चमत्कार: मंगल ग्रह पर बच्चे पैदा कर सकेगा इंसान! चूहों के स्पर्म पर अंतरिक्ष में किया गया रिसर्च कामयाब
जापान के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से बाहर भी बच्चे पैदा करने की संभावना को तलाश लिया है और इस रिसर्च का कामयाब होना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
नई दिल्ली, जून 13: मंगल ग्रह पर जिंदगी बसाने के लिए इंसान लगातर हाथ-पैर मार रहे हैं और दर्जनों रिसर्च लगातार किए जा रहे हैं। दुनियाभर के सैकड़ों वैज्ञानिक दिन-रात काम कर रहे हैं, ताकि पृथ्वी से बाहर जीवन बसाया जाए। इसी बीच वैज्ञानिकों के हाथ एक बड़ी कामयाबी लगी है। जापान के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में चूहों पर एक बेहद महत्वपूर्ण रिसर्च किया है, जो कामयाब रहा है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मंगल ग्रह पर स्पर्म 200 सालों तक जिंदा रह सकता है। दरअसल, वैज्ञानिकों का अब तक सोचना था कि स्पेस में रेडिएशन की वजह से इंसानी वीर्य खराब हो सकता है लेकिन चूहों पर किए गये रिसर्च ने वैज्ञानिकों को उत्साहित कर दिया है।
चूहों पर किया गया रिसर्च कामयाब
जापान के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से बाहर भी बच्चे पैदा करने की संभावना को तलाश लिया है और इस रिसर्च का कामयाब होना किसी चमत्कार से कम नहीं है। वेबसाइट पीएचवाईएस के मुताबिक, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में करीब 6 सालों तक चूहों का स्पर्म रखा गया। लेकिन, हैरानी की बात ये थी कि 6 साल तक स्पेस में रहने के बाद भी चूहों का स्पर्म खराब नहीं हुआ और वो पूरी तरह से सही और स्वस्थ था।
आईएसएस में रखा गया था स्पर्म
रिपोर्ट के मुताबिक 2012 में 66 चूहों का स्पर्म लेकर उसे 30 से ज्यादा ग्लास एंप्यूल्स में रखा गया था। और फिर वैज्ञानिकों ने सबसे बेहत सैंपल से बच्चे पैदा करने की सोची और फिर 4 अगस्त 2013 को तीन सैंपल्स को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए लॉन्च किया गया था, वहीं तीन को जापान के सुकूबा में वैसी की परिस्थितियों में रखा गया था, जिनमें कई तरह के रेडिएशन शामिल थे। जब सालों के बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से चूहों के स्पर्म को वापस लाया गया और फिर उन स्पर्म्स को चूहिया के गर्भ में डाला गया तो आश्चर्यजनक नतीजे सामने आ गये। इन स्पर्म्स से स्पेस रैट का जन्म हुआ है और ये पूरी तरह से स्वस्थ हैं। इन चूहों में किसी भी तरह की कोई जैनेटिक गड़बड़ी नहीं थी। आपको बता दें कि स्पेस स्टेशन पर चूहों के स्पर्म को 5 साल 10 महीने तक माइनस 45 डिग्री तापमान में फ्रीज करके रखा गया था।
नहीं हुआ रेडिएशन का असर
जापानी वैज्ञानिकों ने इस स्टडी को साइंस अडवांस में पब्लिश किया गया है और इस रिसर्च को करने वाले वैज्ञानिक तेरबहिको वाकायामा ने कहा कि 'अंतरिक्ष में स्टोर किए गये स्पर्म से जो चूहे पैदा हुए हैं, वो धरती पर पैदा होने वाले चूहों के मुकाबले थोड़े से अलग हैं, लेकिन हम इसे कमी नहीं कह सकते हैं।' वहीं, रिपोर्ट के मुताबिक पहला बॉक्स 19 मई 2014 को वापस लाया गया था, दूसरा बॉक्स दो साल के बाद, जबकि तीसरा बॉक्स 6 साल के बाद अंतरिक्ष से मंगाया गया था। सैंपल को एनालसिसस के बाद प्रोजेक्ट जारी रखा गया और धरती पर लाने के बाद जांच की गई, कि क्या स्पर्म में किसी तरह का रेडिएशन भी हुआ है, तो वैज्ञानिकों ने जांच में पाया कि स्पर्म में किसी भी तरह का कोई रेडिएशन नहीं है। धरती पर लाने के बाद इन स्पर्म को रिवाइज करके बच्चों का जन्म कराया गया।
मानव सभ्यता के लिए बड़ी खोज
वैज्ञानिकों ने कहा है कि चूहों के स्पर्म का सही सलामत, बगैर रेडिएशन का शिकार हुए अंतरिक्ष से धरती पर आ जाना किसी चमत्कार से कम नहीं है और ये विज्ञान की बहुत बड़ी खोज है। प्रोफेसर सयाका ने कहा कि इस रिसर्च का कामयाब होना मानव सभ्यता के लिए बेहद महत्वपूर्ण खोज है और जिन चूहों का जन्म हुआ है उनके डीएनए में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं है।
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