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सबसे ज्‍यादा समय तक जापान के पीएम रहे शिंजो आबे, पूर्व पीएम के नाती ने मजदूर के तौर पर की थी शुरुआत

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टोक्‍यो। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने स्‍वास्‍य कारणों के चलते अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया है। जापान के सरकारी चैनल एनएचके ने इस बाबत जानकारी दी है। एनएचके के मुताबिक पीएम आबे नहीं चाहते हैं कि उनकी खराब सेहत की वजह से सरकार को कोई समस्‍या हो। आबे ने एक ऐसे समय में अपने पद से इस्‍तीफा दिया है जब चीन के साथ ईस्‍ट चाइना सी पर विवाद जारी है। वहीं, कोरोना वायरस की वजह से देश अर्थव्‍यवस्‍था मंदी की तरफ है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आबे का विक‍ल्‍प तलाशना मुश्किल होगा। आबे देश के एक लोकप्रिय नेता हैं। वह देश के एक प्रभावशाली परिवार से आते हैं लेकिन उनकी शुरुआत बिल्‍कुल एक आम इंसान की तरह से हुई थी।

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जापान में लोग पढ़ते हैं आबेनॉमिक्‍स

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65 साल के आबे ने इसी हफ्ते सबसे ज्‍यादा समय तक जापान का पीएम रहने का रिकॉर्ड बनाया है। आबे ने जापान की राजनीति के साथ ही वहां की अर्थव्‍यवस्‍था को भी एक नया रंग दिया। आबे की आर्थिक नीतियों ने एक नए शब्‍द 'आबेनॉमिक्‍स' को जन्‍म दिया। इसकी तर्ज पर ही भारत में पीएम मोदी की आर्थिक नीतियों को 'मोदीनॉमिक्‍स' नाम दिया गया। वह साल 2007 में पहली बार जापान के पीएम चुने गए थे। 2007 में भी वह इसी बीमारी के चलते एक बार पद से इस्‍तीफा दे चुके थे। साल 2005 से 2006 तक वह लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी थे।

देश के सबसे युवा पीएम बनने का रिकॉर्ड

देश के सबसे युवा पीएम बनने का रिकॉर्ड

21 सितंबर 1954 को टोक्‍यो में जन्‍मे आबे सिंतारो आबे और योको किशी की संतान हैं। जहां उनके दादा कैना आबे और पिता सिंतारो आबे जापान के मशहूर राजनेता रहे तो उनके नाना नोबोशुके किशी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री थे। आबे पहली बार वर्ष 2006 से वर्ष 2007 तक जापान के पीएम बने। उस समय उनकी उम्र 52 वर्ष थी। आबे न सिर्फ युद्ध के बाद देश के सबसे युवा पीएम बने बल्कि वह पहले ऐसे पीएम भी बन गए जिनका जन्‍म सेकेंड वर्ल्‍ड वॉर के बाद हुआ था।

स्‍टील प्‍लांट में थे मजदूर

स्‍टील प्‍लांट में थे मजदूर

अप्रैल 1979 में आबे ने कोबे स्‍टील प्‍लांट में काम करना शुरू किया। लेकिन दो वर्ष तक वहां पर रुकने के बाद उन्‍होंने वर्ष 1982 में कंपनी छोड़ दी। आबे ने जहां ओसाका में रहकर अपने स्‍कूली स्‍तर की पढ़ाई पूरी की तो वहीं ओसाका की साइकेई यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्‍त्र में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह जापान के घनिष्‍ठ मित्र देश अमेरिका चले गए। अमेरिका की सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से उन्‍होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। आबे ने नौकरी छोड़ने के साथ ही देश की राजनीति में प्रवेश कर लिया। आबे ने राजनेता बनने से पहले सरकार से जुड़े कई पदों पर अपनी जिम्‍मेदारियां निभाई।

पिता की मृत्‍यु के बाद मिली विरासत

पिता की मृत्‍यु के बाद मिली विरासत

वर्ष 1993 में आबे के पिता की मृत्‍यु हो गई थी। उनकी मौत के बाद आबे ने चुनाव लड़ा और वह यामागुशी से चुने गए। आबे का बाकी चार उम्‍मीदवारों की तुलना में सबसे ज्‍यादा वोट मिले थे। साल 2001 में नॉर्थ कोरियन नागरिकों ने जापान के नागरिकों का अपहरण कर लिया था। आबे, जापान की सरकार की ओर से मुख्‍य मध्‍यस्‍थ के तौर पर भेजे गए थे। आबे ने वर्ष 2002 में नॉर्थ कोरिया के उस समय के तानाशाह किम जोंग इल से मुलाकात की। उनके प्रयासों से संकट सुलझा और उनके चाहने वालों की संख्‍या बढ़ गई थी।आबे को नॉर्थ कोरिया के लिए उनके सख्‍त रवैये के लिए जाना जाता है।

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English summary
Shinzo Abe the longest serving PM of Japan resigns few facts about him.
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