क्या कांगों में भूख से लाखों बच्चे मर जाएंगे?
संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी ने कांगो को मानवीय संकट से निकालने में मदद करने की अपील की है. संघर्ष से तबाह हुए कांगो का कसाय प्रांत गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा है.
संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी ने कांगो को मानवीय संकट से निकालने में मदद करने की अपील की है. संघर्ष से तबाह हुए कांगो का कसाय प्रांत गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा है.
यूएन फूड एजेंसी के प्रमुख डेविड बिज़ली ने बीबीसी से कहा कि 30 लाख से ज़्यादा लोग भूख से मरने की कगार पर हैं.
उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में मदद नहीं पहुंचाई गई तो लाखों बच्चे भूख से मर सकते हैं. अगस्त 2016 में सुरक्षाकर्मियों के साथ संघर्ष में एक स्थानीय नेता के मारे जाने के बाद यहां हिंसा भड़क गई थी.
इस हिंसा के कारण क़रीब डेढ़ लाख लोग अपना घर छोड़ने पर मजबूर हुए. इनमें ज़्यादातर बच्चे हैं.
डेविड ने कांगो के कसाय प्रांत की हालत को त्रासदी क़रार दिया है. उन्होंने कहा, ''हमारी टीम दौरे पर है. हम यहां देख रहे हैं कि झोपड़ियां जली हुई हैं. घरों को जला दिया गया है. गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों का विकास थम गया है. ज़ाहिर है कई बच्चों की मौत हो चुकी है.''
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उन्होंने कहा, ''हमलोग उन लाखों बच्चों की बात कर रहे हैं जो आने वाले कुछ महीनों में दम तोड़ देंगे. अगर हम समय पर इन तक मदद नहीं पहुंचा सके तो ऐसा ही होगा.''
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम का कहना है कि कसाय में लोगों को मदद पहुंचाने के लिए केवल एक फ़ीसदी फंड है.
डेविड ने चेतावनी दी है कि बरसात का मौसम आने वाला है, ऐसे में ख़राब सड़कों के कारण वहां पहुंचना आसान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हेलिकॉप्टर से खाद्य सामग्रियों का वितरण काफ़ी महंगा हो जाएगा.
डेविड ने कहा, ''अगर हम कुछ और हफ्तों की देरी कर देते हैं तो कल्पना नहीं कर सकते कि स्थिति कितनी भयावह हो जाएगी. हमें मदद की ज़रूरत है और यह मदद तत्काल चाहिए.''
संघर्ष की शुरुआत तब हुई जब सरकार ने पारंपरिक प्रमुख को मान्यता देने से इनकार कर दिया. इसके बाद उस स्थानीय नेता ने विद्रोही समूह बनाया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों के साथ संघर्ष में उनकी मौत हो गई.
इससे बाद इस विद्रोही समूह ने आक्रामक रुख़ अपना लिया और हिंसक वारदात को और हवा मिली.
इस संघर्ष के अलग-अलग कारण थे, लेकिन प्रशासन के निशाने पर विद्रोही गुट थे. इस संघर्ष में लोगों की भागीदारी लगातार बढ़ती गई और यह हिंसा पांच राज्यों तक फैल गई.
सुरक्षाकर्मियों और विद्रोही समूह दोनों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के गंभीर आरोप हैं. इस संघर्ष में 3000 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और संयुक्त राष्ट्र को दर्जनों सामूहिक क़ब्रें मिली हैं.
लोगों का कहना है कि उन्होंने अपने परिजनों की हत्या होते देखा है. इनका कहना है कि अब भी जातीय संघर्ष जारी है ऐसे में वो अपने घर से दूर ही रहेंगे.
मार्च महीने में कसाय प्रांत में विद्रोही लड़ाकों ने घात लगाकर हमला किया था जिसमें 40 पुलिस ऑफिसर मारे गए थे. सारे पुलिस अधिकारियों के सिर काट लिए गए थे.
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