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साइबेरिया ने पूरी दुनिया को खतरे में डाला, जहरीली गैस निकलने से लाखों लोगों की जिंदगी पर खतरा

साइबेरिया में जहरीली गैस के उत्सर्जन से पूरी दुनिया पर गंभीर संकट पैदा हो गया है।

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साइबेरिया, अगस्त 04: साइबेरिया की वजह से पूरी मानवजाति भयानक खतरे में पड़ने वाली है और लाखो लोंग अपनी जान से हाथ धो सकते हैं। साइबेरिया से एक ऐसी जहरीली गैस का निकलना शुरू हो गया है, जो लाखों लोंगों की जिंदगी पर मौत बनकर मंडरा सकता है। सबसे खतरनाक बात ये है कि साइबेरिया से निकलने वाले गैस पर नियंत्रण पाना इंसानों के लिए संभव ही नहीं है और इस मौत को रोकना अब असंभव सा लग रहा है। वैज्ञानिकों ने तो यहां तक कह दिया है कि साइबेरिया में जो जहरीली गैस निकल रही है, वो इंसानों के लिए किसी बम से कम नहीं है।

साइबेरिया में ''मीथेन बम''

साइबेरिया में ''मीथेन बम''

रिपोर्ट के मुताबिक, साइबेरिया में ग्लोबस वॉर्मिंग की वजह से पिछले साल काफी ज्यादा गर्मी पड़ी थी और हीट वेभ की वजह से साइबेरिया में बर्फ का पिखलना शुरू हो गया। हीटवेभ ने चूना पत्थरों से मीथेन गैस के उत्सर्जन में काफी ज्यादा वृद्धि कर दी है। ये एक ऐसी घटना है, जिससे पृथ्वी का वातावरण 'मीथेन बम' से प्रभावित हो सकता है। बॉन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक नए अध्ययन में पाया गया है कि साइबेरिया में अत्यधिक गर्मी के कारण 1979-2000 के दौरान तापमान में 6 डिग्री सेल्सियस का इजाफा हुआ है, जो इंसानी जान के लिए अत्यधिक खतरनाक है। वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले साल से साइबेरिया के एक बड़े हिस्से से मीथेन कंसंट्रेशन गैस का निकलना काफी तेजी से शुरू हो गया है, जिससे साइबेरिया में बर्फ की ऊपरी परत पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

बहुत ज्यादा चिंता की बात

बहुत ज्यादा चिंता की बात

रिसर्चर्स के मुताबिक सबसे ज्यादा चिंता की बात ये है कि साइबेरिया के बड़े हिस्से में चूना पत्थर ही बर्फ का आधार है। यानि, 541 मिलियन वर्ष पहले साइबेरिया में चूना पत्थरों के इस चट्टान का निर्माण हुआ था और साइबेरिया में बर्फ का विशाल भंडार उसी चूना पत्थर पर टिका हुआ है। लेकिन, दिक्कत ये हो गई है कि बर्फ के ऊपरी सतह के तेजी से पिघलने की वजह से चूना पत्थर में बनने वाला मीथेन गैस, जो अब तक बर्फ के अंदर था, वो अब बाहर आना शुरू हो गया है। बॉन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और इस रिसर्च को करने वाले डॉ निकोलस फ्रोइट्जहाइम ने कहा कि ''यहां का मीथेन गैस काफी ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि इसके वातावरण काफी ज्यादा गर्म होता है। कार्बन डायऑक्साइड की तुलना में यहां का मीथेन गैस कई गुना ज्यादा वातावरण को गर्म करता है, जिससे बर्फ का और तेजी से पिघलना शुरू होगा, जिसका अंजाम आखिरकार लाखों इंसानों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ेगी।''

कितना खतरनाक है मीथेन गैस ?

कितना खतरनाक है मीथेन गैस ?

इनवायरोमेंट डिफेंस फंड की रिपोर्ट के मुताबिक, मीथेन गैस में पर्यावरण को 80 गुना ज्यादा गर्म करने की शक्ति है और ये कार्बन डाइऑक्साइड के मुकाबले पहले 20 वर्षों में ही वायुमंडल को बेहत खतरनाक तरीके से हिट करती है। रिसर्चर्स ने निष्कर्षों पर पहुंचने के लिए भूवैज्ञानिक मानचित्रों के साथ उत्तरी साइबेरिया की हवा में मीथेन कंसंट्रेशन के स्थायी और अस्थाई प्रभावों की तुलना की है। अप्रैल 2021 में किए गये रिसर्च में पता चला है कि साइबेरिया से निकलने वाला मीथेन गैस नॉर्दर्न हेम्पशायर को 15 प्रतिशत से ज्यादा कवर कर लेगा, तो पूरी दुनिया को 11 प्रतिशत तक कवर कर लेगा। जिसका मतलब ये है कि पूरी दुनिया में तापमान बढ़ेगा, यानि आने वाले सालों में पूरी दुनिया में गर्मी और ज्यादा बढ़ेगी, जिसका मतलब ये हुआ कि पूरी दुनिया की इंसानी आबादी खतरे में आ गई है।

कहीं ज्यादा खतरे और भी हैं

कहीं ज्यादा खतरे और भी हैं

रिसर्चर्स का कहना है कि यदि जलवायु परिवर्तन के कारण साइबेरिया में जमीन का यह हिस्सा पिघल जाता है, तो यह विशेष रूप से चिंताजनक हो सकता है, क्योंकि इसका बढ़ते तापमान पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ता है। पिछले स्टडी में वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया था कि, पर्माफ्रॉस्ट (जमीन के ऊपर का पतला हिस्सा, जो बर्फीला होता है) को पिघलने से तत्काल रोकना चाहिए। वैज्ञानिकों ने समझाते हुए कहा कि ''मीथेन गैस का रिसाव पानी के उन भंडार तक चला जाएगा, जो धरती के नीचे काफी ज्यादा सुरक्षा में है और आने वाले वक्त में इंसानों के लिए काम आएगा। इसके साथ ही साइबेरिया में काफी ज्यादा मात्रा में प्राकृतिक गैस है और जब ये जहरीला गैस वातावरण के संपर्क में आएगा, तो इंसानों के लिए खतरनाक हो जाएगा।

कई वायरस आ सकते हैं बाहर

कई वायरस आ सकते हैं बाहर

साइबेरिया को लेकर ये रिसर्च प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें वैज्ञानिकों के कई ग्रुप्स ने काफी ज्यादा चिंता जताई है और आशंका जताते हुए कहा कि अगर पृथ्वी के पर्माफ्रॉस्ट पिघल गए तो क्या होगा? जुलाई 2020 में विशेषज्ञों के एक अलग समूह ने पाया कि पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से माइक्रोवेब्स के परिणामस्वरूप वातावरण में 40 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड पहले की तुलना में और ज्यादा हो सकता है। सितंबर 2017 में प्रकाशित एक अध्ययन सहित अन्य अध्ययनों ने पर्माफ्रॉस्ट में फंसी प्राचीन बीमारियों के अनलॉक होने को लेकर भी चिंता जताई गई है।

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English summary
The emission of toxic gas in Siberia has created a serious crisis for the whole world.
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