतिबंध को हटा लिया गया था. इसके साथ ही महिलाओं को उन जगहों पर काम करने की भी इजाज़त मिलनी थी, जहां शराब की बिक्री होती है.

सरकार ने माना था कि ये क़ानून महिलाओं के साथ भेदभाव करता था. सरकार के इस कदम का श्रीलंकाई महिलाओं ने भी स्वागत किया था.

लेकिन राष्ट्रपति ने सरकार के फैसले को पलटते हुए बैन को जारी रखने का आदेश दिया है. राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें अखबारों के ज़रिए सरकार के इस कदम की जानकारी मिली.

कई आलोचकों ने राष्ट्रपति पर लैंगिक समानता को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया है.

क़ानून में बदलाव से क्या सुधार होते?

हालांकि श्रीलंका में पुराने क़ानून को कभी सख़्ती से लागू नहीं किया गया. लेकिन सरकार की ओर से किए जा रहे इस बदलाव की मुल्क में काफी चर्चा रही.

इस क़ानून के आने के बाद 60 साल में पहली बार 18 साल से अधिक उम्र की महिलाएं कानूनन शराब खरीद सकती थीं.

इसके अलावा सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक शराब की बाहर की जाने वाली ब्रिकी पर जो बैन था, उसमें भी बदलाव किया गया था. ब्रिकी के लिए सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक की अनुमति दे दी गई थी.

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राष्ट्रपति ने क्यों पलटा फैसला?

बौद्ध-बहुल वाले श्रीलंका के मुख्य भिक्षुओं ने बैन को हटाने के सरकार के फैसले की आलोचना की थी. उनका तर्क था कि इससे कई महिलाओं को शराब की लत लग जाएगी, जिससे श्रीलंका में पारिवारिक संस्कृति तबाह होने का खतरा है.

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने सरकार के इस कदम की आलोचनाओं के बारे में सुना और प्रतिबंध हटाने की अधिसूचना को वापस लेने का आदेश दिया.

राष्ट्रपति के इस रुख से कुछ लोगों को आश्चर्य नहीं हो रहा है, क्योंकि वो शराब के खिलाफ अभियान चलाते रहे हैं. वो पूर्व में आगाह भी कर चुके हैं कि श्रीलंकाई महिलाओं में शराब पीने चलन 'काफी' बढ़ा है.

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राष्ट्रपति पर पाखंडी होने के आरोप क्यों?

हालांकि कई लोगों का कहना है कि सरकार के सुधार को अचानक रद्द कर देना संकेत देता है कि गठबंधन सरकार में सबकुछ ठीक नहीं है.

राष्ट्रपति सिरिसेना महिलाओं को राजनीति में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित कर चुके हैं. उन्होंने पिछले साल कहा था कि उनकी सरकार ने सुनिश्चित किया है कि भविष्य के चुनावों में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं राजनीति में वापसी करें.

शराब के मुद्दे पर उनके दोहरे मानदंडों को लेकर महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही गुस्सा है.

श्रीलंका में कितनी महिलाएं शराब पीती हैं?

विश्व स्वास्थ संगठन के 2014 के आंकड़ों के मुताबिक, 56.9% पुरुषों के मुकाबले 80.5% महिलाओं ने श्रीलंका में कभी शराब नहीं पी.

वहीं 15 से ज्यादा उम्र की 0.1% से भी कम महिलाएं शराब की आदी हैं, जबकि इस मामले में पुरुषों की तादाद 0.8% है.

श्रीलंका में ज्यादातर महिलाएं सांस्कृतिक वजहों से पारपंरिक रूप से शराब नहीं पीतीं.

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English summary
Sri Lanka Why the monster monks scared of drunken women
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