क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Special Report: किसानों पर बोलने वाले Hollywood की हांगकांग-ताइवान पर घिघ्घी क्यों बंध जाती है?

किसान आंदोलन पर बोलने वाले इंटरनेशनल एक्टिविस्ट और हॉलीवुड स्टार्स ताइवान और हांगकांग पर बोलने से डरते क्यों हैं?

Google Oneindia News

नई दिल्ली: रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग, सुजैन सरंडन, अमांडा सर्नी, जय शॉन, डॉ ज्यूस...ये वो नाम हैं जो भारत में चल रहे किसान आंदोलन का मुखर रूप से समर्थन कर रहे हैं। ये किसानों के अधिकार समेत भारत की महान लोकतांत्रिक पद्धति पर भी सवाल उठाने से नहीं चूक रहे हैं, लेकिन जैसे ही ताइवान और हांगकांग के लोगों के मानवाधिकार की बात आती है, तमाम हॉलीवुड स्टार्स बिल में दुबक जाते हैं। आखिर हॉलीवुड स्टार्स, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर्स ताइवान और हांगकांग में चीनी अत्याचार और उनके मानवाधिकार पर बात क्यों नहीं करते हैं। उइगर मुसलमानों पर इनके मुंह क्यों सिल जाते हैं? फिल्मों में बड़े बड़े बम दागने वाले हॉलीवुड स्टार्स चीन का नाम सुनते ही कांपने क्यों लगते हैं...इन सवालों का जबाव जानना जरूरी है।

HOLLYWOOD

Recommended Video

Farmers Protest: Hollywood Actress Susan Sarandon भी अब किसानों के समर्थन में उतरीं | वनइंडिया हिंदी

चीन से कांपता हॉलीवुड

हॉलीवुड के सुपरस्टार टॉम क्रूज (Tom cruise) की एक फिल्म आने वाली है, टॉप गन-2 (Top Gun)। फिल्म की शूटिंग करीब करीब खत्म होने के कगार पर है। फिल्म की लागत करीब 152 मिलियन डॉलर है और ये फिल्म 2 जुलाई को रिलीज होने वाली है। अचानक खबर आती है कि फिल्म के कुछ हिस्सों की शूटिंग फिर से की जाएगी। पता चलता है कि टॉम क्रूज ने फिल्म में जो जैकेट पहना था उसके ऊपर ताइवान का झंडा लगा था मगर चीन के डर से टॉम क्रूज अपनी जैकेट से ताइवान का झंडा हटा लेते हैं। इसके साथ ही फिल्म में ताइवान को लेकर कुछ दृश्य से जिसे फिल्म से हटाकर नये सिरे से शूटिंग की गई है।

हॉलीवुड की एक सुपरहिट फिल्म आई थी 'डॉक्टर स्ट्रेंज'। उस फिल्म का दूसरा लीड कैरेक्टर तिब्बत से प्रेरित था। मगर शूटिग खत्म होने के बाद फिल्म के स्क्रिप्ट में बदलाव किया गया। फिल्म 'डॉक्टर स्ट्रेंज' एक कॉमिक्स से प्रेरित होकर बनाई गई थी जिसमें 'बौद्ध गुरु' को तिब्बती बताया गया है। मगर फिल्म में 'बौद्ध गुरु' को तिब्बती ना बताकर नेपाल का दिखाया गया। उसके पीछे भी हॉलीवुड का चीन से डर था।

तो यहां सवाल ये होता है कि आखिर हॉलीवुड के स्टार्स जो खुद को लोकतंत्र का समर्थक बताते हैं वो चीन का नाम सुनते ही कांपने क्यों लगते हैं? लोकतंत्र की बात करने वाले ये स्टार्स चीन की तानाशाही तंत्र से इतना क्यों डरते हैं।आखिर इन फिल्मों से ताइवान का झंडा और तिब्बत का नाम क्यों हटाया गया? तो इन सवालों का जबाव है, चीन का डर।

TOM CRUISE

जहां फायदा वहीं निकलेगी आवाज?

दरअसल, हॉलीवुड के फिल्मस्टार्स चीनी बाजार खोने के डर से कांपने लगते हैं। हॉलीवुड के डायरेक्टर प्रोड्यूसर्स चीन के बाजार को ध्यान में रखकर ही फिल्म बनाते हैं। फिल्म डॉक्टर स्ट्रेंज में जब 'बौद्ध गुरु' के निवास स्थान को बदला गया तो उसके पीछे का डर चीनी बाजार को खोना था।

कॉमस्कोर (SCOR) के आंकड़ों के के मुताबिक, चीनी फिल्मों ने चीन में हॉलीवुड फिल्मों को धूल चटाते हुए 3.1 बिलियन डॉलर की कमाई दर्ज की जो अमेरिकी बाजार की तुलना में 1 बिलियन डॉलर ज्यादा है। चीनी बाजार पर हॉलीवुड का एक तरह से कब्जा था मगर अब स्थितियां बदल गई हैं। हॉलीवुड को दूसरे नंबर पर धकेलकर चीनी फिल्म इंडस्ट्री पहले पायदान पर आ चुका है। चीनी बाजार से धीरे धीरे हॉलीवुड फिल्मों के बाहर निकलने का सिलसिला शुरू हो चुका है। अगर हॉलीवुड फिल्मों ने चीन में व्यापार करना बंद कर दिया तो हॉलीवुड फिल्मों का अस्तित्व ही खत्म होने के कगार पर आ जाएगा। लिहाजा, चीन से डरकर ही टॉम क्रूज की फिल्म से ताइवान का झंडा हटाया गया है। वो भी तब जब अमेरिका के नये राष्ट्रपति ने पूरी शक्ति के साथ ताइवान का साथ देने की घोषणा कर दी है।

HOLLYWOOD

चीन के बिना हॉलीवुड का अस्तित्व

अगर चीन में हॉलीवुड का बहिष्कार हो जाए तो हॉलीवुड फिल्मों का स्टैंडर्ड बुरी तरह से गिर जाएगा। सबसे बड़ा फर्क हॉलीवुड फिल्मों की बजट पर आएगा। "हॉलीवुड मेड इन चाइना" के लेखक अयन कोकास ने सीएनएन बिजनेस को दिए गये एक इंटरव्यू में बताया कि "मौजूदा हॉलीवुड फिल्मों का बजट चीन के बाजार तक पहुंच के बिना बेकार हैं। यह मूल रूप से अमेरिकी फिल्म उद्योग के मॉडल को बदल सकता है।" वर्जीनिया यूनिवर्सिटी में मीडिया स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर अयन कोकास ने CNN से कहा कि ''चीनी बाजार में हॉलीवुड फिल्मों को अच्छा रिस्पांस मिले इसके लिए कई चीनी कलाकारों को हॉलीवुड में कास्ट किया जाता है। और अगर चीनी दर्शक ही हॉलीवुड फिल्मों से मुंह मोड़ लें तो हॉलीवुड के प्रोड्यूसर फिल्मों पर पैसा लगाने से पहले सौ बार सोचेंगे''

इसका सबसे ताजा उदाहरण है हॉलीवुड के सुपरस्टार टॉम क्रूज की आने वाली फिल्म टॉप गन (Top Gun) में डायरेक्टर मे टॉम क्रूज के जैकेट से ताइवानी झंडे को हटा दिया। जबकि अमेरिका लगातार ताइवान को सपोर्ट करता है। तो फिर टॉम क्रूज के जैकेट से ताइवानी झंडे को हटाना हॉलीवुड का डर नहीं तो और क्या दिखाता है? अगर अमेरिका में फिर से थियेटर पूरी रफ्तार से चलने भी लगें फिर भी चीनी बाजार के बिना हॉलीवुड की फिल्मों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। वहीं, जिन हॉलीवुड की फिल्मों को चीनी प्रोडक्शन स्टूडियोज ने प्रोड्यूस किया है, उन्होंने चीन में अच्छी कमाई की है। जिससे साफ संदेश मिलता है कि चीनी दर्शकों के मन में अमेरिकी फिल्मों को लेकर कोई ना कोई बात जरूर है।

ताइवान-हांगकांग में चीन का जुल्म

ताइवान को चीन ने सीधी धमकी दी है कि अगर वो आजादी की बात करता है तो चीन उसपर हमला कर देगा। वहीं, हांगकांग में मानवाधिकार को चीन बुरी तरह से कुचल रहा है। नेशनल सिक्योरिटी कानून बनाकर चीन ने हांगकांग के हजारों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और चीनी दमन का विरोध करने वाले लोगों को गिरफ्तार कर रखा है।

JIMMY LEY

चीन के अत्याचार की सबसे बड़ी गवाही हांगकांग के बड़े उद्योगपति और मीडिया कंपनी के मालिक जिमी लाइ (Jimmy Lai) हैं। जिन्हें चीन की कम्यूनिस्ट सरकार ने नेशनल सिक्योरिटी कानून के तहत जेल में बंद कर रखा है। जिमी लाइ को जब कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया तो उनके हाथों में हथकड़ी लगी हुई थी जिसे कैदी वैन के साथ बांधकर रखा गया था। 73 साल के बुजुर्ग और बड़े उद्योगपति को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हथकड़ी डालकर एक पुलिस वैन से बांधकर रखा था। उनके ऊपर चीन से गद्दारी, देशद्रोही, अलगाववाद छेड़ने, चीन के खिलाफ युद्ध छेड़ने, विदेशों से पैसा लेकर हांगकांग में हिंसा भड़काने समेत कई मुकदमे दर्ज किए गये हैं। इन तस्वीरों को पूरी दुनिया ने देखा लेकिन चाहे वो हॉलीवुड के तथाकथित स्टार्स हों या फिर ग्रेटा थनबर्ग, उन्होंने चीन के खिलाफ बोलने की जहमत तक नहीं उठाई। क्योंकि उन्हें पता है कि चीन में जो सरकार है, उससे पंगा लेकर उनका दाना-पानी नहीं चल सकता है। जबकि भारत में लोकतांत्रिक सरकार है, जिसके खिलाफ कुछ भी बोल लो कुछ फर्क नहीं पड़ता...।

JIMMY LAI

इस वक्त हांगकांग से हजारों की तादाद में लोग ब्रिटेन पलायन करने पर मजबूर हैं। जो भी चीन के खिलाफ बोलने की हिम्मत करता है, उसे फौरन गिरफ्तार कर लिया जाता है और उनके खिलाफ चीन की सरकार बेरहमी से कार्रवाई करती है। बावजूद इसके मानवाधिकार का झंडा उठाने वाले ये इंटरनेशनल कार्यकर्ता एक शब्द नहीं बोलते हैं। तो ऐसे में क्या माना जाए कि भारतीय लोकतंत्र को लेकर इनका सलेक्टिव होना क्या कोई साजिश नहीं है। अगर ये निष्पक्ष होने का दावा करते हैं तो फिर ये चीन से डरते क्यों नहीं? और अंत में सवाल यही है कि क्या सिर्फ रोजी-रोटी के लिए ही ये सलेक्टिव नैरेटिव बनाने की कोशिश करते हैं।

चीन ने हांगकांग के मीडिया मुगल जिमी लाइ को हथकड़ी लगाकर वैन में बांधा, आजादी मांगने वालों पर जिनपिंग का जुल्मचीन ने हांगकांग के मीडिया मुगल जिमी लाइ को हथकड़ी लगाकर वैन में बांधा, आजादी मांगने वालों पर जिनपिंग का जुल्म

Comments
English summary
Why are international activists and Hollywood stars speaking out on the farmer protest, but silent on Taiwan and Hong Kong?
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X