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श्रीलंका के नये प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने पीएम मोदी को दिया धन्यवाद, कहा, भारत के साथ रिश्ते करेंगे मजबूत

भारत ने इस साल जनवरी से कर्ज में डूबे श्रीलंका को ऋण, क्रेडिट लाइन और क्रेडिट स्वैप में 3 अरब डॉलर की मदद दी है और भारत ने कहा है कि, वो श्रीलंका की मदद करना जारी रखेगा।

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कोलंबो, मई 13: श्रीलंका में आर्थिक आपातकाल के बीच रानिल विक्रमसिंघे को देश का नया प्रधानमंत्री बनाया गया है और उन्होंने भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने पर जोर देते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को श्रीलंका की मदद करने के लिए धन्यवाद दिया है। श्रीलंका के नए प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि, वह अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों की आशा करते हैं और देश को आर्थिक सहायता करने के लिए उन्होंने भारत को धन्यवाद दिया है।

पीएम मोदी को दिया धन्यवाद

पीएम मोदी को दिया धन्यवाद

श्रीलंका की कर्ज में डूबी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और राजनीतिक उथल-पुथल को खत्म करने के लिए 73 वर्षीय विक्रमसिंघे ने गुरुवार को श्रीलंका के 26वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। विक्रमसिंघे ने अपने देश को भारतीय आर्थिक सहायता का जिक्र करते हुए कहा, "मैं भारत के साथ एक करीबी रिश्ता चाहता हूं और मैं प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूं।" शपथ लेने के बाद गुरुवार रात कोलंबो में आयोजित एक धार्मिक समारोह के दौरान उनका यह बयान आया है।

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Ranil Wickremesinghe बने Sri Lanka के नए प्रधानमंत्री । Srilanka PM | वनइंडिया हिंदी
भारत ने दी 3 अरब डॉलर की मदद

भारत ने दी 3 अरब डॉलर की मदद

आपको बता दें कि, भारत ने इस साल जनवरी से कर्ज में डूबे श्रीलंका को ऋण, क्रेडिट लाइन और क्रेडिट स्वैप में 3 अरब डॉलर की मदद दी है और भारत ने कहा है कि, वो श्रीलंका की मदद करना जारी रखेगा। इसके साथ ही भारत ने श्रीलंका की मदद के लिए चावल भी भेजा है, ताकि मानवीय संकट में फंसने से श्रीलंका को बचाया जा सके। भारत ने गुरुवार को कहा कि वह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के अनुसार गठित नई श्रीलंकाई सरकार के साथ काम करने के लिए उत्सुक है और द्वीप राष्ट्र के लोगों के लिए नई दिल्ली की प्रतिबद्धता जारी रहेगी। वहीं, 73 वर्षीय यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता रानिल विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला लिया है, जबकि श्रीलंकाई कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने फिलहाल श्रीलंकान आर्मी के नेवल बेस में अपने परिवार के साथ छिपे हुए हैं।

श्रीलंका की जनता से बड़ा वादा

श्रीलंका की जनता से बड़ा वादा

श्रीलंका के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद विक्रमसिंघे ने कहा कि, ‘मैं लोगों को पेट्रोल, डीजल और बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इस समस्या का समाधान करना चाहता हूं'। उन्होंने कहा कि, मैं वादा करता हूं कि, श्रीलंका के लोगों को आर्थिक संकट से बाहर निकालकर ही दम लूंगा। आपको बता दें कि, 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। यह संकट देश में भारी खराब आर्थिक नीतियों की वजह से हुई है, जिससे देश में विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो गया है, जिसका अर्थ यह है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर सकता है, जिससे तीव्र आर्थिक संकट पैदा हो गया है।

'मैं वह काम करूंगा जो मैंने करने का बीड़ा उठाया है'

'मैं वह काम करूंगा जो मैंने करने का बीड़ा उठाया है'

यह पूछे जाने पर कि क्या वह 225 सदस्यीय संसद में अपना प्रधानमंत्री पद बरकरार रख सकते हैं, क्योंकि उनके पास केवल एक सीट है, तो उन्होंने कहा: "जब बात आएगी तो मैं बहुमत साबित कर दूंगा"। द्वीपव्यापी विरोध का जिक्र करते हुए नये प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने कहा कि, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के सचिवालय के पास पिछले एक महीने से जो विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, उसे सरकार ने जारी रखने की अनुमति दी है और उन्होंने कहा कि, ‘अगर वे चाहें तो मैं उनसे (प्रदर्शनकारियों से) बात करूंगा'। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इस्तीफा देने की मांग के विरोध का डर है, उन्होंने कहा कि वह उनका सामना करेंगे। उन्होंने कहा कि, "अगर मैं आर्थिक संकट से निपटने के लिए काम कर सकता हूं, तो मैं इसे भी संभाल लूंगा।"

सभी दलों का है समर्थन हासिल!

सभी दलों का है समर्थन हासिल!

हालांकि, प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेगया (एसजेबी) पार्टी ने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था और फिर राष्ट्रपकि ने विक्रमसिंघे के ना पर मुहर लगा दी, जबकि श्रीलंका की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की है। वहीं, श्रीलंका के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि, विक्रमसिंघे अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं, लिहाजा देश में आगामी चुनाव से पहले देश हित में सभी पार्टियां को उन्हें समर्थन देना चाहिए। वहीं, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने कहा कि सत्तारूढ़ श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी), मुख्य विपक्षी एसजेबी के साथ साथ कई और राजनीतिक दलों ने संसद में नये प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को अपना समर्थन देने का फैसला किया है।

क्या आजादी से काम कर पाएंगे विक्रमसिंघे?

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हालांकि, कई गुटों ने विक्रमसिंघे को नए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने के कदम का विरोध भी किया है। श्रीलंका की दो पार्टियां जेवीपी और तमिल नेशनल एलायंस ने दावा किया कि उनकी नियुक्ति असंवैधानिक है। अनुभवी राजनेता विक्रमसिंघे को राजपक्षे कबीले के करीबी के रूप में देखा जाता है। लेकिन उन्हें वर्तमान में विपक्ष या जनता के बीच ज्यादा समर्थन नहीं है। यह देखा जाना बाकी है कि क्या वह 225 सदस्यीय संसद में अपना बहुमत साबित कर पाते हैं? वहीं, कम्युनिस्ट पार्टी के वीरासुमना वीरसिंघे ने कहा, "हम उन्हें समर्थन देंगे।" जबकि, पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी पार्टी ने अभी तक विक्रमसिंघे को समर्थन देने पर फैसला नहीं लिया है। वहीं, भारतीय मूल के बागान समुदाय के लिए ट्रेड यूनियन सह राजनीतिक दल, सीलोन वर्कर्स कांग्रेस ने कहा कि वे विक्रमसिंघे का समर्थन करेंगे।

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English summary
Sri Lanka's new Prime Minister Ranil Wickremesinghe has said that he will bring Sri Lanka out of economic crisis by strengthening ties with India.
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