भारत की मिट्टी ने रिचर्ड को बना दिया था आध्यात्मिक गुरु राम दास, अमेरिका में हुआ निधन
वाशिंगटन। 1960 के दशक में भारत की यात्रा के बाद आध्यात्मिक गुरु बने बाबा राम दास का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रह चुके हैं। उनके निधन की घोषणा उनके संगठन ने सोमवार को की है। उनका जन्म बॉस्टन में हुआ था और वह रिचर्ड एल्पर्ट के नाम से जाने जाते थे।
हार्वर्ड में पढ़ाया करते थे
एलपर्ट के संगठन लव सर्व ने बताया कि उनका निधन उनके घर पर ही हुआ है। एल्पर्ट 1960 की शुरुआत में हार्वर्ड में पढ़ाया करते थे। उसी समय उनकी दोस्ती एक साथी मनोवैज्ञानिक टिमोथी लेरी के साथ हुई और दोनों ने साथ में काम करना शुरू किया। हालांकि एल्पर्ट और लेरी को साल 1963 में साइकेडेलिक दवाओं के साथ प्रयोग करने पर हार्वर्ड से निकाल दिया गया था।
शोध के लिए भारत आए
एल्पर्ट 1967 में साइकेडेलिक शोध के लिए भारत आए और बाब राम दास बनकर लौटे। यहां उन्होंने अपने गुरु नीम करोली बाबा से मुलाकात की। जिन्हें महाराज के नाम से जाना जाता था। राम दास खुद एक आध्यात्मिक शिक्षक बन गए, उन्होंने हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, सूफी और यहूदी रहस्यवाद और अन्य धर्मों के विश्वासों और प्रथाओं को जाना। वह कई किताबों के लेखक भी रह चुके हैं।
किताब 1971 में प्रकाशित हुई
उनकी 'बी हेयर नाओ' नाम की किताब 1971 में प्रकाशित हुई थी। जिसमें बताया गया है कि "वर्तमान समय में सौ फीसदी आनंदपूर्वक कैसे जिएं।" वह सेवा फाउंडेशन के उपसंस्थापक थे। जो मूल अमेरिकियों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है और भारत और नेपाल में अन्य परियोजनाओं के माध्यम से अपनी सेवाएं दे रहा है।