तीन किलोमीटर से भी ज़्यादा दूर से अचूक निशाना कैसे लगाते हैं स्नाइपर
कनाडा की स्पेशल फोर्स के एक स्नाइपर ने पिछले साल सबसे ज़्यादा दूरी से दुश्मन को मार गिराने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था.
इस सैनिक ने इराक़ में आईएस के एक लड़ाके पर 3,540 मीटर की दूरी से गोली चलाई थी.
इससे पिछला रिकॉर्ड ब्रिटिश स्नाइपर क्रेग हैरिसन के नाम था. हैरिसन ने साल 2009 में अफ़ग़ानिस्तान में 2,475 मीटर से एक तालिबान लड़ाके को मारा था.
कनाडा की स्पेशल फोर्स के एक स्नाइपर ने पिछले साल सबसे ज़्यादा दूरी से दुश्मन को मार गिराने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था.
इस सैनिक ने इराक़ में आईएस के एक लड़ाके पर 3,540 मीटर की दूरी से गोली चलाई थी.
इससे पिछला रिकॉर्ड ब्रिटिश स्नाइपर क्रेग हैरिसन के नाम था. हैरिसन ने साल 2009 में अफ़ग़ानिस्तान में 2,475 मीटर से एक तालिबान लड़ाके को मारा था.
कनाडा की आर्म्ड फ़ोर्स के पास लंबी दूरी से दुश्मन को मारने के टॉप पांच में से तीन रिकॉर्ड हैं.
लेकिन सवाल उठता है कि कोई तीन किलोमीटर से भी ज़्यादा दूरी से दुश्मन पर अचूक निशाना कैसे लगा सकता है?
सही हथियार ज़रूरी
कनाडा के जिस सैनिक ने आईएस के लड़ाके पर गोली चलाई थी, उसने ऊंचाई वाली जगह से मैकमिलन टैक-50 स्नाइपर राइफ़ल इस्तेमाल की थी.
इस राइफ़ल के निर्माताओं का कहना है कि इसकी प्रभावी फ़ायरिंग रेंज 1800 मीटर है. यानी कनाडा के स्नाइपर ने राइफ़ल की क्षमता से दोगुनी दूरी से सही निशाना लगाया.
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गोली 792 मील प्रतिघंटे की रफ़्तार से चल रही थी जो कि बोइंग 747 जैसे कमर्शियल जेट से भी तेज़ है. गोली को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में 10 सेकंड का वक़्त लगा.
यूएस नेवी सील्स, फ़्रेंच नेवी कमांडो के साथ-साथ तुर्की, जॉर्जिया, दक्षिण अफ़्रीका, जॉर्डन, इसराइल और फ़िलिपीन्स के विशेष बल भी इसी राइफ़ल (एमके 15) को इस्तेमाल करते हैं.
ब्रिटिश, जर्मन और आयरिश सेनाएं आमतौर पर एक्युरेसी इंटरनैशनल आर्कटिक वॉयरफ़ेयर सिरीज़ की स्नाइपर राइफ़ल इस्तेमाल करती हैं.
यूएस मरीन कॉर्प्स एम40 इस्तेमाल करते हैं.
स्पॉटर की भूमिका अहम
स्नाइपर की क़ामयाबी में उसके साथी या स्पॉटर का अहम योगदान रहता है.
स्पॉटर का काम स्नाइपर को यह बताना है कि लक्ष्य कहां है और परिस्थितियां कैसी हैं.
स्पॉटर दूरबीन की मदद से लक्ष्य चुका चुनाव करता है और स्नाइपर अपनी राइफ़ल पर लगे स्कोप से दुश्मन पर निशाना साधता है.
कई बार स्नाइपर और स्पॉटर उस इलाक़े के नज़दीक होते हैं, जहां लड़ाई चल रही होती है. वे अपने हथियार ख़ुद ले जाते हैं और दुश्मन के इंतज़ार में घंटों तक छिपे रहते हैं.
अगर कोई शॉट मिस हो जाता है तो स्पॉटर तुरंत हालात को भांपता है और स्नाइपर को रीलोड करके निशाना लगाने या मिशन रोकने के लिए कहता है.
स्पॉटर तेज़ गति से जाने वाली गोली के पीछे हवा में भाप के संघनन से बनने वाले निशान पर नज़र रखता है और भारी-भरकम किट को उठाने में भी मदद करता है.
अनुभव और विज्ञान आता है काम
सही निशाना लगाने में हवा की गति और मौसम की अन्य परिस्थतियां भी महत्वपूर्ण होती हैं.
बहुत सारी टीमें सबसे अनुभवी स्नाइपर को ही स्पॉटर बनाती हैं ताकि वह हवा की गति, दूरी, इलाके की संरचना, गर्मी और निशाने को प्रभावित करने वाले अन्य तत्वों का आकलन कर सके.
इसके बाद स्नाइपर का काम शुरू होता है. वह पोज़िशन लेता है, अपनी सांस थामता है, दूरी का अंदाज़ा लगाता है, अस्त्र विज्ञान का ध्यान रखता है, स्पॉटर की सलाह पर ग़ौर करता है और फिर फ़ायर करता है.
कनाडा की स्पेशल फ़ोर्स के जिस स्नाइपर ने सबसे ज़्यादा दूरी से लक्ष्य भेदा, उसे पृथ्वी की सतह की गोलाई का भी ध्यान रखना पड़ा क्योंकि वह बहुत दूर था.
उसे इस बात का भी ध्यान रखना था कि दूरी के साथ गोली की ऊंचाई भी घटेगी क्योंकि वह एक इमारत के ऊंचे हिस्से से गोली चला रहा था.