श्रीलंका: कौन है BBS जो मुस्लिम और बौद्ध धर्म के बीच भड़का रहे दंगे?
कोलंबो। कैंडी में एक बौद्ध धर्म के युवक की मौत के बाद श्रीलंका में तनाव अपने चरम स्तर पर है और सरकार ने स्थिति को काबू में पाने के लिए अचानक 10 दिन का आपातकाल लागू कर दिया है। आपातकाल लागू होने के बाद भी देशभर में हिंसा देखने को मिल रही है। पुलिस ने बुधवार को कहा कि बुद्धिस्ट चरमपंथियों ने कई मस्जिदों और अल्पसंख्यक मुस्लिम दुकानों का आग के हवाले कर माहौल को तनावपूर्ण बना दिया है। लोकल मीडिया के मुताबिक, श्रीलंका में फैली हिंसा की आग को हवा देने का काम एंटी मुस्लिम और कट्टरपंथी ऑर्गनाइजेशन बोडू बाला सेना कर रही है।
कौन है बीबीएस?
श्रीलंका में मुस्लिम और बौद्ध धर्म के समुदायों के बीच तनाव कई सालों से चलता आ रहा है, 2012 के बाद से इन दोनों समुदायों के बीच जबरदस्त हिंसा देखने को मिली है। श्रीलंका में कुछ बौद्ध धर्म के साधुओं ने मिलकर 2012 में बोडू बाला सेना (बीबीएस) की स्थापना की थी। यह ऑर्गनाइजेशन शुरू से आरोप लगाता आया है कि श्रीलंका में मुस्लिम समुदाय के लोग जबरन धर्म परिवर्तन करवा रहे हैं। साथ ही कुछ सालों पहले बौद्ध बहुसंख्यक मुल्क म्यांमार से भाग कर श्रीलंका में शरण लेने वाले रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ भी उनका गुस्सा आज भी ठंडा नहीं हुआ है।
2014 के दंगे और बीबीएस
बीबीएस की स्थापना किरामा विमालाजोथी और गलागोदा अथे गननसारा नाम के दो साधुओं ने मिलकर की थी। श्रीलंका में जून 2014 में भी बौद्ध और मुस्लिम समुदाय के बीच भयानक दंगे हुए थे। 12 जून 2014 को कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बौद्ध साधु आयागामा समिथा और उसके ड्राइवर के साथ धारगा कस्बे में मारपीट कर दी थी। जिसके बाद पुलिस ने उन आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। लेकिन, इस घटना के दो दिन बाद ही 15 जून को बीबीएस ने अलुथगामा, बेरुवाला और धारगा कस्बे में विशाल रैलियां निकाली थी। बीबीएस की इन रैलियों के बाद श्रीलंका के कई जगहों पर दंगे भड़के थे। इन दंगों में 10 हजार लोगों को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा, जिसमें 8 हजार मुस्लिम थे।
अंग्रेजी मीडिया पर भी हावी बीबीएस
श्रीलंका में विदेशी मीडिया के खिलाफ भी बीबीएस हमेशा से हावी रहा है। बीबीएस अपने देश में विदेशी मीडिया को श्रीलंका के खिलाफ षड़यंत्र रचने का आरोप लगा चुके हैं। बीबीएस के जनरल सेक्रेटरी गननसारा श्रीलंका में अंग्रेजी मीडिया को षड़यंत्रकारी बता चुके हैं। 2013 मे बीबीएस के कुछ समर्थकों ने बीबीसी के क्रू मेंबर्स को भी पीट दिया था। बता दें कि श्रीलंका में हमेशा से प्रो-बुद्धिस्ट सरकारें रही हैं, इसी वजह से बीबीएस जैसी संस्था के खिलाफ कार्रवाई करने में सरकारें हिचकिचाती है।