क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

सिंगापुर: एक मेड ने आख़िर कैसे दी एक अरबपति को मात

इस मामले की सिंगापुर में काफ़ी चर्चा हुई थी. इसे अमीर बनाम ग़रीब की लड़ाई बताया गया.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
पारती लियानी और ल्यू मोन लियॉन्ग
PARTI LIYANI/GETTY
पारती लियानी और ल्यू मोन लियॉन्ग

वे घर में काम करने वाली एक सामान्य महिला थीं जो इंडोनेशिया से सिंगापुर के एक अमीर परिवार के यहाँ काम करने पहुँची थीं.

परिवार भी कोई आम परिवार नहीं - एक ऐसा परिवार जो सिंगापुर की बड़ी-बड़ी कंपनियों का मालिक है.

एक दिन इस परिवार ने महिला पर क़रीब 115 कपड़े, कुछ महंगे हैंडबैग, एक डीवीडी प्लेयर और घड़ी चोरी करने का आरोप लगाया. परिवार ने पुलिस में शिक़ायत कर दी जिसके बाद ये एक हाई-प्रोफ़ाइल केस बन गया.

लेकिन इस महीने की शुरुआत में पारती लियानी को अदालत ने बरी कर दिया.

अदालत के आदेश के बाद पारती ने कहा, "मैं बहुत ख़ुश हूँ. मैं अंतत: आज़ाद हूँ. मैं चार साल से लड़ रही थी."

लेकिन पारती के केस ने सिंगापुर की न्यायिक व्यवस्था पर कुछ सवाल खड़े किये हैं. लोग पूछ रहे हैं कि क्या न्यायिक व्यवस्था पर भी असमानता का प्रभाव है? क्योंकि निचली अदालत ने इसी मामले में दोषी ठहरा दिया था.

क्या था पूरा मामला?

कहानी 2007 से शुरू होती है, जब पारती लियानी ने ल्यू मोन लियॉन्ग के घर काम करना शुरू किया. इस परिवार में कई सदस्य थे जिनमें से एक ल्यू के बेटे कार्ल भी थे.

साल 2016 में कार्ल ल्यू और उनके परिवार ने अलग रहने का निर्णय लिया और वो किसी दूसरी जगह रहने चले गए.

कोर्ट के दस्तावेज़ों से पता चलता है कि पारती को कार्ल ल्यू के नये घर और दफ़्तर की सफ़ाई करने के लिए कई बार कहा गया. हालांकि ये सिंगापुर के श्रम क़ानूनों का उल्लंघन था और पारती ने इसकी शिकायत मालिकों से की भी थी.

कुछ महीने बाद ल्यू परिवार ने पारती से कहा कि 'उन्हें चोरी के शक़ में नौकरी से निकाल जा रहा है.'

लेकिन पारती के मुताबिक़, इसके बाद उन्होंने कार्ल ल्यू से कहा था कि "मैं जानती हूँ कि मुझे नौकरी से क्यों निकाला जा रहा है, दरअसल आप नाराज़ हैं क्योंकि मैंने आपका शौचालय साफ़ करने से मना कर दिया था."

सिंगापुर: एक मेड ने आख़िर कैसे दी एक अरबपति को मात

एक धमकी का अंजाम

बहरहाल, पारती को दो घंटे का समय दिया गया कि वे अपना सामान पेटियों में समेट लें ताकि उन्हें इंडोनेशिया में पारती के घर तक भेजा जा सके. पैकिंग के बाद पारती वापस अपने घर इंडोनेशिया लौट आईं.

हालांकि, सामान बांधते समय पारती ने ल्यू परिवार को यह धमकी दे दी थी कि वे सिंगापुर प्रशासन को बतायेंगी कि उनसे कार्ल ल्यू का घर साफ़ करवाया गया.

पारती के जाने के बाद ल्यू परिवार ने तय किया कि उनके सामान की जाँच की जाये, और कथित पड़ताल के बाद उन्होंने दावा किया कि उन्हें पारती के सामान में अपना कुछ सामान मिला. इसके बाद ल्यू मोन लियॉन्ग और उनके बेटे कार्ल ल्यू ने 30 अक्तूबर 2016 को पुलिस में पारती के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज करवा दी.

पारती के अनुसार, उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. पाँच हफ़्ते बाद जब वे नये काम की तलाश में फिर से सिंगापुर लौटीं तो पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया.

अब चूंकि पारती का नाम एक आपराधिक मुक़दमे में शामिल था, इसलिए वे काम नहीं कर सकती थीं. ऐसे में उन्हें प्रवासी श्रमिकों के बसेरे में शरण लेनी पड़ी और आर्थिक मदद के लिए भी वे उन्हीं पर निर्भर रहीं.

पारती पर जिस सामान की चोरी का आरोप लगा, उसकी कुल क़ीमत एक अनुमान के अनुसार - लगभग 34 हज़ार सिंगापुर डॉलर यानी 18 लाख रुपये से अधिक थी.

सिंगापुर
HOME
सिंगापुर

दो साल दो महीने जेल की सज़ा

सुनवाई के दौरान पारती ने दलील दी कि जिस सामान का चोरी का सामान कहा जा रहा है, उसमें से कुछ उन्हीं का सामान है, कुछ सामान ऐसा है जिसे परिवार ने फेंक दिया था और कुछ सामान वो है जो उन्होंने पैक ही नहीं किया था.

साल 2019 में एक ज़िला न्यायाधीश ने उन्हें चोरी का दोषी ठहराया और इसके लिए पारती को दो साल दो महीने जेल की सज़ा सुनाई गई.

मगर पारती ने अदालत के इस निर्णय के ख़िलाफ़ अपील की और सिंगापुर के हाई कोर्ट ने आख़िरकार इस महीने उन्हें बरी कर दिया.

जज ने कहा कि परिवार ने ग़लत मक़सद से उनके ख़िलाफ़ आरोप लगाये. साथ ही उन्होंने पुलिस, अभियोजन पक्ष और यहाँ तक कि ज़िला न्यायाधीश के इस केस को हैंडल करने के रवैये पर सवाल उठाये.

जज ने कहा कि परिवार ने पुलिस रिपोर्ट इसलिए दर्ज की ताकि पारती को कार्ल ल्यू का घर साफ़ करवाने की शिकायत करने से रोका जा सके.

जज ने नोट किया कि जिन चीज़ों को चुराने का पारती पर आरोप लगाया गया, वो सब ख़राब थीं और ख़राब चीज़ों को सामान्यत: चोरी नहीं किया जाता.

इस केस को लेकर सिंगापुर में काफ़ी हंगामा हुआ. इसे 'अमीर बनाम ग़रीब' की लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा था.

प्रवासी श्रमिकों की न्याय तक कितनी पहुँच?

इस केस पर सार्वजनिक विरोध को देखते हुए ल्यू मोन लियॉन्ग ने कई कंपनियों के चेयरमैन पद से रिटायर होने की घोषणा कर दी.

उन्होंने अपने बयान में कहा कि वे हाई कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करते हैं और उन्हें सिंगापुर की न्यायिक प्रणाली पर पूरा भरोसा है.

उन्होंने पुलिस रिपोर्ट करने के अपने फ़ैसले का भी बचाव किया. उन्होंने कहा कि 'उन्हें सच में लगा था कि कुछ ग़लत हुआ है और इसलिए ये उनका फर्ज़ था कि वे पुलिस को इसकी ख़बर दें.'

इस केस से पुलिस और न्यायिक प्रणाली पर भी सवाल खड़े हुए. क़ानून और गृह मंत्री के शनमुगम ने कहा कि 'इस पूरे घटनाक्रम में कुछ तो ग़लत हुआ है.'

इस केस ने यह भी दिखाया है कि प्रवासी श्रमिकों की न्याय तक कितनी पहुँच है.

पारती सिंगापुर में रहकर केस लड़ सकीं क्योंकि उन्हें ग़ैर-सरकारी संस्थान का सहयोग मिला और उनके वकील अनिल बालचंदानी ने बिना पैसे लिये उनका केस लड़ा.

इस मामले में बाइज़्ज़त बरी होने के बाद पारती ने कहा, "मैं अब घर लौट रही हूँ. मेरी परेशानियाँ ख़त्म हुईं. मैं ल्यू परिवार को माफ़ करती हूँ और उनसे यह कहना चाहती हूँ कि फिर किसी के साथ ऐसा ना करें."

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Singapore: How a med finally defeated a billionaire
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X