60,000 साल पहले इंसान के पूर्वज में मिला था कोरोना वायरस, स्टडी में सामने आए चौंकाने वाले नतीजे
लंदन। दुनियाभर में कोविड-19 को फैले हुए पूरा एक साल हो चुका है। पिछले वर्ष चीन से निकले इस खतरनाक वायरस ने अब तक दो मिलियन लोगों को अपना निशाना बना डाला है। वहीं अब एक स्टडी में यह बात सामने आ रही है कि इस वायरस का संबंध कई लाख साल पहले इंसान के पूर्वज निएंडरथल से है। हाल ही में क्रोएशिया में कोरोना वायरस के लक्षणों ने अथॉरिटीज की नींद उड़ा दी है। वैज्ञानिकों ने एक स्टडी से पता लगाया है कि कोविड-19 कितनी घातक बीमारी हो सकती है इसका पता निएंडरथल के जीनोम से लगाया जा सकता है। स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में स्थित करोलिन्स्का इंस्टीट्यूट में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर हूगो जेबर्ग की तरफ से एक स्टडी कर जो कुछ नतीजे दिए गए हैं, वो हैरान करने वाले हैं।
साउथ एशिया में तेजी से फैलता वायरस
स्टडी के मुताबिक यूरोप की तुलना में कोविड का संक्रमण साउथ एशिया के लोगों में 50 प्रतिशत ज्यादा तेजी से फैलता है। स्टडी के मुताबिक वायरस का जीन साउथ एशिया में रहने वाले लोगों में सबसे ज्यादा है। साथ ही जो लोग बांग्लादेश में रहते हैं, उनके लिए यह संक्रमण आम बात है। स्टडी की मानें तो जहां उम्र, लिंग और दूसरे कारक संक्रमण के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं तो वहीं इस बात की पूरी जानकारी नहीं मिलती है कि क्यों कुछ लोग बाकी लोगों की तुलना में ज्यादा बीमार पड़ते हैं। नेचर की तरफ से पब्लिश्ड एक पेपर में कहा गया है कि क्रोमोजोम 3 पर इस जीनोम के छह जीनों के संबंध का एक मानव इतिहास रहा है। बांग्लादेश 63 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो कम से कम इससे इनफेक्टेड हैं। स्टडी में कहा गया है कि इस विशेष जीनोम की मौजूदगी पूर्वी एशिया के लोगों में सिर्फ 4 प्रतिशत और अफ्रीका से पूरी तरह गायब है।
10 साल पहले जारी हुआ था एक पेपर
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स की तरफ से रिजल्ट में कहा गया है कि निएंडरथल मानवों में हजारों साल पहले से ही कोरोना वायरस मौजूद था। निएंडरथल को मानवों का प्रथम पूर्वज कहा जाता है और इनका इतिहास यूरोप में करीब साढ़े तीन लाख साल पहले का रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो पिछले दो दशक यानी 20 वर्षों से इस पर अध्ययन हो रहा है। 10 साल पहले निएंडरथल मानवों के जीनोम पर एक ड्राफ्ट पब्लिश किया गया था। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक सैवेंत पाबो और उनके साथियों की मानें तो उन्होंने निएंडरथल मानवों की हड्डी से लिए गए डीएनए कोड को हासिल करने में सफलता हासिल की थी। वैज्ञानिकों के मुताबिक जो तीन जीनोम मिले थे, उनमें से एक क्रोएशिया में तो दो साइबेरिया में पाए गए थे। गौरतलब है कि रूस की अथॉरिटीज ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी थी कि कोरोना वायरस के जिस स्ट्रेन की वजह से महामारी फैली है, साइबेरिया में उसमें बदलाव देखे गए हैं। रूसी वैज्ञानिकों के मुताबिक प्रोटीन्स में कुछ बदलाव हुए हैं और माना जा रहा है कि साइबेरिया में जो कोविड-19 फैल रहा है, वह यहां का ही वर्जन है जो बदला हुआ है।